Sonbhadra News: कई नेताओं को नजरबंद करने के बाद सपा कार्यकर्ताओं को तहसील जाने से रोक रही पुलिस

Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-07-15 05:43 GMT

समाजवादी पार्टी के नेताओं को प्रदर्शन से पहले हिरासत में ले गई पुलिस (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Sonbhadra News: कानून व्यवस्था, बढ़ती मंहगाई महिलाओं के साथ बढ़ते अपराध, जिला पंचायत अध्यक्ष और प्रमुख चुनाव में लोकतंत्र के दमन आदि मसलों को लेकर गुरुवार को सभी तहसील मुख्यालयों पर आयोजित प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस अलसुबह से ही जी-तोड़ कोशिश करती रही। कई को घर में ही नजरबंद कर दिया गया तो कई को घर से निकलते ही रोक दिया गया वही जो लोग घरों से बाहर निकल गए थे। उनको रोककर थाने पर बिठा लिया गया। फिर भी सपा के लोग दूसरे रास्तों से तहसील मुख्यालय पहुंचने की कोशिश में जुटे हुए थे वहीं पुलिस उन्हें ढूंढ़कर रोकने में लगी हुई थी।

जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव से लेकर अब तक सपा को रोकने के लिए पुलिसिया तंत्र का इस्तेमाल जारी है। बृहस्पतिवार को सपा का 16 सूत्री मांगों को लेकर तहसीलों पर प्रदर्शन और राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपने की योजना मूर्त रूप न लेने पाए, इसके लिए धारा 144 का हवाला देकर पुलिस बुधवार देर रात से ही सक्रिय हो गई। प्रमुख सपा नेता कहां हैं? किसके साथ हैं? प्रदर्शन को लेकर उनकी रणनीति क्या है? इसकी जानकारी जुटाने की कोशिश के साथ ही बृहस्पतिवार को पौ फटने के साथ ही प्रमुख सपा नेताओं के घर पर पुलिस का पहरा बिठाने का काम शुरू कर दिया गया।

राबर्टसगज में पूर्व विधायक राबर्ट्सगंज अविनाश कुशवाहा और पूर्व विधायक घोरावल रमेश चंद्र दुबे के घर पर पुलिस की मौजूदगी सुबह से ही दिखने लगी। आठ बजे के करीब रमेश चंद्र दुबे घर से बाहर निकले तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया। वह नजरबंद किए जाने का आरोप लगाते रहे। वहीं पुलिस शांति व्यवस्था का हवाला देती रही। उधर ओबरा में जिलाध्यक्ष विजय यादव, बिजौरा में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अनिल यादव, सरंगा में पूर्व जिलाध्यक्ष श्याम बिहारी यादव, अनपरा में पूर्व जिलाध्यक्ष संजय यादव सहित अन्य सपा नेताओं के दरवाजे पर पुलिस का आना-जाना लगा रहा।


चोपन में समाजवादी अल्पसंख्यक सभा के प्रदेश सचिव नजमुद्दीन इदरीसी को भी घर में ही नजरबंद कर दिया गया। अनपरा से रवि कुमार बड़कू, प्रशांत सिंह, गैवीनाथ यादव आदि की अगुवाई में दुद्धी तहसील के लिए चले काफिले को अनपरा में ही रोककर सभी को थाने में बिठा लिया गया। इसी तरह चोपन, दुद्धी, बभनी, जुगैल, घोरावल, पन्नूगंज, रायपुर, शाहगंज, कोन, ओबरा, पिपरी, विंढमगंज म्योरपुर आदि थाना क्षेत्रों में पुलिस प्रमुख सपा नेताओं के घर पर पहरा बिठाने के साथ ही, घर से बाहर निकल चुके सपा नेताओं को तलाशने और उन्हें रोककर थाने में बिठाने में लगी रही। सपा नेताओं कहना था कि वह शांतिपूर्ण तरीके से मांगों को लेकर ज्ञापन देने जा रहे थे लेकिन पुलिस उन्हें रोककर लोकतंत्र का हनन कर रही है। सपा के लोगों ने 1971 के आपातकाल के बाद पहली बार इस तरह की स्थिति दिखने का आरोप भी लगाया। कहा कि जनता 2022 के विधानसभा चुनाव में इसका जवाब देकर रहेगी।

यह है मांग

* किसानों को उनकी फसलों का लाभकारी मूल्य दिया जाए एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) की गारंटी दी जाए।

* प्रदेश में किसानों का गन्ने का बकाया भुगतान 15 हजार करोड़ रुपये तत्काल दिये जाए।

* किसानों के ऊपर जो काला कृषि कानून थोपा जा रहा है उसे तत्काल वापस लिया जाए।

* बढ़ती मंहगाई (डीजल-पेट्रोल, रसोईं गैस, खाद, बीज, कीट नाशक दवाएं, कृषि यंत्र इत्यादि) पर रोक लगाई जाए।

* बेरोजगार नौजवानों को रोजगार दिया जाए।

* उत्तर प्रदेश में ध्वस्त कानून व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए।

* महिलाओं के साथ हो रहे अपराध पर रोक लगाई जाए।

* समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खां और उनके परिवार व पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न बन्द हो तथा उनके ऊपर फर्जी मुकदमे दर्ज करना तत्काल बंद किया जाए।

* उत्तर प्रदेश भाजपा सरकार द्वारा किए जा रहे संगठित अपराध को अविलम्ब बंद किया जाए।

* उत्तर प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को तत्काल दुरुस्त किया किया जाए।

* बढ़ते भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जाए।

* कोरोना काल में सरकार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की जांच कराई जाए और मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिया जाए।

* जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में हुई धांधली एवं हिंसा की जांच कराई जाए। जांच में पाए गए दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाई की जाए और पुनः मतदान कराया जाए।

* पत्रकारों के ऊपर लगातार हो रहे हमले और हत्याओं पर रोक लगाई जाए।

* दलित वर्ग तथा अल्पसंख्यक वर्ग पर हो रहे अत्याचार बन्द हों।

* पिछड़े वर्ग को अनुमन्य 27 प्रतिशत आरक्षण में कटौती बन्द हो।

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