नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने यूपी के शिक्षामित्रों की याचिका पर कहा अब किसी को अंतरिम राहत नहीं दी जाएगी। केस में अब अंतिम बहस होगी। मामले पर अगली सुनवाई 24 अगस्त को होगी। इससे पहले आज जस्टिस रोहिंग्टन नरीमन ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। क्योंकि वे इस केस में पैरवी कर चुके हैं। गौरतलब है कि इस फैसले का इंतजार शिक्षामित्र सहित 72,825 सहायक अध्यापकों को है।
कोर्ट का सख्त रुख
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने आदेश दिया था कि मामले की अगली सुनवाई के दिन एक भी शिक्षामित्र कोर्ट में नहीं आना चाहिए। यदि एक भी शिक्षामित्र कोर्ट में घुसा तो मामले की सुनवाई नहीं की जाएगी। कोर्ट ने यह चेतावनी सुनवाई के दिन शिक्षामित्रों की कोर्ट में होने वाली भीड़ को देखते हुए दी थी।
भीड़ से सुनवाई में होती है परेशानी
कोर्ट ने यह चेतावनी सुनवाई के दिन शिक्षामित्रों की कोर्ट में होने वाली भीड़ को देखते हुए दी थी। पीठ ने कहा था कि 300 आदमी कोर्ट कक्ष में आ जाते हैं, जबकि उसमें 15-20 लोगों के खड़े होने की जगह है। ऐसे में सुनवाई बहुत मुश्किल हो जाती है। वहीं कुछ लोग ऐसे चेहरे बनाकर खड़े हो जाते हैं। कुछ रोने की स्थिति में होते हैं। ऐसे में हम सुनवाई नहीं कर सकते।
पिछले साल से चल रही सुनवाई
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में पिछले साल से इस मामले पर सुनवाई चल रही है। कोर्ट के आदेश पर बीते साल 1,37,000 शिक्षामित्रों को समायोजित कर उत्तरप्रदेश में प्राथमिक शिक्षक के पद पर लिया गया है। शिक्षामित्रों के लिए पेश वकील मीनेश दुबे की दलील है कि जो छात्र टीईटी पास हैं, उन्हें नौकरी से नहीं हटाया जा सकता।
पहुंच रही ढेरों चिट्ठियां
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में चिट्ठियां लिखने से बात नहीं बनेगी। हमें इस मामले में हिंदी और अंग्रेजी में बहुत चिट्ठियां आ रही हैं, लेकिन हमने इन चिट्ठियों के लिए वेस्ट पेपर बास्केट का इंतजाम किया है।