UP News: यूपी में तैयार हो रहीं स्मार्ट सिटी में घोटाले की आशंका, सीएजी को नहीं मिली बहीखाते की सही जानकारी
UP News Today: सीजीए रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि बीते सात सालों में चुने हुए 8 शहरों में से 7 शहरों ने आज तक अपनी बहीखाता की वार्षिक रिपोर्ट नहीं दी है। ऐसे में सीएजी ने इन सात शहरों में खर्च हुए स्मार्ट सिटी योजना के पैसों में घोटाले की आंशका है।
UP News: जब सरकार द्वारा किसी सरकारी योजना की समीक्षा नहीं होगी तो योजना से जुड़े हुए अधिकारी व कंपनियां मनामने ढंग से काम तो करेंगी ही। हो सकता है कि योजना में इस्तेमाल होने वाले पैसे का गबन तक हो जाए। एक योजना पर सीएजी की रिपोर्ट इस बात का इशारा कर रही है। दरअसल, लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी मिशन की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत सात साल पहले उत्तर प्रदेश के 8 शहरों को चुना गया। 8 स्मार्ट शहर बनाने के लिए 2100 करोड़ रुपए खर्च हो गए है, लेकिन इन पैसों को कहां, कब और कैसे खर्चा किया गया, जिसका उत्तर किसी भी योजना से जुड़े जिम्मेदार अधिकारी के पास नहीं था। इसका सटीक उत्तर न मिलने से सीएजी अब इसमें घोटाले होने की संभावना जताई जा रही है।
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7 शहर में घोटले की आशंका, रिपोर्ट न देने पर कानुपर टॉप स्थान पर
केंद्र सरकार ने साल 2015 में स्मार्ट सिटी योजना की शुरुआत की थी। इस योजना में देश भर के 100 शहर शामिल थे, जिसमें 11 प्रदेश जुड़े हुए हैं। इन 11 प्रदेश में उत्तर प्रदेश भी जुड़ा हुआ है। इसमें यूपी के 8 शहरों स्मार्ट बनाने के लिए चुना गया था। सीजीए रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि बीते सात सालों में चुने हुए 8 शहरों में से 7 शहरों ने आज तक अपनी बहीखाता की वार्षिक रिपोर्ट नहीं दी है। केवल आगरा ही एक मात्र शहर जो सालाना बहीखाते की रिपोर्ट प्रस्तुत करता था। ऐसे में सीएजी ने इन सात शहरों में खर्च हुए स्मार्ट सिटी योजना के पैसों में घोटाले की आंशका है। रिपोर्ट में बताया गया कि सालाना रिपोर्ट न देने के मामले पर पहले स्थान पर कानपुर, और दूसरे स्थान राजधानी लखनऊ है, जबकि झांसी और अलीगढ़ तीसरे स्थान है।
कंपनियों ने नियमों का किया उल्लंघन
सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक, जब चयनित हुए 8 शहरों की जांच की गई तो इसमें 7 शहरों के पैसों के खर्च को लेकर कोई जबाव नहीं था कि पैसा कहां, कब और कैसे खर्च किया गया है। यूपी के इन शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने के लि कुल 2100 करोड़ रुपये खर्च किये गए। इन सवालों को जबाव नहीं मिलने पर सीएजी गंभीर देखते हुए चिंता जाहिर की है और रिपोर्ट ने कहा कि इन शहरों में स्मार्ट सिटी बनाने में जुड़ी कंपनियों ने नियमों का उल्लंघन किया है। सीएजी ने कहा कि सालाना रिपोर्ट सही नहीं मिलने की वजह से स्मार्ट सिटी के फायदे-नुकसान आंकलन नहीं हो सका है। पैसे की निवेश और खर्च की सही ढंग से जांच नहीं की जा सकी है।