बिजली विभाग के घोटाले पर कांग्रेस ने साधा योगी सरकार पर निशाना
इस कम्पनी के आतंकवादी इकबाल मिर्ची और दाऊद से सम्बंध बताए जाते हैं। अब सवाल यह है कि बिजली कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई के पैसे कौन लौटाएगा? इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हो तभी इस वित्तीय अनियमितता का खुलासा हो पाएगा।
लखनऊ: डिफॉल्टर गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनी दीवान हाऊसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में राज्य के बिजली कर्मचारियों के 2 हजार करोड़ रुपए के फंसे होने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर फिर से निशाना साधा है। इस बार प्रियंका ने बिजली कर्मचारियों का मामला उठाया है।
प्रियंका ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के कर्मचारियों की जिंदगी भर की कमाई बीजेपी सरकार में डीएचएफएल में निवेश करके फंसा दी। चुनाव के दौरान मुझे तमाम सरकारी कर्मचारियों ने मिलकर नई पेंशन स्कीम को लेकर अपनी चिंता बताई थी। आज उनके शक जायज साबित हो रहे हैं।
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कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई ऐसी संदिग्ध कंपनियों में लगाई गई...
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सवाल पूछने के लहजे के साथ कहा कि गुनाहगार कौन? जिस व्यक्ति ने ईमानदारी से अपनी जिंदगी भर की कमाई आपके हाथों में भरोसे से डाली उसके लिए आपका क्या जवाब है? और कितने विभागों के कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई ऐसी संदिग्ध कंपनियों में लगाई गई है? छोटी मछलियों को पकड़कर ध्यान भटकाने से नहीं, असली गुनाहगारों को सामने लाना होगा।
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अब तक दो अधिकारी गिरफ्तार...
वहीं उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति का पालन करते हुए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) घोटाले में एक प्राथमिकी दर्ज कर दो वरिष्ठ अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया। राज्य सरकार ने मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का भी निर्णय लिया है। शनिवार शाम गिरफ्तार किए गए दोनों अधिकारी ईपीएफ की धनराशि को निजी कंपनी दीवान हाउसिंग फायनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में फंसाने के आरोपी हैं।
मुख्यमंत्री कार्यालय (लखनऊ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने फोन पर कहा कि योगी आदित्यनाथ ने राज्य सरकार के स्वामित्व वाले यूपी पॉवर सेक्टर इम्प्लाईस ट्रस्ट के वरिष्ठ अधिकारियों के जरिए की गई वित्तीय अनियिमितता को बहुत गंभीरता से लिया है, जिसने ट्रस्ट के 2631 करोड़ रुपये को एक विवादास्पद कंपनी के साथ निवेश करते समय नियमों का उल्लंघन किया।
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गिरफ्तार अधिकारियों की पहचान पॉवर सेक्टर इम्प्लाईस ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता और उत्तर प्रदेश विद्युत निगम के तत्कालीन निदेशक (फायनेंस) सुधांशु द्विवेदी के रूप में हुई है। उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश पर मामले की जांच सीबीआई को स्थानांतरित की जाएगी। हालांकि तबतक यूपी पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) मामले की जांच जारी रखेगी।
विपक्ष ने साधा निशाना...
विपक्ष लगातार सरकार को घेरे में लेकर निशाना साध रहा है, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसको लेकर भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया है।
इसी बीच योगी सरकार के निर्देश पर मामले के खुलासे के चंद घंटे बाद ही एम्प्लाई ट्रस्ट के अधिकारी सुधांशु द्विवेदी की लखनऊ और प्रवीण गुप्ता की आगरा से गिरफ्तारी कर ली गई है।
अखिलेश ने दिया बड़ा बयान…
इस प्रकरण में सपा अध्यक्ष अखिलेश ने कहा कि भाजपा सरकार में अरबों रूपए का एक बड़ा घोटाला सामने आया है। बिजली कर्मचारियों के 16 अरब रूपए एक डिफाल्टर कम्पनी डी.एच.एफ.एल. में लगा दिया गया।
इस कम्पनी के आतंकवादी इकबाल मिर्ची और दाऊद से सम्बंध बताए जाते हैं। अब सवाल यह है कि बिजली कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई के पैसे कौन लौटाएगा? इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हो तभी इस वित्तीय अनियमितता का खुलासा हो पाएगा।
आपको बता दें कि अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी सहयोगी रहे मृत इकबाल मिर्ची की कंपनी के साथ संबंधों के लिए डीएचएफएल के प्रमोटरों से हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय ने पूछताछ की थी।
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भाजपा सरकार में भ्रम और भय व्याप्त…
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार भ्रम और भय के सहारे अपनी राजनीति कर रही है। जनता की मूलभूत आवश्यकताओं की अनदेखी इसकी विशेषता रही है। समाजवादी सरकार ने काम किया जबकि भाजपा सरकार उस पर अपना नाम करने की नाकाम कोशिश करती है। ढाई साल बीत गए भाजपा सरकार ने एक यूनिट विद्युत भी उत्पादित नहीं किया है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि समाजवादी सरकार के समय घरों में बिजली के मीटर लगाने की शुरूआत हो गई थी अब उसी पर राजनीति कर जनता को बहकाने की योजना पर भाजपा सरकार काम कर रही है।
भाजपा सरकार जनता को ठगने के लिए खराब गुणवत्ता वाले मीटर लगा रही है। उपभोक्ता परेशान है, और गलत बिलिंग के शिकार हो रहे हैं।
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समाजवादी सरकार में गांवों में 18 घंटे, महानगरों और तीर्थ स्थलों में 24 घंटे विद्युत आपूर्ति..
