Mirzapur News: विंध्यवासिनी मंदिर ऐसी शक्तिपीठ, जिसका प्रलय के बाद भी रहेगा अस्तित्व
Mirzapur News : मिर्जापुर स्थित आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी देवी देश के 51 शक्तिपीठों में से एक हैं।
Mirzapur News : विंध्य क्षेत्र (Vindhya region) ऐतिहासिक आध्यात्मिक एवं प्राकृतिक धरोहर से समृद्ध ऐसा अनूठा क्षेत्र है, जिसे जहां एक ओर दीर्घ विंध्य पर्वत श्रृंखला का सानिध्य प्राप्त होता है, तो वहीं ऐतिहासिक किलो, भवनों, गुफाओं, भित्ति चित्रों, शैलाश्रयो, अति प्राचीन जीवाश्म, मनोरम जीवन व कल-कल झरनों, नदियों से परिपूर्ण प्राकृतिक सौंदर्य के दुर्लभ आकर्षण विरासत के रूप में विद्यमान हैं।
मिर्जापुर (Mirzapur) स्थित आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी देवी (Vindhyavasini Devi) देश के 51 शक्तिपीठों में से एक हैं। यह एक ऐसी जागृत शक्तिपीठ है जिसका अस्तित्व सृष्टि आरंभ होने से पूर्व और प्रलय के बाद भी रहेगा। पुराणों में विंध्य क्षेत्र का महत्व तपोभूमि के रूप में वर्णित है। यही कारण है कि शास्त्रों में विंध्य नगरी में त्रिकोण परिक्रमा का विशिष्ट महत्व बताया गया है। जिसके अंतर्गत श्रद्धालु जन इस पावन नगरी में मां विंध्यवासिनी के दर्शन के पश्चात मां काली को मां अष्टभुजा तथा अन्य देवासियों की परिक्रमा यात्रा करते हैं। महाभारत के विराट पर्व में धर्मराज युधिष्ठिर ने भी देवी की स्तुति की है।
आध्यात्मिक मान्यताभागवत के दशम स्कंध में कथा आती है कि सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने जब सबसे पहले अपने मन से स्वायंभुव मनु और शतरूपा को उत्पन्न किया, तब विवाह करने के उपरांत स्वायंभुव मनु ने अपने हाथों से देवी की मूर्ति बनाकर 100 वर्षों तक कठोर तप किया। उनकी तपस्या से संतुष्ट होकर भगवती ने उन्हें निष्कंटक राज्य, वंश वृद्धि एवं परम पद पाने का आशीर्वाद दिया। आशीर्वाद देने के बाद महादेवी विंध्याचल पर्वत पर चली गई। लोग मानते है सृष्टि का विस्तार उनके ही शुभाशीष से हुआ है। आध्यात्मिक मान्यता है कि देवी दुर्गा और दानव और राजा महिषासुर के बीच पौराणिक युद्ध विंध्याचल में हुआ था यही कारण है कि देवी विंध्यवासिनी का दूसरा नाम महिषासुर मर्दिनी है। विंध्याचल का मंदिर समाज की शक्तियों पर दैवीय नारी शक्ति की महान जीत का साक्षी है।
विंध्य कॉरिडोर एवं पर्यटन विकास कार्य
मिर्जापुर स्थित आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर एक अत्यंत प्रसिद्ध आस्था का केंद्र है। जहां प्रतिवर्ष प्रदेश एवं अन्य राज्यों के लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। विशेष रूप से नवरात्रि के अवसर पर विंध्य धाम गंगा नदी के तट पर स्थित है। जहां प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना अर्थगंगा के अंतर्गत जल क्रीड़ा एवं साहसिक पर्यटन की अपार संभावनाएं विद्यमान है। इसके साथ ही साथ विंध्याचल के समीप अनेक जलप्रपात भी स्थित है। विंडमफाल कुशेराफाल, टांडा फाल जहां पर ईकोटूरिज्म की अत्यधिक संभावनाएं विद्यमान है। मां विंध्यवासिनी देवी के वृहद पर्यटन विकास पर्यटन विभाग द्वारा लगभग 128 करोड़ की कार्ययोजना तैयार की गई है। जिसमें विंध्यवासिनी देवी कॉरिडोर तथा मंदिर पर परकोटा एवं परिक्रमा पथ का निर्माण किया जाएगा।