तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री की हिन्दी भाषा पर टिप्पणी, पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने यूं दिया जवाब

former Deputy CM Dinesh Sharma: पूर्व उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने कहा ज्ञानवान व्यक्ति ही अपनी मंजिल हांसिल करता है । भाषा की उपयोगिता वही समझ सकता है जिसने भाषा के महत्व को समझा है।

Newstrack :  Network
Published By :  Monika
Update: 2022-05-15 10:49 GMT

पूर्व उप मुख्यमंत्री डा0 दिनेश शर्मा (photo: social media ) 

former Deputy CM Dinesh Sharma:  उत्तर प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री श्री पोनमुडी (Sri Ponmudi) द्वारा हिन्दी के संबंध में की गई टिप्पणी को ओछी मानसिकता और अल्पज्ञान का परिचायक बताया है। उन्होंने कहा कि भाषा को न तो सीमाओं में बांटा जा सकता है और ना ही सीमाओं में बांधा जा सकता है। भाषा को किसी की वकालत की आवश्यकता नही होती। किसी व्यक्ति का मानसिक उन्नयन उसके ज्ञान पर होता है। ज्ञानवान व्यक्ति ही अपनी मंजिल हांसिल करता है । भाषा की उपयोगिता वही समझ सकता है जिसने भाषा के महत्व को समझा है। जिस व्यक्ति को जितनी अधिक भाषा का ज्ञान होता है उसकी वाणी उतनी ही प्रभावशाली लगती है।

उन्होंने कहा कि हिंदी के विरोध से अल्पकालीन राजनैतिक लाभ तो मिल सकता है किंतु ''सर्वे भवन्तु सुखिनः'' एवं ''वसुधैव कुटुम्बकम '' के संकल्प को पूरा नही किया जा सकता। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व नरसिंहाराव जी को नौ भारतीय व 7 विदेशी भाषाओं का ज्ञान था यही कारण था कि वे जिस सूबे में जाते थे उसके लोगों से उन्ही की भाषा में संवाद करके वे उसकी आत्मीयता बटोर लेते थे। हिन्दी भाषा का शब्दकोष संकुचित नही है यही कारण उसने अवधी, ब्रजभाषा और यहां तक दक्षिण भारत की विभिन्न भाषाओं को अंगीकार इस प्रकार किया है कि बोलचाल मे ंतो वे हिन्दी से अलग मालूम नही पड़ते। हिन्दी के इस विशाल दृष्टिकोण के कारण ही केन्द्र सरकार हिन्दी के साथ ही देश की सभी भाषाओं को महत्व दे रही है। उनका कहना था कि तामिलनाडु के मंत्री का हिन्दी के संबंध में दिया गया बयान न केवल बहुसंख्यक हिन्दीभाषियों का अपमान है बल्कि उस भाषा का भी अपमान है जिसे ''भारत माता की बिन्दी'' कहा जाता है।

पूर्व उप मुख्यमंत्री का बयान  

डा.  शर्मा ने कहा जहां तक हिन्दी का सवाल है , इसने आज सात समुंदर पार पहुंचकर अपना स्थान बना लिया है इसलिए जब प्रायः विदेशी राज्याध्यक्ष भारत में आते है तो वे हिन्दी में बोलकर भारतीयो से आत्मीयता बनाने का प्रयास करते है। भारत में हिन्दी सबसे अधिक बोली जाती है । दक्षिण भारत में भी ऐसे लोगों की संख्या अधिक है जो हिन्दी बोलते और समझते है। उनका कहना था कि हर भाषा में अच्छाइयां होती हैं इसलिए किसी को निम्नस्तर की या उच्चस्तर की बताना अल्पज्ञान का परिचायक है।

तामिलनाडु के मंत्री ने यह कहकर 'हिन्दी पढ़ने या बोलनेवाले पानी पूरी बेचते हैं'', अपनी संकुचित मानसिकता का परिचय दिया है। किसी व्यक्ति का मूल्यांकन उसके व्यवसाय से करने की जगह उसके गुणों से किया जाता है। एक ईमानदार और सच पर आचरण करनेवाले गरीब का स्थान एक महलों में रहनेवाले भ्रष्ट, बेइमान, झूठ बोलनेवाले से ऊंचा होता है। एक चरित्रवान व्यक्ति का तेज उसके चेहरे पर चमकता है। पानी पूरी बेचनेवाला गरीब इसलिए है कि उसने जीवन के उच्च आदशों का पालन किया है। वह मेहनत करके सच्चाई और ईमानदारी पर चलकर दो पैसे पाकर ऐसी सुख की अनुभूति करता है जैसे उसे एक अशर्फी मिल गई हो।

अंत में डा. शर्मा ने तामिलनाडु के मंत्री को सलाह दी है कि वे हिदी का अध्ययन करें तो उसकी विशेषता उनकी समझ में आ जाएगी और उन्हें आनन्द की अनुभूति तब और होगी जब वे तमिल और हिन्दी में तारतम्य स्थापित करेंगें क्योकि किसी कवि ने हिन्दी के बारे में कहा है कि

बिहरो बिहारी की विहार वाटिका में चाहे,

सूर की कुटी में अड़ आसन जमाइये।

केशव की कुंज में किलोल केलि कीजिये या,

तुलसी के मानस में डुबकी लगाईये।

देव की दरी में दुर दिव्यता निहारिये या ,

भूषण की सेना के सिपाही बन जाइये।

अन्य भाषा भाषियों मिलेगा मनमाना सुख

हिन्दी के हिंडोले में जरा तो बैठ जाइये।

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