गरीबों के लिए फ्लैट: योगी सरकार बनवा रही आवास, मिलेगा 5 हजार में...

कोरोना महामारी के कारण अन्य प्रदेशों में बसे यूपी के मजदूरों को राज्य में ही रोजगार उपलब्ध कराने के प्रयासों के बीच ही यूपी की योगी सरकार ने अब उनके लिए सस्ते आवासों के निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।

Update: 2020-09-20 09:37 GMT
गरीबों के लिए फ्लैट: योगी सरकार बनवा रही आवास, मिलेगा 5 हजार में...

लखनऊ: कोरोना महामारी के कारण अन्य प्रदेशों में बसे यूपी के मजदूरों को राज्य में ही रोजगार उपलब्ध कराने के प्रयासों के बीच ही यूपी की योगी सरकार ने अब उनके लिए सस्ते आवासों के निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। यूपी की राजधानी लखनऊ में इन आवासों का निर्माण भी शुरू हो गया है। इतना ही नहीं यूपी सरकार इन आवासों को प्रवासी मजदूरों को महज 05 हजार रुपये मासिक के किराये पर भी उपलब्ध करायेगी।

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प्रवासी मजदूरों के लिए 600 फ्लैट बनेगें

लखनऊ के ऐशबाग इलाके में औद्योगिक क्षेत्र की खाली पड़ी जमीन पर पर प्रवासी मजदूरों के लिए 600 फ्लैट बनाने के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण ने आर्किटेक्ट और निर्माण कंपनियों से बातचीत भी शुरू कर दी है। लखनऊ विकास प्राधिकरण की योजना यहां टू बीएचके और टू बीएचके प्लस स्टडी टाइप के फ्लैट बनाने की है। मल्टीस्टोंरी काम्पलेक्स के तौर पर बनने वाले इन आवासों में रेजिडेंशियल काम्पलेक्स में दी जाने वाली सभी सुविधाएं जैसे लिफ्ट, पावर बैकअप तथा सुरक्षा जैसी सभी सुविधाएं दी जायेंगी। इन फ्लैटों में प्रवासी मजदूरों, छात्रों तथा अन्य कम आय वाले लोगों को किरायें पर रहने की सुविधा दी जायेगी।

migrant-labour (social media)

किरायें के अलावा अगर कोई इनको खरीदना चाहता है तो उसे करीब 900 स्कवायर फिट में बने फ्लैट के लिए करीब 45 लाख रुपये का भुगतान करना होगा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इसे खरीदनें वालों को जीएसटी के तौर पर महज 01 प्रतिशत का ही भुगतान करना होगा। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत फ्लैट खरीदने वालों को इसके लिए लिए जाने वाले आवास ऋण पर सरकार सब्सिडी भी देगी।

मोदी सरकार की कैबिनेट ने अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग स्कीम को मंजूरी दी थी

बता दे कि मोदी सरकार की कैबिनेट ने कोरोना महामारी के कारण अपने-अपने प्रदेशों में लौटे प्रवासी मजदूरों की आवास की समस्यां को ध्यान में रखते हुए बीते जुलाई माह में अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग स्कीम को मंजूरी दी थी। इस स्कीम के तहत राज्य सरकारों को शहरी प्रवासियों और गरीबों के लिए किराये के घर विकसित करने है।

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प्रधानमंत्री आवास योजना की ही अगली कड़ी के तौर पर बनायी गई इस योजना में कंस्ट्रक्शन वर्कर्स, लेबर्स और प्रवासी मजदूर जैसे असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों और गरीबों को किफायती किराए पर आवास दिया जाना है। योजना में मौजूदा समय में खाली पड़ी सरकारी जमीन पर निर्माण करा कर या सरकारी वित्त पोषित घरों को अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में बदला जाना है।

मनीष श्रीवास्तव

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