UP Election 2022: यूपी की 143 सीटों पर मुस्लिम वोटों की होड़, पढ़ें पूरी रिपोर्ट
UP Election 2022: यूपी में मुसलमानों के बारे में मोटे तौर पर अनुमान लगाया जाता है कि उनकी आबादी 20 प्रतिशत है।;
UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश में गैर-भाजपा दलों की निगाहें मुस्लिम वोटों पर टिकी हैं। इन वोटों का एक बड़ा हिस्सा समाजवादी पार्टी के पास रहा है, लेकिन बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस भी इन वोटों में शेयरिंग करते रहे हैं। इस बार असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम इन वोटों की नई दावेदार है। बता दें कि प्रदेश की 143 सीटों पर मुस्लिम (muslim vote percentage in up) समुदाय प्रभावशाली है। यूपी में मुसलमानों के बारे में मोटे तौर पर अनुमान लगाया जाता है कि उनकी आबादी 20 प्रतिशत है।
2007 में बड़े पैमाने पर बसपा को वोट
इस चुनाव में ऐसा माना जा रहा है कि मुसलमानों का वोट सपा के लिए जाएगा। लेकिन ये सिर्फ अनुमान ही है क्योंकि कि एकमुश्त वोट होगा कि नहीं, ये बहुत बड़ा सवाल है। 2007 में इस समुदाय ने बड़े पैमाने पर बसपा को वोट दिया, 2012 में यह सपा के साथ था लेकिन 2017 में यह सपा, कांग्रेस और बसपा के बीच विभाजित हो गया। बीस फीसदी की विशाल आबादी के बावजूद 2017 में केवल 23 मुस्लिम विधायक चुने गए। मुस्लिम विधायकों की सबसे अधिक संख्या 2002 में 64 रही थी।
40 सीटों पर मुस्लिम आबादी 30 फीसदी से ज्यादा
रामपुर, फर्रुखाबाद और बिजनौर ऐसे क्षेत्र हैं जहां मुस्लिम आबादी लगभग 40 प्रतिशत है। अनुमान के मुताबिक राज्य की 143 सीटों में से करीब 73 सीटें ऐसी हैं जहां मुसलमानों की संख्या 20 से 30 फीसदी के बीच मानी जाती है और करीब 40 सीटों पर मुस्लिम आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है। यूपी में 1970 और 1980 के दशक में समाजवादी विचारधारा वाली पार्टियों के उदय और कांग्रेस के पतन के बाद पहली बार विधानसभा में मुसलमानों के प्रतिनिधित्व में वृद्धि हुई। यह संख्या 1967 में 6.6 फीसदी से 1985 में 12 फीसदी हो गई। 1980 के दशक के अंत में भाजपा के उदय के साथ 1991 ये संख्या घट कर 5.5 फीसदी हो गई।
सपा और बसपा
आंकड़ों के अनुसार, सपा और बसपा ही मुस्लिम उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा टिकट देते हैं। भाजपा शायद ही किसी मुस्लिम को नामांकित करती है। कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवार आमतौर पर हार ही जाते हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश में अधिकांश मुस्लिम विधायक दो ही दलों के हैं। इसलिए जब सपा और बसपा अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो मुस्लिम प्रतिनिधित्व बढ़ता है और जब भाजपा अच्छा करती है तो ये संख्या घट जाती है।
संघ की अपील
बहरहाल, अब संघ ने मुसलमानों से भाजपा के पक्ष में वोट करने की अपील की है। आरएसएस की मुस्लिम शाखा ने मुस्लिम समुदाय से भाजपा को वोट देने की अपील की है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) ने दावा किया है कि कांग्रेस, सपा और बसपा शासन की तुलना में भाजपा के तहत मुसलमान सबसे सुरक्षित और खुश हैं। एमआरएम ने केंद्र और राज्यों में भाजपा सरकारों द्वारा मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए लागू की गई विभिन्न योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा है कि भाजपा देश में मुसलमानों की सबसे बड़ी शुभचिंतक है।
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