उन्होंने कहा कि यह तो सभी जानते हैं कि समाजवादी सरकार में ही गांवों में 18 घंटे और महानगरों तथा सभी तीर्थ स्थलों में 24 घंटे विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की गई थी। प्रदेश में ट्रांसफार्मर बदलने की समय सीमा तय कर दी गई थी। किसानों के नलकूपों के ऊर्जाकरण को प्राथमिकता दी गई थी।
सीएम योगी को निशाने पर लेते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी सरकार में राज्य विद्युत निगम की अधिष्ठापित क्षमता में बढ़ोत्तरी के साथ पारीछा, अनपरा डी, मेजा, ललितपुर की तापीय परियोजनाओं का विस्तार कर विद्युत क्षमता बढ़ाई गई।
उपभोक्ताओं को नए विद्युत कनेक्शन दिए गए और उनका लोड बढ़ाया गया। 201 नए विद्युत उपकेन्द्रों की स्थापना की व्यवस्था समाजवादी सरकार ने ही की थी।
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समाजवादी सरकार के कार्यकाल में ही ऊर्जा नीति घोषित...
उल्लेखनीय है कि समाजवादी सरकार के कार्यकाल में ही ऊर्जा नीति घोषित की गई थी। ग्रिड संयोजित सौर पावर परियोजनाएं स्थापित की गईं। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मिनी ग्रिड सोलर पावर की योजनाएं कार्यान्वित की गई।
लोहिया समग्र गांवों में सोलर स्ट्रीट लाइट और लोहिया ग्रामीण आवासों में सोलर पावर पैकेज दिया गया। अण्डरग्राउण्ड केबिल बिछाने का काम भी तभी शुरू हुआ।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने विद्युत व्यवस्था को तहस नहस करने में कुछ उठा नहीं रखा है। लाइन हानि और बिजली चोरी रोकने में उसकी असफलता जगजाहिर है। इस सरकार ने एक काम यह जरूर किया कि उपभोक्ताओं पर भारी आर्थिक भार लादने में कोई संकोच नहीं किया।
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नोटबंदी-जीएसटी, बिजली, रसोई गैस, परिवहन की दरों में वृद्धि से लोगों को हुई परेशानी
भाजपा सरकार ने अभी पिछले दिनों ही बिजली दरों में भारी वृद्धि की जिससे घरेलू अर्थव्यवस्था पूरी तरह बिगड़ गई है।अखिलेश यादव ने कहा कि इसमें दो राय नहीं कि भाजपा सरकार ने अपने अब तक के कार्यकाल में सिर्फ जनसामान्य को परेशान करने वाली नीतियां एवं निर्णय ही अपनाए है। नोटबंदी-जीएसटी, बिजली, रसोई गैस, परिवहन की दरों में वृद्धि से समाज का हर वर्ग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। भाजपा सरकार के इन निर्णयों ने जनता को तबाही के कगार पर पहुंचा दिया है।
पावर कार्पोरेशन घोटालाः कांग्रेस ने साधा ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा पर निशाना
यूपी पावर कार्पोरेशन में हुए घोटाले को लेकर कांग्रेस ने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा पर निशाना साधते हुए कहा है कि ऊर्जा मंत्री को इस घोटाले की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। पार्टी का सवाल है कि भ्रष्टाचार पर जीरो टाॅलरेन्स की बात करने वाले मुख्यमंत्री क्या ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा, तत्कालीन चेयरमैन तथा एमडी को बर्खास्त कर उनके खिलाफ उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उनकी आपराधिक जिम्मेदारी सुनिश्चित करेंगे।
पार्टी ने योगी सरकार से कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई के निवेश की जानकारी के बारे में श्वेत पत्र जारी करने की मांग भी की है।
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ऊर्जा मंत्री के कार्यालय व आवास की विजिटर बुक की जांच की मांग
