उन्नाव रेप-पीड़िता : तारो और वेंटिलेटर से घिरी लड़की की दर्दनाक स्टोरी

उन्नाव रेप केस की पीड़िता इस समय दिल्ली के एम्स में वेंटिलेटर के सहारे अपनी सांसे ले रही है। रेप के आरोपी भारतीय जनता पार्टी के विधायक कुलदीप सेंगर जेल में हैं। ये है उन्नाव रेप पीड़िता की अब तक की कहानी। आम दिनों की तरह ही 2017 की एक दोपहर थी।

Update:2019-08-09 19:38 IST

नई दिल्ली : उन्नाव रेप केस की पीड़िता इस समय दिल्ली के एम्स में वेंटिलेटर के सहारे अपनी सांसे ले रही है। रेप के आरोपी भारतीय जनता पार्टी के विधायक कुलदीप सेंगर जेल में हैं। ये है उन्नाव रेप पीड़िता की अब तक की कहानी। आम दिनों की तरह ही 2017 की एक दोपहर थी। सभी रोजमर्रा के कामों को कर रहे थे। अब समय हुआ दोपहर का खाना खाने बाद कुछ समय के लिए आराम करने का। लेकिन उस दिन ऐसा कुछ हुआ, जिससे लोगों के दिन का आराम तो छोड़ो रातों की नींद भी चली गई। यह कहानी उन्नाव की रेप पीड़िता की है।

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यूपी के उन्नाव की रहने वाली एक नाबालिग लड़की ने दिल्ली में अपनी चाची को बताया कि उसके साथ रेप हुआ है। लड़की खुद नाबालिग थी और अच्छे खासे रूतबे वाले विधायक कुलदीप सेंगर पर था। उन्नाव में कुलदीप सेंगर 15 साल से उस लड़की के पड़ोसी थे। कुलदीप सेंगर ने गांव में मंदिर और स्कूल भी बनवाया है।

उन्नाव की इस लड़की के घर पर पढ़ाई-लिखाई का भी कोई इंतजाम नहीं था। लड़की की मां भी अनपढ़ थीं। मां ने बताया कि "घर में कभी इतने पैसे नहीं थे कि अपनी चारों बेटियों और छोटे बेटे को पढ़ाएं।"

लड़की के पिता और उनके दो भाइयों की छवि गांव में दबंगई जैसी थी। गांव के कई लोगों कहना है कि उन्हें गुंडा बताया जिनके लिए डारू पीना, मारपीट करना और लड़ाई-झगड़ा करना मामूली बात थी।

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स्थानीय थानाध्यक्ष राकेश सिंह के मुताबिक लड़की के पिता के खिलाफ 29 केस और चाचा के खिलाफ 14 केस दर्ज हैं। वारदात का शिकार हुई लड़की ने दिल्ली आकर जब अपनी चाची को इस वारदात के बारे में बताया तब चाची ने उससे वो कहा जिसे वह सोच भी नही सकती थी।

हिम्मती थी चाची

लड़की की दिल्ली वाली चाची पढ़ी लिखी थी। शादी के बाद लड़की के चाचा दिल्ली आ गए थे। और यही पर उन्होने कारोबार जमाया था। रेप पीड़िता की चचेरी बहन के अनुसार, चाची की हिम्मत की वजह से हमने आगे कदम उठाया था। नहीं तो कुछ करते ही नही।

रेप पीड़िता की चचेरी बहन ने बताया कि "ये सब उन्नाव में हुआ था। लेकिन विधायक के रुतबे के कारण वहां पर उसे जान से मारने की धमकी देकर चुप करा दिया गया था। इतना खौफ पैदा कर दिया गया कि पीड़िता अपनी मां से भी कुछ कह नही पाई।

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गांव में विधायक का रूतबा

बात अगर विधायक कुलदीप सेंगर की करे तो, सेंगर तीन बार पार्टी बदल चुके हैं। उनके नाना कई साल इस गांव के सरपंच रह चुके थे। अब उनके छोटे भाई की पत्नी सरपंच हैं और सेंगर की पत्नी जिला पंचायत प्रमुख है।

