Mirzapur News: "तकलीफ तो बहुत है मगर कोई सुनने वाला नहीं", जानिए क्या है पूरी खबर
डीजल बहुत महंगा हो गया है, इस वक्त 92 रुपया लीटर डीजल खरीद रहे हैं, ट्रैक्टर से जोताई करना मुश्किल हो गया है। डीजल के मुद्दे पर सरकार को कोई फिकर नहीं है। वह कहते हैं कि जिस प्रकार सरकार खाद बीज पर सब्सिडी देती है उसी प्रकार सरकार को डीजल पर भी किसानों को सब्सिडी देनी चाहिए, नहीं तो किसानी बंद हो जाएगी।
Mirjapur News: कड़ी धूप के साथ उमस भरी गर्मी में हम जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर मड़िहान तहसील के रजौहा गांव के सुगापांख दोपहर में पहुंचे। वहा पर सड़क के किनारे खड़ा होकर खेतो की तरफ निहारने लगा। तब वहां गांव की महिलाएं किसानों के खेतों में धान की रोपाई कर रही थीं, जिसके बाद हम खेतांे में धान की रोपाई देखने निकल पड़े। हम किसान के खेत पर पहुंचे तो वहा मशीन से खेतों में सिंचाई करके रोपाई के लिए खेत तैयार किया जा रहा था। खेत देखने के बाद हम गांव के किसान विजय शंकर के घर उनसे बातचीत करने के लिए निकल पड़े। बारिश नही हो रहा है, लेकिन किसानों का कहना है बारिश नहीं हो रही है, धान की नर्सरी तैयार है, खेती नही करेंगे तो बेहन खराब हो जाएगा। इसलिए मशीन में डीजल डालकर खेती कर रहे है, महंगा डीजल होने के कारण हम खेती करने को मजबूर हैं। बिजली भी महंगी है लेकिन जब बिजली आती है तो पानी चलाते हैं। बिजली गुल होती है तो मशीन से सिंचाई करते हैं। किसानों से बातचीत में उन्होंने बताया हम मर रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। महंगाई आसमान पर है।
आसमान छू रहा डीजल का रेट
उनके घर पहुंच कर जब न्यूस्ट्रैक ने किसान पन्नालाल सोनकर से बातचीत किया तो वह बताते हैं कि वह 10 बीघा धान की खेती करते हैं, वह बताते है कि खेती बाड़ी महंगी पड़ जा रही है, डीजल महंगा हो रहा है, डीएपी खाद भी महंगी हो गई है। वह बताते है कि एक बीघा खेती में कुल 13 हजार रुपए की लागत से धान की खेती कर रहे हैं। वह बताते हैं कि कुल 10 बीघे की खेती में 1.50 से 2.00 लाख तक कुल लागत लग जाता है, वह बताते हैं कि 130 क्विंटल तक धान का पैदावार हो जाता है। वह बताते हैं कि यह पहाड़ी इलाका है लेकिन हम किसान हैं अपनी व्यवस्था पूरी करके रखे हैं, पानी के लिए बोरिंग, समर्सिबल पंप, मोनोब्लॉक, पाईप की व्यवस्था किए हैं। अपने साधन से है। जिसकी मद्द से हम पहले खेती कर रहे हैं। वह बताते हैं कि इस वर्ष डीजल बहुत महंगा हो गया है, इस वक्त 92 रुपया लीटर डीजल खरीद रहे हैं, ट्रैक्टर से जोताई करना मुश्किल हो गया है। डीजल के मुद्दे पर सरकार कोई फिकर नही है। वह कहते हैं कि जिस प्रकार सरकार खाद बीज पर सब्सिडी देती है उसी प्रकार सरकार को डीजल पर भी किसानों को सब्सिडी देनी चाहिए। नही तो किसानी बंद हो जाएगी।
'मर रहे हैं हम कोई सुनने वाला नहीं'
विजय शंकर पांडेय (64 ) किसान हैं, इनके पास 20 बीघा जमीन है, यह न्यूस्ट्रैक से बातचीत में बताते हैं कि वह धान, चना, मटर, गेहूं की खेती करते हैं। वह 20 बीघा धान की खेती करते हैं, वह बताते हैं कि धान की खेती में कुल एक बीघे में 12000 रुपए की लागत लगता है। वह बताते हैं कि डीजल 92 रुपया लीटर हो गया है, क्या करें सरकार की जो व्यवस्था है, उससे मर रहे हैं हम। पैदावार की जो स्थिति है, महंगाई इतनी है, मजदूरी महंगी हो गई है। सस्ते रेट में धान की बिक्री होती है, सही रेट नहीं मिलता। कभी पैदावार अच्छा हुआ तो सस्ते रेट बस बिकता है बेचते है। कभी-कभी सूखा पड़ जाता है। पहाड़ी इलाका है पानी की समस्या है, बिजली महंगी है। तकलीफ तो बहुत कुछ है लेकिन सुनने वाला नहीं है।
जिला कृषि अधिकारी पवन कुमार ने न्यूस्ट्रैक से बातचीत में बताया कि 86256 हेक्टेयर में धान की खेती की गई थी। पिछले वर्ष की गई थी, इस वर्ष कुल खेती करने का लक्ष्य 87116 हेक्टेयर है।