पुराना हुआ अपराधियों का इतिहास खंगालना, पुलिस करने जा रही ये काम

डिजिटल दुनिया के बदलते दौर में अब अपराधियों का बच पाना मुश्किल होता जा रहा है। पुलिस अब एक ऐसा सिस्टम डेवलेप करन जा रही है जिसमें एक क्लिक पर अपराधियों को पूरा विवरण उपलब्ध होगा।

Update: 2020-09-22 14:18 GMT
पुराना हुआ अपराधियेां का इतिहास खंगालना, पुलिस करने जा रही ये काम (social media)

लखनऊ: डिजिटल दुनिया के बदलते दौर में अब अपराधियों का बच पाना मुश्किल होता जा रहा है। पुलिस अब एक ऐसा सिस्टम डेवलेप करन जा रही है जिसमें एक क्लिक पर अपराधियों को पूरा विवरण उपलब्ध होगा। क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) पोर्टल के जरिए अब पुलिस को अपराधियों की जानकारी पाने के लिए रजिस्टर नहीं खंगालने पड़ेंगे।

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पुलिस ने सभी जिलों में पत्रभेजकर कहा है

इस सम्बन्ध में पुलिस ने सभी जिलों में पत्रभेजकर कहा है कि जल्द ही इस दिषा में काम शुरू किया जाने वाला हे। इस सिस्टम के तहत वर्ष 2003 से दिसंबर 2012 तक हुए अपराधों व अपराधियों का इतिहास सीसीटीएनएस से जुड़ी डीएमयू एप्लीकेशन पर अपलोड किया गया है। अधिकारियों ने डाटा फीड करने के बाद सीडी मुख्यालय को भेज दी है।

यह काम पूरा हो जाने के बाद पुलिसकर्मी महज अपराधी का नाम सीसीटीएनएस पर डालकर उसके आपराधिक इतिहास की जानकारी झटपट पता कर सकेंगे। जिसके बाद पुलिस को अपराधियों का इतिहास पता करने के लिए पुलिस को विभिन्न थानों से अपराधी के संबंध में जानकारी लेने से निजात मिलेगी। हांलाकि पुलिस विभाग में कई ऐसे काम हो रहे है जो कि डिजिटल माध्यम से किए जा रहे हैं।

crime (social media)

पुलिस को अपराधियों के रिकॉर्ड खंगालने के लिए पुराने रजिस्टरों का ही सहारा लेना पड़ता है

परन्तु अक्सर पुलिस को अपराधियों के रिकॉर्ड खंगालने के लिए पुराने रजिस्टरों का ही सहारा लेना पड़ता है। इससे निबटने के लिए ही पुलिस ने अब डिजिटल प्लेटफार्म का सहारा लेने का मन बनाया है। इसके तहत अब जनरल डायरी (जीडी), एफआइआर, केस डायरी (सीडी), आरोप पत्र (चार्जशीट), अंतिम रिपार्ट (एफआर) से लेकर अन्य कार्य सीसीटीएनएस के तहत ऑनलाइन किए जा रहे हैं।

पुलिस मुख्यालय से इस सम्बन्ध में कई जिलों में पत्र भेजे गए हैं जिनमें कहा गया है कि वर्ष 2003 से दिसंबर 2012 तक हुए अपराधों व उनमें लिप्त अपराधियों का डाटा सीसीटीएनएस की डीएमयू एप्लीकेशन पर अपलोड किए जाए। इसके बाद 15 जून को थानावार टीम का गठन कर डीएमयू एप्लीकेशन पर डाटा डिजीटाइजेशन का कार्य प्रारंभ करा दिया गया था।

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पुलिस के एक आलाधिकारी ने बताया

पुलिस के एक आलाधिकारी ने बताया कि डाटा डिजीटाइजेशन के लिए अंतिम तिथि 31 अगस्त निर्धारित की गई थी। इस तिथि से पहले ही सभी थानों की टीमों द्वारा डाटा डिजीटाइजेशन का काम पूरा कर लिया था। इसके बाद सीडी बनाकर मुख्यालय भेज दी गई है। जिलों में इस दिशा में अपने काम भी शुरू कर दिए हैं। इस काम के लिए डीएमयू एप्लीकेशन की सीडी से इस डाटा को सीसीटीएनएस सॉफ्टवेयर पर अपलोड कर दिया जाएगा।

श्रीधर अग्निहोत्री

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