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने रविवार को मीडिया से कहा कि कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा के विजिटर बुक की जांच कर उनसे मुलाकात करने वाले उच्च स्तर पर घोटाले से जुड़े हुए लोगों का श्रीकान्त शर्मा के साथ सम्बन्ध का पर्दाफाश किया जाए।
शक्ति भवन में 15वीं मंजिल पर ऊर्जा मंत्री का कार्यालय व मंत्री आवास सहित उनके मथुरा के आवास राधा वैली के विजिटर बुक को जनता के सामने लाया जाए, ताकि पता चले कि कौन-कौन से लोग इस भ्रष्टाचार में जुड़े हैं।
कांग्रेस सड़क से लेकर सदन तक कर्मचारियों की लड़ाई लड़ेगी
पार्टी ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार और डीएचएफएल कंपनी की मिलीभगत के कारण यूपी पावर कार्पोरेशन के 45 हजार से ज्यादा कर्मचारियों के जीवन भर की कमाई डूब गयी है। पार्टी का कहना है कि सरकारी संरक्षण के कारण ही 28 जुलाई को घोटाले की पुष्टि होने के बावजूद समय रहते कोई कार्यवाही नहीं की गयी।
कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई को दोषी व्यक्तियेां से वापस कराने की जिम्मेदारी सरकार को सुनिश्चित करनी होगी। ऐसा न होने पर कांग्रेस सड़क से लेकर सदन तक कर्मचारियों की लड़ाई लड़ेगी।
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कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इस मामले में सरकार ने कुछ नीचे के अधिकारियों पर नाम मात्र की कार्यवाही की है। जबकि बीती 10 जुलाई को गुमनाम शिकायत के बाद 28 अगस्त को ही घोटाले की पुष्टि हो गयी थी फिर भी सरकार ने इस पर कोई कार्यवाही समय से जानबूझकर नहीं की।
उन्होंने कहा कि बिना सरकार के संरक्षण के इतना बड़ा घोटाला नहीं हो सकता। चूंकि भाजपा सरकार की डीएचएफएल कंपनी से मिलीभगत रही इसलिए कंपनी पर कार्यवाही करने के बजाय खुद को बचाने में लगी रही।
प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि डीएचएफएल कम्पनी में पावर कार्पोरेशन के कर्मचारियों के 99 प्रतिशत फण्ड को निर्धारित नियमों के विरूद्ध जाकर तीन प्राइवेट कम्पनियों में निवेशित किया गया जिसमें से अकेले 65 प्रतिशत डीएचएफएल को दिया गया।
इसमें से 1854 करोड़ रुपये एक एफडी. के माध्यम से एक साल के लिए और 2268 करोड़ रुपये की दूसरी एफडी. तीन साल के लिए दी गयी। पहली एफडी. दिसम्बर 2018 को मेच्योर होने के बाद वापस आ गयी लेकिन दूसरी एफडी. जो कि 2268 करेाड़ रुपये की थी, डूब गयी है।
वाधवान ने व्यक्तिगत तौर पर भाजपा को सबसे ज्यादा चंदा दिया
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लल्लू ने कहा कि डीएचएफएल एक डिफाल्टर कम्पनी है यह कम्पनी न तो सेबी में रजिस्टर्ड है न सुरक्षित है और तमाम निवेशकों ने पहले से इसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थीे। इसके बावजूद योगी सरकार ने इस कम्पनी में कर्मचारियों के भविष्य निधि का निवेश जारी रखा।
आश्चर्यजनक रूप से कर्मचारियेां का पैसा तब तक इस कम्पनी में निवेश किया जाता रहा जब तक इस कम्पनी ने स्वयं पैसा लेना बन्द नहीं किया। उन्होंने कहा कि कहा कि डीएचएफएल के मालिक वाधवान ने व्यक्तिगत तौर पर भाजपा को सबसे ज्यादा चंदा लगभग बीस करोड़ रुपये दिये। उन्होंने भाजपा और वाधवान के संबंधो का खुलासा करने की मांग भी की।
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