UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में ठंड के बीच बढ़ती सियासी तपिश

UP Election 2022: लोकतान्त्रिक व्यवस्था के तहत यूपी में विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में सियासी सरगर्मियां तेज हो गयी है। विभिन्न दलों में सत्ता हासिल करने की होड़ लग गयी है।

Published By :  Shreya
Update: 2021-12-24 04:52 GMT

यूपी चुनाव (फोटो- न्यूजट्रैक) 

UP Election 2022: लोकतान्त्रिक व्यवस्था के तहत यूपी में विधानसभा चुनाव (UP Vidhan Sabha Chunaav) को लेकर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में सियासी सरगर्मियां तेज हो गयी है। विभिन्न दलों में सत्ता हासिल करने की होड़ लग गयी है। सत्ताधारी भाजपा (BJP) केन्द्र में सरकार होने का लाभ उठाकर लगातार विकास कार्यों और हिन्दुत्ववादी एजेंडे के साथ फिर सत्ता के दरवाजे पर दस्तक दे रही है। उधर, विपक्षी दलों में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party), बहुजन समाज पार्टी (BSP) और कांग्रेस (Congress) के अलावा छोटे दलों में भी सत्ता में साझेदारी की ललक साफ दिख रही है। यह दल बड़े दलों के साथ चुनावी गठबन्धन (Chunavi Gathbandhan) कर सत्ता के करीब आना चाह रहे हैं। 

वहीं मुस्लिम वोटों (Muslim Vote) की अहमियत को देखते हुए कई मुस्लिम संगठन (Muslim Sangathan) इस बार भी राजनीतिक दलों के साथ सौदेबाजी पर उतरने लगे हैं। उल्लेखनीय है कि अगले साल के शुरू में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), उत्तराखंड (Uttarakhand), पंजाब (Punjab), गोवा (Goa), मणिपुर (Manipur) में विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2022) होने हैं। जिसके लिए चुनाव आयोग (Election Commission) पुलिस फोर्स (Police Force) समेत अन्य तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगा हुआ है।

2017 में आठ मार्च को ख़त्म हुए थे विधानसभा के चुनाव

यदि पिछले विधानसभा चुनाव की तारीखों (Assembly Election 2022 Date) पर गौर किया जाए तो 2017 में चुनाव की घोषणा छह जनवरी को हुई थी। पिछले चुनाव में इन राज्यों में आचार संहिता (Aachar Sanhita) की कुल अवधि 64 दिनों की थी। तब इन राज्यों में चुनाव 8 मार्च को खत्म हो गए थे और नतीजे 11 मार्च को आए थे। यूपी में 19 मार्च को मंत्रिमंडल का गठन हो गया था। वहीं चुनाव आयोग (Chunav Aayog) इस बात पर भी मंथन कर रहा है कि यूपी बोर्ड की परीक्षाओं (UP Board Exams) की तिथियां कहीं चुनाव की तिथियों से न टकरा जाए। इसलिए आयोग परीक्षाओं के पहले ही विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Chunaav) पूरा कराना चाह रहा है। आयोग की मंशा मार्च के पहले सप्ताह तक चुनाव प्रक्रिया पूरा कराने की है। 

वोट (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

11 या 12 जनवरी को तारीखों का एलान

अगले साल 11 या 12 जनवरी को इन पांचों राज्यों में चुनाव की तारीखों (Chunav Ki Tarikh) का एलान हो सकता है। उधर आयोग ने 30 दिसम्बर तक वोटर लिस्ट (Voter List) में आपत्तियों और दावे मांगे है। इसके बाद पांच जनवरी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा ओर मणिपुर में अंतिम मतदाता सूची (Matdata List) जारी कर दी जाएगी। आयोग की मंशा पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Paschimi UP) में पहले चरण के चुनाव कराने की है उसके बाद पुलिस बलों को भौगेलिक स्थिति के अनुसार तैनाती देने के लिए चुनाव कार्यक्रम तय किया जाएगा। आयोग उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में मतदान करा सकता है। 

राजनीतिक दलों के अपने - अपने मुद्दे

जहां तक राजनीतिक दलों की गतिविधियों की बात है तो राष्ट्रीय लोक दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, महान दल और जनवादी पार्टी जैसी पार्टियां, जिनका राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रभाव है, आने वाले दिनों में अपनी पार्टियों के साथ सीट बंटवारे के फार्मूले को औपचारिक रूप देने के लिए तैयार हैं।

विपक्षी दल कोरोना में राज्य सरकार की विफलता के अलावा शराब से हुई मौतों पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान हुई मौतों सहायक शिक्षक भर्ती मामले के अलावा विभागों में व्याप्त भ्रष्ट्राचार के मामलों को उठा रहा है। इसके अलावा लखीमपुर काण्ड को लेकर भी विपक्ष लगातार सत्ता पक्ष पर हमलावर है।

