Exclusive Interview: गए थे नौकरी मांगने पनिका जी ने थमा दिया टिकट, साक्षात्कार के दौरान विजय सिंह गोंड ने साझा किये अपने जीवन के कुछ खास पल
Exclusive Interview: मैं हमेशा से महात्मा गांधी के विचारों का अनुयायी रहा हूं। सादा जीवन-उच्च विचार मेरे जीवन की प्राथमिकता है। हमेशा मैंने सामान्य कीमत वाले खादी कपड़े पहने। अब तक यहीं मेरी पसंद है।
Exclusive Interview: पूर्व सांसद स्व. रामप्यारे पनिका के बाद प्रदेश में आदिवासियों के सबसे बड़े नेता के रूप में पहचान बनाने वाले विजय सिंह गोंड का 41 साल का राजनीतिक सफर खासा दिलचस्प है। अचानक से 1980 में सियासी इंट्री कर राजनीतिक पंडितों को चौंकाने वाले विजय सिंह अब तक के सियासी सफर में उत्तर प्रदेश के सबसे पिछड़े और आदिवासी बहुल सोनभद्र के दक्षिणांचल की न केवल पहचान बन चुके हैं बल्कि खुद को आदिवासियों के राजनीतिक चेहरे के रूप में प्रतिष्ठित भी करने में कामयाब रहे हैं।
यह बात दीगर है कि सात बार के अविजित विधायक रहे पूर्व परिवार कल्याण राज्य मंत्री विजय सिंह गोंड़ को 2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते 1000 वोट के मामूली अंतर से अपना दल एस के उम्मीदवार हरिराम चेरो से शिकस्त सहनी पड़ी । लेकिन इस शिकस्त में मोदी लहर कम, अति आत्मविश्वास उनके लिए ज्यादा नुकसानदायक साबित हुआ। महज एक इशारे से दुद्धी विधानसभा का सियासी समीकरण पलटने की क्षमता रखते वाले विजय सिंह गोंड़ इस बार 2022 के चुनावी समर को लेकर अभी से मैदान में उतर चुके हैं ।गांव-गांव बैठकें, लोगों से संपर्क का दौर शुरू कर दिए हैं। उनके इस व्यस्त शिड्यूल के बीच न्यूज ट्रैक ने उनके राजनीतिक सफर, उनकी जीवनशैली और मौजूदा समय के राजनीतिक परिदृश्य के प्रति उनकी सोच आदि मसलों पर उनसे खुलकर बात की, जिस पर उन्होंने कुछ इस तरह से बेबाक टिप्पणी की...।
प्रश्न- आप राजनीति में नहीं आते तो क्या करते?
उत्तर- आपका सवाल काफी दिलचस्प है। बचपन से मेरी दिली इच्छा चिकित्सा के क्षेत्र में जाने की थी। बीएससी की पढ़ाई के बाद एमबीबीएस बनने की तरफ कदम भी बढ़ाया लेकिन आर्थिक तंगी के चलते बीच में ही मेडिकल की पढ़ाई छोड़नी पड़ी। इसके बाद कई साल बनवासी सेवा आश्रम में नौकरी की.,एक सामान्य जीवन जीता रहा।1980 में अचानक से पूर्व सांसद स्व. रामप्यारे पनिका ने विधायक प्रत्याशी के रूप में सियासी दुनिया में इंट्री कराई। उसके बाद से अब तक जनता के समर्थन की बदौलत उनका राजनीतिक सफर जारी है।
प्रश्न- आपको खाने-पहनने में क्या पसंद है?
उत्तर - मैं हमेशा से महात्मा गांधी के विचारों का अनुयायी रहा हूं। सादा जीवन-उच्च विचार मेरे जीवन की प्राथमिकता है। हमेशा मैंने सामान्य कीमत वाले खादी कपड़े पहने। अब तक यहीं मेरी पसंद है। भोजन में भी सामान्य भोजन, खासकर घर का भोजन सबसे प्रिय है।
प्रश्न- राजनीति के अलावा आपका और किस काम में समय व्यतीत होता है?
उत्तर- राजनीति के अलावा खेती-बाड़ी, इससे बचे समय में लोगों के बीच रहकर उनका दुखदर्द जानने और उनकी मदद करने में समय व्यतीत करता हूं।
प्रश्न- वर्तमान राजनीति में बदलाव चाहते हैं क्या? यदि हां, तो कैसा?
उत्तर- राजनीति में शिक्षित, खासकर उच्च शिक्षित उत्तर-लोगों की ज्यादा से ज्यादा मौजूदगी जरूरी है। क्योंकि उच्च शिक्षित व्यक्ति, बेहतर शैक्षिक रणनीति और दूसरों को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करता है। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि कम पढ़े-लिखे तथा निरक्षर लोग इसलिए विधायक चुनकर सदन में पहुंच जा रहे हैं, क्योंकि आबादी की एक बड़ी संख्या अभी भी बेहतर शिक्षा से दूर है। उसे शिक्षा के प्रति जागरुक कर दिया जाए, तो कई समस्याएं खुद ब खुद दूर हो जाएंगी।
प्रश्न- जिंदगी का सबसे बेहतरीन क्षण, जिसे याद करना चाहेंगे?
