बिजली का हाहाकार : यूपी में इन जगहों पर घंटों से बत्ती गुल, अगले 24 घंटों में हालात और भी होंगे खराब

यूपी में लगातार कोयले की कमी बिजली संकट की स्थिति बनाए हुए है। अगले 24 घंटों में हालात और बदतर होने के आसार हैं।

Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-10-17 09:22 GMT

बिजली (फोटो : सोशल मीडिया )

Bijali Koyala Sankat : अभूतपूर्व बिजली संकट में अनपरा के स्टाक में एक दिन का कोयला बचा है, आधी क्षमता से चलाई जा रही हैं इकाइयां, 13 परियोजनाओं के हालात बेहद क्रिटिकल हो चुके हैं।, सोनभद्र सहित कई जनपदों में घंटों कटौती(coal crisis) की जा रही है। अगले 24 घंटों में हालात और बदतर (electricity crisis in up) होने के आसार हैं।

यूपी में लगातार कोयले की कमी बिजली संकट (Bijali Koyla Sankat) की स्थिति बनाए हुए है। सरकार की तरफ से हालात सुधारने को लेकर किए जा रहे प्रयासों के बावजूद कुछ ही परियोजनाओं की स्थिति सुधर पाई है। अभी भी जहां 16 परियोजनाओं में कोयला स्टॉक(coal crisis) की स्थिति खराब बनी हुई है। वहीं 13 परियोजनाएं ऐसी हैं जहां के हालात बेहद (electricity crisis in up)क्रिटिकल स्थिति में पहुंच चुके हैं।

एक दिन का ही कोयला स्टाक शेष

हालात यह हैं कि प्रदेश में सबसे सस्ती बिजली देने वाली राज्य सेक्टर की 2630 मेगावाट वाली अनपरा बिजली परियोजना में एक दिन का ही कोयला स्टाक (coal crisis)शेष रह गया है। इसको देखते हुए लगभग दो दिन से यहां की इकाइयां आधी क्षमता से ही चलाई जा रही हैं।

उधर, 1200 मेगावाट लैंको परियोजना में बीच में 600 मेगावाट वाली एक इकाई बंद होने के कारण कोयला (coal crisis) का स्टाक तीन दिन से बढ़कर पांच दिन का हो गया है। बंद इकाई के उत्पादन पर आने के बाद यह परियोजना पूरी क्षमता से उत्पादन पर आ गई है, लेकिन रविवार की सुबह से यहां की भी इकाइयों से आधी क्षमता के करीब ही उत्पादन लिया जा रहा है।

सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी की तरफ से यूपी की बिजली परियोजनाओं में कोयला स्टाक (coal crisis) को लेकर रविवार को आए अपडेट के मुताबिक राज्य सेक्टर की अनपरा, पारीक्षा, निजी सेक्टर की प्रयागराज, एनटीपीसी की ऊंचाहार और टांडा परियोजना में एक दिन का ही कोयला स्टॉक(coal crisis) बचा हुआ है। निजी सेक्टर की उतरौल और मेजा परियोजना में दो दिन का कोयला स्टाक शेष है। राज्य सेक्टर की ओबरा, केंद्र सेक्टर के दादरी में तीन दिन का कोयला शेष बना हुआ है।

काफी कम कोयला स्टाक (coal crisis) को देखते हुए उपरोक्त सभी परियोजनाओं को अतिसंवेदनशील स्थिति की श्रेणी में रखा गया है और हालात को देखते हुए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की तरफ से यहां की स्थितियों पर नजर भी रखी जा रही है।

मकसूदपुर में 5 दिन का कोयला स्टाक

इसी तरह ललितपुर में चार दिन, मकसूदपुर में 5 दिन, रोजा में 5 दिन का कोयला स्टाक(coal crisis) मौजूद है लेकिन केंद्रीय इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी इन परियोजनाओं को मिलने वाले कोयले और यहां की खपत को दृष्टिगत रखते हुए इन परियोजनाओं की स्थिति को क्रिटिकल मानकर चल रही है।

लैंको में पांच दिन का कोयला स्टाक है। कोयला खदान से सटी परियोजना होने के कारण इसे संवेदनशील की स्थिति से बाहर कर दिया गया है लेकिन रविवार को जिस तरह से यहां की इकाइयां कम क्षमता से चलाई जा रही हैं, उसने पावर सेक्टर(electricity crisis in up) की चिंता बढ़ा दी है।