गैरभाजपा दलों की किसान आंदोलन से बंधी उम्मीद

गैरभाजपा दलों को उम्मीद है कि किसान आंदोलन (Kisan Andolan) से उसे पश्चिमी यूपी के मुसलमानों और जाटों को एक ही मंच पर लाने में मदद मिलेगी। पिछले विधानसभा चुनाव में, सुभासपा ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा जिसमें से चार पर जीत हासिल की थी। एक सहयोगी के रूप में सुभासपा के साथ, सपा राजभर के वोटों को हासिल करने के लिए आशान्वित हैं। विपक्ष के पास बडे़ मुद्दे के नाम पर केवल किसान आंदोलन ही है जिसके सहारे वह चुनावी वैतरणी पार करना चाह रही है। इसके अलावा मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) योगी सरकार के खिलाफ मुख्य रूप से चुनाव मैदान में दिख रहे हैं।

छोटे दलों की बड़ों के सहारे सत्ता पाने की ललक

जहां तक छोटे दलों की बात है तो भाजपा कों 2014 के लोकसभा चुनाव से लगातार इसका लाभ मिलता रहा है। 2017 में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, अपना दल के साथ गठबंधन कर 403 में से 324 सीटें हासिल की। इस चुनाव में अपना दल को 11 सीटें और सुभासपा को 8 सीटें दी गईं, वहीं चुनाव में अपना दल को 9 सीटों पर जीत मिली तो ओमप्रकाश राजभर को 4 सीटों पर जीत मिली।

2019 के चुनाव में निषाद पार्टी (BJP Nishad Alliance) से भी गठबंधन किया तो इसका बड़ा फायदा मिला। इस बार भी भारतीय जनता पार्टी (BJP) छोटे दलों को पूरा सम्मान देने की तैयारी में है। इसी कारण इस बार अपना दल और निषाद पार्टी (Nishad Party) के साथ भाजपा का गठबंधन बरकार है। इसके अलावा हिस्सेदारी मोर्चा के सात घटक दल भी भाजपा के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे है। 

भाजपा के पास बताने के लिए बहुत कुछ

आने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी दल भाजपा के पास जनता को बताने के लिए बहुत कुछ है। उसे प्रदेश सरकार के विकास कार्यो के साथ ही केन्द्र सरकार के विकास कार्यो को गिनाने का दोहरा मौका मिल रहा है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के ताबड़तोड़ रैलियों कर रहे हैं।

वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण (Kashi Vishwanath Dham Ka Udghatan) को हिन्दू जनमानस के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है। दिसम्बर में प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) चौथी बार 28 दिसम्बर को कानपुर में मेट्रो रेल (Metro Rail) का उद्घाटन करने और चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) राजधानी लखनऊ के डिफेंस एक्सपो ग्राउंड (Defense Expo Ground) पर नौ जनवरी को एक बड़ी रैली करने जा रही है।

टैबलेट- लैपटॉप के सहारे भाजपा का युवाओं पर फोकस

देश में अपने कीर्तिमानों के लिए विख्यात उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) ने भारत रत्न पंडित अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) के जन्म दिन यानी 25 दिसम्बर को पहले चरण में एक लाख युवाओं को एक लाख टैबलेट और लैपटाप देकर एक नया इतिहास बनाने का काम किया है। युवा पीढ़ी के लिए षिक्षा व्यवस्था को और बेहतर करने के लिए यह बड़ा कदम माना जा रहा हे।

अधिसूचना जारी होने के पहले मोदी की ताबड़तोड़ रैलियां

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनाव अधिसूचना जारी होने के पहले ताबड़तोड़ रैलियां (PM Modi Rally In UP) कर यूपी को मथने का काम कर रहे हैं। वह विकास कार्यों के साथ ही प्रदेश के लिए मुख्यमंत्री योगी (CM Yogi Adityanath) को उपयोगी बता चुके हैं। इसके अलावा किसानों के आंदोलन (Kisan Andolan) को आंदोलनजीवी बताकर उनको हल्का कर चुके हैं।

यह पहला चुनाव है जिसमें उत्तर प्रदेश की जनता को योगी और दो पूर्व मुख्यमंत्री, बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के काम काज की तुलना की जा रही है। कांग्रेस में प्रियंका गांधी की सक्रियता से पार्टी को बड़ा बल मिल रहा है। हर सप्ताह लगभग उनके लखनऊ रहने और लगातार दौरों से जिलों में कार्यकर्ताओं को बल मिला है। जबकि अखिलेश यादव का विजय रथ लगातार पूरे प्रदेश में दौरे कर पार्टी के लिए जनाधार बनाने में लगा हुआ है। दूसरे दलों में सपा ज्वाइन करने की भी होड़ लगी हुई है।

जहां तक बहुजन समाज पार्टी की बात है तो पार्टी महासचिव सतीश चन्द्र मिश्र अपने बेटे कपिल मिश्र के साथ जिलों का दौरा कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने का काम कर रहे हैं जबकि पार्टी सुप्रीमो मायावती (Mayawati) भी केन्द्र और प्रदेश सरकार पर हमलावर है। जल्द ही मायावती भी अपनी चुनावी रैलियां शुरू करने वाली हैं। 

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