उत्तर- 1980 का वह समय, जब हमें एक अदद अच्छी नौकरी की तलाश थी। उस समय सांसद रहे स्व. रामप्यारे पनिका से जुड़ा । एक व्यक्ति उनके पास संदेश लेकर पहुंचा कि उन्हें सांसद जी ने बुलाया है। वह उस व्यक्ति के साथ उसके साइकल के पीछे स्थित कैरियर पर बैठकर उनके पास पहुंचे। रास्ते भर यह सोचता रहा कि पिताजी ने उनसे मेरे लिए एक अच्छी नौकरी दिलाने का निवेदन किया था। हो सकता है उसी सिलसिले में बुलाया गया है ।लेकिन वहां पहुंचने पर अचानक से पनिका ने वहां मौजूद कांग्रेस के दूसरे नेताओं से परिचय कराया कि 1980 के विधानसभा चुनाव में दुद्धी विधानसभा सीट से विधायक की यहीं उम्मीदवारी करेंगे। कहां मैंने नौकरी की सोचा था। यहां बुलाकर सीधे विधायक का टिकट थमा दिया गया। वह एक ऐसा पल था, जिसे वह कभी नहीं भूलना चाहेंगे।
प्रश्न -जिंदगी की ऐसी कोई घटना, जिसने आपको सबसे ज्यादा दुख पहुंचाया हो?
उत्तर-2017 का विधानसभा चुनाव..। 80 से अब तक सियासी सफर में जनता, खासकर आदिवासी तबके को वन विभाग, पुलिस और दबंगों के उत्पीड़न से निजात दिलाई। उनके हर दुख-दर्द का साथी बना। उनके जीवन स्तर में सुधार के लिए हर संभव प्रयास किया। जनता ने भी चाहे किसी दल से रहे हों या निर्दल जीत का सेहरा मेरे सिर सजाए रखा। 2012 के चुनाव में मेरी बिरादरी को एसटी सीट में शामिल होने के कारण, चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिल पाया । लेकिन मैंने जिसके लिए इशारा किया जनता ने उसे भी जिता दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट तक आदिवासियों की लड़ाई लड़ते हुए जनपद की दो विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित भी कराने में कामयाबी पा ली । लेकिन जब अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण सुनिश्चित कराने के बाद 2017 के चुनाव में उम्मीदवारी की तो जीत का सेहरा बांधती आ रही जनता के बीच के कुछ लोगों की वजह से हमें 1000 वोट से हार सहनी पड़ गई। यह एक ऐसा वाकया है, जिसे वह शायद ही भूल पाऊँ।
प्रश्न- बच्चों को राजनीति में उतारना चाहेंगे?
उत्तर- राजनीति में उच्च शिक्षित लोगों का प्रवेश हो, इसके लिए अपने बीए, एलएलबी डिग्रीधारी बेटे को 2017 के चुनाव में ओबरा विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा था। लेकिन अफसोस की बात है कि जनता ने शिक्षित उम्मीदवार की बजाम कम पढ़े-लिखे उम्मीदवार पर ज्यादा भरोसा किया। गर्व की बात यह है कि अब बेटा, जिसे वर्तमान में दिखावे और झूठे वादों के राजनैतिक परिदृश्य में विधायक के लिए स्वीकार नहीं किया गया। वह अपनी योग्यता के बल पर मुंसिफ मजिस्ट्रेट के पद पर चयनित होकर जनता को न्याय दिलाने में लगा हुआ है।
प्रश्न- विधायक निधि के बारे में आपकी राय क्या है? इसे भ्रष्टाचार का कारण मानते हैं या विकास के लिए जरूरी।
उत्तर- यह जनप्रतिनिधि की सोच पर निर्भर करता है। अगर जनप्रतिनिधि इमानदार है तो विधायक निधि का एक-एक रूपया जनता के विकास में खर्च करेगा। वहीं अगर उसकी नियत गलत है तो यह भ्रष्टाचार का माध्यम बन जाएगा। निधि का जनता के हित में सदुपयोग हो, इसके लिए जरूरी है कि शिक्षित और इमानदार उम्मीदवार को ही जिताया जाए।
प्रश्न- पहले या किसी चुनाव की कोई घटना शेयर करना चाहेंगे?
उत्तर- कोई वैसी बात नहीं है। हां, इतना जरूरी है कि पुरानी और अब की राजनीति के बीच काफी फर्क आ चुका है। कभी लोगों ने चुनाव में सपोर्ट के नाम पर उनके राजनीतिक गुरू रामप्यारे पनिका के खिलाफ उनका इस्तेमाल करने की कोशिश की थी। ऐसे लोगों से सदैव सतर्क रहने की जरूरत है।
प्रश्न- फिर से विधायक बनने का मौका मिलता है तो जनता के लिए क्या करना चाहेंगे?
उत्तर- सोनभद्र उत्तर प्रदेश का सबसे पिछड़ा जिला है। उसमें दुद्धी क्षेत्र सोनभद्र का सबसे पिछड़ा क्षेत्र है। यह स्थिति तब है जब यहां की बिजली पूरे प्रदेश को रौशन करती है। यहां की खनिज संपदा पूरे देश में खुशहाली लाने का माध्यम बनी हुई है । लेकिन यहां के आदिवासी अभी भी शैक्षिक और आर्थिक दोनों रूप से पिछड़े हुए हैं। उनकी प्राथमिकता इस क्षेत्र से पिछड़ेपद का दाग हटाने की है। इसके लिए वह ट्रिब्यूनल एडवाइजरी कमेटी के गठन, आदिवासियों की शिक्षा के लिए गांव-गांव आश्रम पद्धति विद्यालय, संविधान की सातवीं अनुसूची को प्रभावी बनाने, आदिवासियों के विकास के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की लड़ाई लड़ रहे हैं। विधायक चुने जाने के बाद इसे मूर्तरूप देना मेरी पहली प्राथमिकता होगी।