बिगाड़ा बसपा का खेल: राज्यसभा चुनाव में सपा आगे, अब बेनकाब होंगे चेहरे

उत्तर प्रदेश की राजनीति में राज्यसभा का चुनाव निर्णायक पाला खींचने वाला साबित होने जा रहा है। यह चुनाव अब तय कर देगा कि राजनीतिक खेमेबंदी में कौन-कौन दल एक साथ हैं और कौन साथ रहकर भी दूसरे आशियानों में डेरा डाले हुए हैं।

Update:2020-10-27 17:23 IST
बिगाड़ा बसपा का खेल: राज्यसभा चुनाव में सपा आगे, अब बेनकाब होंगे चेहरे (Photo by social media)

लखनऊ: राज्यसभा चुनाव में ऐन वक्त पर समाजवादी पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी का बना हुआ खेल बिगाड़ दिया है। सपा के प्रत्याशी प्रकाश बजाज का पर्चा दाखिल होते ही तय हो गया कि अब राज्यसभा की दसवीं सीट के लिए भी चुनाव होगा। सपा के इस दांव ने उन चेहरों को सामने आने के लिए मजबूर कर दिया है जो परदे के पीछे रहकर गलबहियां डाले हुए हैं।

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में राज्यसभा का चुनाव निर्णायक पाला खींचने वाला साबित होने जा रहा है। यह चुनाव अब तय कर देगा कि राजनीतिक खेमेबंदी में कौन-कौन दल एक साथ हैं और कौन साथ रहकर भी दूसरे आशियानों में डेरा डाले हुए हैं। समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा नामांकन के आखिरी दिन ऐन वक्त पर प्रकाश बजाज को अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया है। प्रकाश बजाज के पिता प्रदीप बजाज वाराणसी से विधायक रह चुके हैं। मूल रूप से देवरिया के निवासी हैं लेकिन वाराणसी में अच्छा कारोबार करने के साथ ही सामाजिक हैसियत भी रखते हैं। उन्हेंक काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्टी भी बनाया गया है। समाजवादी पार्टी से पुराना नाता है इसलिए अपने बेटे को समाजवादी पार्टी के अभियान का हिस्सा बना दिया है।

सपा के दांव से बसपा का बिगड़ा खेल

राज्यसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अब तक केवल अपना एक उम्मीदवार प्रो रामगोपाल यादव के तौर पर उतारा था। राज्यसभा चुनाव के लिए मतदाताओं की संख्या को देखते हुए सपा को केवल 36 प्रथम वरीयता मतों की जरूरत होगी। इसके बाद उसके पास 12 प्रथम वरीयता के मत शेष रहेंगे। जबकि बहुजन समाज पार्टी के कुल 14 विधायक हैं। उसने अपना प्रत्याशी रामजी गौतम को उतारा है। राज्यसभा चुनाव में बसपा ने पिछली बार सपा के समर्थन से बसपा अपना उम्मीदवार जिता चुकी है। इस बार माना जा रहा है कि बसपा ने भाजपा के सहयोग से अपना उम्मीदवार राज्यसभा में भेजने की तैयारी कर ली है।

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समाजवादी पार्टी ने बसपा का यही खेल बिगड़ने के लिए अपना दूसरा प्रत्याशी मैदान में उतारा है। सपा को प्रथम वरीयता के 12 और द्वितीय वरीयता के 36 मतों का सहारा है जबकि बसपा के पास प्रथम वरीयता के 14 मत ही हैं। ऐसे में उसका प्रत्याशी तब तक नहीं जीत सकता है जब तक भाजपा का साथ न मिले। सपा खेमे का कहना है कि भाजपा ने जानबूझकर अंतिम समय तक अलका दास और नरेश अग्रवाल का नाम राज्यसभा चुनाव की दौड़ में बनाए रखा। उनके नामांकन पत्र भी खरीदे गए लेकिन अंत तक पर्चा दाखिल नहीं हुआ। ऐसे में अब दसवीं सीट के लिए भी चुनाव होगा और तय हो जाएगा कि बसपा व भाजपा में सांठ-गांठ कितनी है। सपा का यह भी दावा है कि बसपा ने इस बार चुनाव के लिए सपा से सहयोग भी नहीं मांगा है।

क्या है राज्यसभा चुनाव का गणित

राज्यसभा चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व और एकल हस्तांतरणीय वोट पर आधारित होते हैं । इसमें पहले दौर के प्रत्याशी का चुनाव करने के बाद, अतिरिक्त वोट दूसरे दौर में शेष उम्मीदवार को चले जाते हैं। यूपी विधानसभा के वर्तमान आंकड़ों के हिसाब से राज्यसभा प्रत्याशी की जीत के लिए प्रत्येक पार्टी के उम्मीदवार को कम से कम 36 विधायकों का मत मिलना जरूरी है। इस आधार पर भाजपा अपने 305 विधायक के बूते पर आठ सीट जीत जाएगी लेकिन नौवीं सीट समाजवादी पार्टी के हिस्से में चली जाएगी।

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दसवीं सीट के लिए भाजपा के नौ विधायक और सहयोगी अपना दल के भी नौ विधायक एक साथ वोट कर सकते हैं लेकिन इससे 37 का आंकड़ा पूरा नहीं होता। कांग्रेस के दो विधायक पहले ही पाला बदल कर चुके हैं और उनके क्रास वोट करने पर भाजपा के उम्मीदवार को 20 मतों का जुगाड़ हो जाएगा। रालोद विधायक के बारे में भी भाजपा खेमा अपना दावा कर रहा है। ऐसे में कांग्रेस के पांच, सपा के शेष 12, सुहेलदेव भारतीय जनता पार्टी के चार मत मिलकर बराबर की टक्कर देंगे।

अखिलेश तिवारी

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