वाराणसी: प्रदूषण की रोकथाम के लिए होगी पैसों की बारिश, बनी बड़ी योजना

वाराणसी में प्रदूषण की रोकथाम के लिए शासन स्तर पर बड़ी योजना बनी है। इसमें वायु से लेकर जल प्रदूषण को केंद्रित किया गया है। प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप को थामने के लिए सरकार पानी की तरह पैसे बहाने को तैयार है।

Update:2021-03-04 19:08 IST
प्रदूषण का प्रकोप कम करने के लिए बनारस पर होगी पैसों की बौछार, केंद्र सरकार ने अधिकारियों को सौंपा टास्क

वाराणसी: वाराणसी में प्रदूषण की रोकथाम के लिए शासन स्तर पर बड़ी योजना बनी है। इसमें वायु से लेकर जल प्रदूषण को केंद्रित किया गया है। प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप को थामने के लिए सरकार पानी की तरह पैसे बहाने को तैयार है। इसके तहत धन उपलब्धता 15वें वित्त से की जाएगी। केंद्रीय शहरी एवं आवासन विकास मंत्रालय की ओर से जारी शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि 15वें वित्त आयोग के तहत जारी रकम की आधी धनराशि प्रदूषण नियंत्रण के लिए खर्च की जाएगी। इससे वायु से लेकर जल प्रदूषण को नियंत्रित करने का प्रयास किया जाएगा।

यहां लगेंगे प्रदूषण जांच करने वाले यंत्र

केंद्र सरकार ने सभी राज्यों, नगर निगमों के लिए नियमावली जारी की है। सरकार ने यह फैसला नगरीय सुविधाओं के साथ मानव के बेहतर स्वास्थ्य के मद्देनजर किया है। सरकार ने कमेटी बनाने का निर्देश जारी किया है। कमेटी में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी, नगर आयुक्त के साथ ही मेयर को सदस्य बनाया गया है। शहर में तीन जगहों पर वायु प्रदूषण की जांच के लिए यंत्र लगाया जाएगा। ये यंत्र बीएचयू, क्वींस कालेज लहुराबीर और जलकल विभाग भेलूपुर में लगेंगे।

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इन पर चार करोड़ 20 लाख रुपये खर्च होंगे. इसके साथ ही नाली व सड़क के बीच में बची साइड पटरी पर इंटरलॉकिंग की जाएगी शहर को स्मार्ट तरीके से विकसित करते हुए ग्रीन सिटी बनाने की योजना है। नालों को ढंका जाएगा, शहर में कचरा प्रबंधन वैज्ञानिक तरीके से होगा। शहर को कचरा घर मुक्त किया जाएगा और कचरा जलाने पर जुर्माना होगा। रामनगर में जहां गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई 10 एमएलडी क्षमता की एसटीपी का निर्माण कर रहा है तो वहीं, वाराणसी विकास प्राधिकरण ने सीवर लाइन बिछाने का निर्णय लिया है। इस पर करीब 45 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है।

जहरीली हो गयी है हवा

पुराणों में वर्णित आनंदवन कभी हरियाली और नदी, तालाबों-कुण्डों से घिरा हुआ था। मतलबी इंसान ने इसे खत्म करके बनारस को कंक्रीट के जंगल में तब्दील करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसका खामियाजा भी उसे ही भुगतना पड़ रहा है। अंधाधुंध होते डेलवपमेंट वर्क, कल-कारखानों की लम्बी श्रृंखला और गाड़ियों के अंतहीन काफिले यहां की हवा में जहर घोल रहे हैं। इस शहर में हर कोई हर सांस के साथ जहर अपने शरीर में पहुंचा रहा है। हालात जब बद से बदतर हो गए हैं तो जिम्मेदार लोगों ने इससे बचने का उपाय सोचना शुरू किया है। शहर के प्रमुख इलाकों में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है।

हवा में प्रदूषक तत्वों की मात्रा का आलम यह है कि कई बार बनारस देश का सर्वाधिक प्रदूषित शहर बन गया. शहर के प्रमुख इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स चार सौ के पार तक पहुंच गया था। 31 जनवरी की रात को ही एयर क्वालिटी इंडेक्स 431 तक पहुंच गया था, जौनपुर का 412 और मडियाहूं का 378 रहा। शहर की बात करें तो आईक्यूएयर के आंकड़ों के अनुसार लंका का एयर क्वालिटी इंडेक्स 431 और नाटी इमली रोड का 372 रहा। कुछ दिनों पहले बौलिया का एयर क्वालिटी इंडेक्स 441 दर्ज किया गया था तो कैंट स्टेशन का 427 रहा।

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प्रदूषण से बढ़ रही है बीमारी

प्रदूषण का असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। जहरीला हवा में सांस लेने की वजह से लोगों के फेफड़े संक्रमित हो रहे हैं। आंखों में जलन की शिकायत आम होती जा रही है। प्रदूषण का असर लोगों की स्कीन पर भी पड़ रहा है। पिछले कुछ सालों में स्कीन डिजिज से प्रभावित मरीजों की संख्या अस्पतालों में काफी बढ़ी है। हरियाली की वजह से शहर के कुछ इलाके जैसे कैंटोनमेंट, बीएचयू, डीएलडब्ल्यू में प्रदूषण की मात्रा कुछ कम तो रही है लेकिन कई बार वहां भी स्थित खतरनाक स्तर तक पहुंच जाती है।

रिपोर्ट: आशुतोष सिंह

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