गांव में इस मामले को लेकर तरह-तरह की बात सुनने को मिली। कोई इसे षडयंत्र बताता है तो कोई प्रेम-प्रसंग। इसके बाद कुछ लोग दुश्मनी होने का भी दावा करते। गांव में अपनी पहचान छिपाने की शर्त पर हर कोई एक नई कहानी सुनाने को तैयार रहता।

अगर किसी बात पर ज्यादातर लोग सहमत है तो वो है विधायक सेंगर की लोकप्रियता।

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नहीं दर्ज हुई एफआईआर

उन्नाव रेप पीड़िता ने पुलिस में शिकायत करने का फैसला किया लेकिन महीनों तक विधायक के खिलाफ एफआईआर ही दर्ज नहीं हुई। इसके बाद पीड़िता ने अदालत का रुख किया।

जानकारी के लिए बता दें कि भारत की अपराध दंड संहिता मतलब की सीआरपीसी के सेक्शन 156(3) में प्रावधान है कि अगर पुलिस किसी मामले में शिकायत ना लिखे तो पीड़ित अदालत के जरिए एफआईआर दर्ज करवा सकता है।

रेप पीड़िता की अर्जी पर अदालत ने जांच करने का आदेश दिया और पुलिस को एफआईआर लिखनी पड़ी। लेकिन कुलदीप सेंगर को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया थी। पीड़िता की मां ने बताया कि उन्हें लगातार धमकी पर धमकी मिल रही थी।

इसके बाद अप्रैल 2018 में विधायक कुलदीप सेंगर के छोटे भाई अतुल सेंगर और उनके कई साथियों ने पीड़िता के घर में घुसकर उसके पिता को बहुत बेरहमी से पीटा। पड़ोसियों का कहना है कि पानी डाल-डाल कर जिस तरह वे पीट रहे थे लग रहा था कि अब उनकी जान नहीं बचेगी। लेकिन आपसी मामला होने की वजह से कोई भी बीच में नहीं बोला।

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पिता की हो गयी मौत

घर में मारपीट खत्म हुई तो उसके बाद पिता को थाने में ले गए और आर्म्स एक्ट के तहत हिरासत में ले लिया गया। और वहां भी पिटाई जारी रही। पीड़िता की बहन ने बताया कि बहुत मुश्किलो के बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को फोन के जरिए बताकर पिता जी को अस्पताल में भर्ती करवाया गया।" ये सब जब तक हुआ तब तक पीड़िता के हिम्मत टूट चुकी थी। उसने अपनी मां से कहा कि मैं आत्महत्या कर लेती हूं, शायद तभी ये सब खत्म हो जाये।

पीड़िता को मां ने रोका नहीं, बल्कि कहा, "तुम अकेली क्यों आत्महत्या करोगी, तुम्हारे बाद हम पीछे जीकर क्या करेंगे।" इसके बाद सभी बहनें मां के साथ सीएम योगी के घर के सामने आत्मदाह की कोशिश की। पीड़िता की मां अपने बच्चों के साथ लखनऊ के अस्पताल में गयी। तो उन्हें तो बचा लिया गया, लेकिन अगले दिन सुबह खबर आई कि उसके पिता ने अस्पताल में दम तोड़ दिया है।

इस पूरी वारदात में लापरवाही का कारण बने थानाध्यक्ष समेत पांच अन्य पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। इसके बाद में सेंगर के भाई अतुल सेंगर समेत कुछ पुलिसकर्मियों को लड़की के पिता की हत्या के आरोप में गिरफ्रतार कर लिया गया। अतुल सेंगर के खिलाफ पुलिस में पहले से तीन केस दर्ज थे।

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सीबीआई को सौपा गया मामला

इस मामले की कार्रवाई उत्तर प्रदेश पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दी गई। एफआईआर होने के बाद मीडिया दिन-रात पहरा देने लगी। इस संभावना में कि अब सेंगर की गिरफ़्तारी तय है। लेकिन कुलदीप सेंगर ने घर से निकलकर पत्रकारों को खुद ये बयान दिया कि वह निर्दोष हैं, "मैं कोई भगोड़ा नहीं, और हर तरह की पूछताछ के लिए तैयार हूं।"

