Sonbhadra News: 22 इकाइयों की बंदी से यूपी में गहराया बिजली संकट, पीक आवर में 1240 मेगावाट बिजली की कमी

अनपरा, ओबरा, शक्तिनगर में आठ इकाइयों की बंदी के साथ ही राज्य में कुल 22 इकाइयों की बंदी से जहां 6830 मेगावाट बिजली की उपलब्धता प्रभावित हुई है।

Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2021-08-03 06:54 GMT

 सोनभद्र: 22 इकाइयों की बंदी से यूपी में गहराया बिजली संकट

Sonbhadra News: राज्य उत्पादन विद्युत निगम के प्रबंध निदेशक पी गुरुप्रसाद के सोनभद्र दौरे से लौटने के साथ ही कई इकाइयों की बंदी और सूबे में गहराए बिजली संकट से शक्ति भवन तक हड़कंप की स्थिति बन गई है। अनपरा, ओबरा, शक्तिनगर में आठ इकाइयों की बंदी के साथ ही राज्य में कुल 22 इकाइयों की बंदी से जहां 6830 मेगावाट बिजली की उपलब्धता प्रभावित हुई है। वही सोमवार की रात पीक आवर में 1230 मेगावाट बिजली की पड़ी कमी ने पावर सेक्टर में हाय तौबा की स्थिति बना कर रख दी है। यह हालात तब हैं जब बारिश के चलते सोनभद्र के साथ ही प्रदेश के अन्य ग्रामीण इलाकों में कई जगह विद्युत आपूर्ति बाधित चल रही है। बिजली की अधिकतम मांग भी 20,000 मेगावाट के इर्द-गिर्द रह रही है।

लखनऊ में तैनाती के बाद सोनभद्र दौरे पर पहली बार आए एमडी पी गुरु प्रसाद ने दावा किया था कि 20 माह से बंद चल रही अनपरा डी की 500 मेगावाट वाली दूसरी इकाई और 40 माह से बंद चल रही ओबरा की 200 मेगावाट क्षमता वाली 13वीं इकाई को गत शनिवार को ही उत्पादन पर ले लिया जाएगा। उम्मीद जताई थी कि इससे 700 मेगावाट सस्ती बिजली की उपलब्धता बढ़ जाएगी लेकिन जहां ओबरा की लंबे समय से बंद चल रही इकाई अभी तक उत्पादन पर नहीं आ सकती है। वहीं यहां की उत्पादन पर चल रही दो और इकाइयां बंद हो गई हैं, जिसके चलते परियोजना का उत्पादन घटकर 200 से 250 मेगावाट के इर्द-गिर्द रह गया है। उधर, दूसरी तरफ अनपरा डी की दूसरी इकाई को सोमवार की सुबह आठ बजे के करीब उत्पादन पर लाने में सफलता तो मिल गई लेकिन पावर सप्लाई सिस्टम में प्रॉब्लम आने के कारण कुछ घंटे बाद ही इकाई को बंद करना पड़ा।


अनपरा की 500 मेगावाट वाली चौथी इकाई भी ठप

स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के अनुसार अब इस इकाई को पांच अगस्त तक उत्पादन पर आने की संभावना जताई जा रही है। वहीं अनपरा की 500 मेगावाट वाली चौथी इकाई से भी उत्पादन ठप हो गया है जिसे देर रात तक या बुधवार सुबह तक उत्पादन पर ले आने का दावा किया जा रहा है। वहीं एनटीपीसी शक्तिनगर की 500 मेगावाट वाली और 200 मेगावाट वाली एक-एक इकाई बंद चल रही हैं। उन इकाइयों को भी पांच अगस्त के बाद ही उत्पादन पर आने की संभावना जताई जा रही है। इसी तरह, लैंको अनपरा की 600 मेगावाट वाली दूसरी इकाई ब्वॉयलर ट्यूब लीकेज के चलते दो दिन से बंद पड़ी है। उसे भी उत्पादन पर आने में दो से तीन दिन का वक्त लगने की संभावना है।


वहीं राज्य के दूसरे हिस्से में स्थापित रोजा परियोजना की चार और टांडा स्थित पावर प्रोजेक्ट की चार इकाइयों से उत्पादन ठप हो गया है। उन इकाइयों को आठ से दस अगस्त तक उत्पादन पर आने की उम्मीद है। मेजा की 660 मेगावाट वाली एक इकाई भी तीन दिन से बंद पड़ी है। राज्य सेक्टर की हरदुआगंज परियोजना की दो इकाई से 28 जुलाई से और परीक्षा परियोजना की तीन इकाइयों से एक अगस्त से उत्पादन ठप पड़ा है। उनसे भी उत्पादन शुरू होने में आठ से दस अगस्त तक का वक्त लग सकता है। इसके चलते जहां अभी कुछ दिन और प्रदेश में बिजली संकट की स्थिति देखने को मिल सकती है। वहीं बारिश थमने के साथ ही धीरे-धीरे बिजली की मांग में हो रही बढ़ोतरी ने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अधिकारियों के माथे पर बल ला दिया है। बता दें कि बरसात के समय आए फाल्ट के चलते कई ट्रांसमिशन लाइनों में भी दिक्कत की स्थिति बनी हुई है। इससे आने वाले कुछ दिन तक ताबड़तोड़ कटौती की भी स्थिति बन सकती है।



बिजली की मांग 20,000 मेगावाट के पार, करनी पड़ी आपात कटौती

नार्दन रीजन लोड डिस्पैच सेंटर और स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश में बिजली की अधिकतम मांग एक बार फिर से 20,000 मेगावाट को पार करते हुए 20,541 मेगावाट पहुंच गई। वहीं 10,000 मेगावाट के नीचे चल रही न्यूनतम मांग मंगलवार की सुबह 7:17 बजे 10,577 मेगावाट दर्ज हुई। सोमवार की रात पीक आवर में मांग लगभग 16,000 मेगावाट से बढ़कर अचानक से 18,134 मेगा वाट पहुंच गई। अचानक से बढ़ी मांग ने जहां सिस्टम कंट्रोल के पसीने छुड़ा दिए। वही महंगी बिजली खरीदने के साथ ही 1230 मेगावाट की आपात कटौती करानी पड़ी।


रिहंद में पानी की बढ़ोत्तरी जारी, जलस्तर पहुंचा 854.2 फीट

रिहंद जलाशय में पानी की बढ़ोतरी का क्रम जारी है। कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार की सुबह यहां का जल स्तर 854.2 रिकॉर्ड किया गया। पिछले वर्ष के जलस्तर के मुकाबले यह 2.2 फीट अधिक है। बताया गया कि बारिश थमने के कारण पानी बढ़ने की गति धीमी हो गई है लेकिन छत्तीसगढ़ के तरफ से पानी आ रहा है। इसलिए बांध के जलस्तर में धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी का क्रम अभी बना रहेगा।

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