बता दें कि यहां से भी बिजली राज्य सरकार को महज तीन रुपए प्रति यूनिट में उपलब्ध है। एनटीपीसी की सिंगरौली और रिहंद परियोजना में कोयला स्टॉक आठ-आठ दिन का बने रहने से यहां की स्थिति बेहतर मानी जा रही है।

सरकार बारिश को मान रही कोयला संकट का कारण


यूपी में ताजा कोयला संकट (Bijali Koyla Sankat)के पीछे प्रदेश सरकार बारिश को कारण मान रही है। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने ट्वीट के जरिए अवगत कराया है कि बरसात के कारण कोयला आपूर्ति में व्यवधान आया है।

उन्होंने स्थिति को देखते हुए उपभोक्ताओं से अपील की है कि जरूरत भर ही बिजली का उपयोग करें क्योंकि आपूर्ति सुचारू बनाए रखने के लिए राज्य सरकार को एनर्जी एक्सचेंज से लगातार महंगी बिजली(electricity crisis in up) खरीदनी पड़ रही है।

बकाए का बोझ राज्य के लिए बड़ा मसला

कोयले की आपूर्ति की एवज में कोल इंडिया का राज्य सेक्टर की परियोजनाओं पर 14 सौ करोड़ से अधिक का बकाया बड़ा मसला बना हुआ है। लगभग एक पखवाड़े से कोयला की बेहतर आपूर्ति में यह बकाया एक बड़े रोड़े के रूप में सामने आया है।

कोल इंडिया ने बकाया वाली परियोजनाओं को दी जाने वाली कोयले की आपूर्ति जहां कम कर रखी है। वहीं पावर सेक्टर से जुड़े विभिन्न संगठन भी इसको लेकर चिंता जता रहे हैं लेकिन अब तक इस मसले का हल नहीं निकाला जा सका है।

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र द्विवेदी की मानें तो राज्य उत्पादन निगम का उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन पर 9000 करोड़ का बकाया है। उसमें से महज 14 सौ करोड़ कोल इंडिया को भुगतान कर दिया जाए तो कोयले की आपूर्ति बेहतर हो सकती है लेकिन इस पर ध्यान देने की बजाय महंगी बिजली खरीदने(electricity crisis in up) पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।

उनकी बातों पर यकीन करें तो उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन का राज्य के सरकारी विभागों पर 1500 करोड़ से अधिक की रकम बिजली बिल के बकाया के रूप में पड़ी हुई है। अगर सरकार इन्हीं विभागों की रकम अदा करवा दे तो ताजा संकट(Bijali Koyla Sankat) का हल निकाला जा सकता है।

दिखने लगा असर, होने लगी घंटों कटौती

लगभग एक पखवाड़े से लगातार खराब स्थिति के बावजूद कोयला संकट(Bijali Koyla Sankat) का हल अब तक न निकलने का असर बिजली आपूर्ति पर दिखने लगा है। गांव कौन कहे, शहरों में भी घंटों कटौती ने लोगों को रुलाना शुरू कर दिया है। सोनभद्र के जिला मुख्यालय पर शनिवार को दोपहर से लेकर देर रात तक लगातार 10 घंटे गुल (electricity crisis in up)रही बिजली ने लोगों को रुला कर रख दिया।

ग्रामीण इलाकों में भी घंटों बिजली गुल रही। इसको लेकर पन्नूगंज फीडर से जुड़े एक व्हाट्सएप ग्रुप का मैसेज भी लोगों के बीच वायरल होता रहा, जिसमें ग्रिड में गड़बड़ी आने तक के दावे किए जाते रहे। इसी तरह अन्य जनपदों से भी बिजली गुल (Bijali Koyla Sankat)होने की सूचनाएं मिलती रहीं।

कोयला संकट पर नियंत्रण के हो रहे प्रयास

अनपरा परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक आरसी श्रीवास्तव ने कहा कि कोयला संकट(coal crisis) से जूझ रही अनपरा परियोजना, जल्द ही से बाहर निकल जाए इसके प्रयास जारी हैं। मुख्यालय के अधिकारियों से भी लगातार संपर्क बना हुआ है। रविवार को उनके यहां कोयले का स्टॉक एक से डेढ़ दिन का ही शेष रह गया है। स्थिति को देखते हुए इकाईयों को कम क्षमता पर चलाया जा रहा है।

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