इसके बाद सीबीआई ने सेंगर से पूछताछ की और कुछ घंटे बाद उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया। रेप की इस घटना को अब एक साल से ज्यादा हो चुका था।एक बात जो बहुत अजीब लगेंगी कि एक समय पर लड़की के चाचा ही विधायक कुलदीप सेंगर के बॉडीगार्ड का काम करते थे।

जेल में बंद चाचा की कहानी

पीड़िता के चाचा की जेल की कहानी साल 2000 की है। पीड़िता के चाचा चुनाव प्रचार के दौरान तमंचा दिखाकर धमकाने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था। इसके बाद वो जमानत पर छूटे तो वापस अदालत में पेश ही नहीं हुए। उस केस में उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया। 17 साल बाद, विधायक सेंगर की गिरफ़्तारी के कुछ महीने बाद अदालत को ये बताया गया कि चाचा अब दिल्ली में हैं। अदालत ने उन्हें हत्या की कोशिश के लिए दोषी ठहराया और 10 साल की सज़ा सुनाई।

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पीड़िता के घर में अब सिर्फ औरते ही बची थी। ताया की कई साल पहले ही मौत हो गई थी। पिता की अस्पताल में मौत और चाचा जेल में बन्द थे। पीड़िता की तरफ से धमकियों की शिकायत के बाद उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई। पीड़िता की मां कहना है कि "धमकियों का सिलसिला थम तो रहा नही था बल्कि बढ़ ही रहा था।

पीड़िता ने अपने वकील की मदद से उन्होंने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मुख्य न्यायाधीश तक को मदद के लिए चिट्ठियां लिखी। लेकिन कोई चिट्ठी समय पर नहीं पहुंची।

इसके बाद बीती जुलाई की दोपहर को एक ट्रक से पीड़िता की कार की टक्कर होने पर कार में सवार पीड़िता और उसके वकील बुरी तरह से घायल हो गए। उसी कार में सवार चाची और उनकी बहन की मौत हो गई।

चचेरी बहन का यह कहना है कि चिट्ठी व़क्त से पहुंच जाती तो ये जानें बच जातीं। अब सीबीआई इस बात की जांच कर रही है कि ये दुर्घटना थी या साजिश।

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सुप्रीम कोर्ट को लिखी चिट्ठी पर जब मीडिया ने लिखा तब मुख्य न्यायाधीश ने स्वंय संज्ञान लेकर तत्काल सुनवाई के आदेश दिये। उन्होंने सीबीआई को निर्देश दिया कि उन्नाव रेप का वो मामला, जिसमें चार्जशीट एक साल पहले दायर हो गई थी। लेकिन मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हुआ। उसे तुरन्त 45 दिनों में पूरा भी किया जाए।

पीड़िता के रेप और परिवार के चारों केस दिल्ली ट्रांसफर किए गए। राज्य सरकार को पीड़िता के परिवार को 25 लाख रुपए अंतरिम मुआवजा देने का आदेश हुआ।

हालत अभी भी गम्भीर

लखनऊ के केजीएमयू में पीड़िता की चचेरी बहन बचे परिवार मतलब पीड़िता की मां, तीन बहनें और छोटा भाई से मिली तो मां को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बारे में बताया तो वो बोलीं, "चलो कुछ तो अच्छी ख़बर आई, बस अब मेरे देवर को भी रिहा कर दें तो हमें सहारा मिले, नहीं तो कौन ये लड़ाई लड़ेगा।"

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हममें से कोई भी पढ़ा-लिखा नहीं है। अभी तक की लड़ाई तो चाची लड़ रही थीं। लेकिन वो भी अब नहीं रहीं। पीड़िता और वकील को इलाज के लिए दिल्ली के एम्स अस्पताल लाया गया है, लेकिन अभी भी दोनों की हालत सिरियस है। डॉक्टरों के मुताबिक, वकील कोमा में बताए जा रहे हैं और पीड़िता वेंटिलेटर के सहारे सांसे ले रही है। पीड़िता की चेचरी बहन ने कहा, "अब इंसाफ की उम्मीद जगी है तो ज़िंदगी जीने की वजह बुझ गई है।"

 

 

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