कोरोना महामारी से लड़ाई में हुए खर्च को सार्वजनिक करें यूपी सरकार: अखिलेश
अधिकारियों द्वारा तालाबो, पोखरों और उजाड़ जगहों में क्वारंटाइन किए जाने वाले श्रमिकों को पशुओं से भी बुरी दशा में रखा जा रहा है और भाजपा सरकार इसे ही फाइवस्टार व्यवस्था बता रही है। उन्होंने कहा कि इसके विरोध में कई जगह डाक्टर, नर्स और श्रमिक भी प्रदर्शन कर चुके हैं।
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी के क्वारंटाइन सेन्टर्स को ‘यातना शिविर‘ करार देते हुए यूपी सरकार से अभी तक कोरोना वायरस की बीमारी से लड़ने पर खर्च का ब्यौरा सार्वजनिक करने की मांग की है। सपा अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री जांच और क्वारंटाइन स्थलों के बारे में बड़े-बड़े दावें करते हैं लेकिन इनकी हालत बेहद खराब और दयनीय है। अधिकारियों द्वारा तालाबो, पोखरों और उजाड़ जगहों में क्वारंटाइन किए जाने वाले श्रमिकों को पशुओं से भी बुरी दशा में रखा जा रहा है और भाजपा सरकार इसे ही फाइवस्टार व्यवस्था बता रही है। उन्होंने कहा कि इसके विरोध में कई जगह डाक्टर, नर्स और श्रमिक भी प्रदर्शन कर चुके हैं।
यातना शिविर बन गए है यूपी के क्वारंटाइन सेन्टर्स- अखिलेश
सपा अध्यक्ष ने शुक्रवार को कहा कि इन क्वारंटाइन सेन्टरों में घटिया खाना, दिये जाने के साथ वहां तैनात स्टाफ को समय से हाजिर न होने की भी शिकायतें आम है। राज्य सरकार की प्रशासनिक पंगुता और शिथिलता के चलते ही लोग अब निजी क्वारंटाइन सेन्टरों की ओर रूख कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण की जांच रिपोर्टों को लेकर भी विवाद होते रहते हैं। सरकारी अस्पतालों में भी मरीजों के प्रति आवश्यक निर्देशों का पालन नहीं होने की खबरें आती रही है।
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उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की बदइंतजामी और घोर लापरवाही का इससे बड़ा नमूना और क्या होगा कि वीवीआईपी जनपद गोरखपुर के सहजनवां ब्लाक में क्वारंटाइन सेन्टर में एक प्रवासी श्रमिक के बिस्तर में सांप घुस गया। श्रमिक की किस्मत अच्छी थी कि वह जिंदा बच गया। लेकिन कुछ दिन पहले गोण्डा में एक स्कूल के अंदर बने क्वारंटाइन सेन्टर में 16 साल के एक लड़के को सांप काटने से मौत हो गई।
उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है-सपा मुखिया
अखिलेश ने कहा कि लोगों की जिंदगी के साथ यह सरकार जैसा खिलवाड़ कर रही है वह अत्यंत दुखद और अमानवीय है। सपा मुखिया ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है लेकिन प्रशासन ने इसके प्रति उदासीनता का रवैया अपना लिया है। भाजपा सरकार की संकट से निबटने की इच्छाशक्ति भी कमजोर हो चली है। अब न तो कोई श्रमिकों की सुरक्षित और सम्मानित ढंग से वापसी में रूचि ले रहा है और न ही नागरिकों की जिंदगी-मौत के प्रति संवेदना जता रहा है। भाजपा सरकार प्रदेश की करोड़ों जनता को उसके भाग्य के भरोसे छोड़कर खुद निश्चिंत हो राजसुख भोगने में मग्न हो गई है।
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उन्होंने कहा कि श्रमिकों का संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है यह अस्तित्व की लड़ाई है तथा लम्बे समय तक संघर्ष जारी रहने वाला है। सरकार चालाकी से बसों की बहस चलाये रखना चाहती है जबकि बसों का विवाद निरर्थक है। इसे रोकना चाहिए, हजारों श्रमिक दूसरें राज्यों और सीमाओं में अभी भी फंसे हुए है। उनके बारे में उत्तर प्रदेश की सरकार संवेदनशील नहीं है। सपा अध्यक्ष ने कहा कि आज खबर मिली है कि यूपी व एमपी की सीमा पर अमझराघाटी में मजदूरों का सैलाब बढ़ता जा रहा है। इन दोनों प्रदेशों की निष्क्रिय भाजपा सरकारों ने मजदूरों की बेबसी को धोखा देने और प्रताड़ित करने का काम किया है।