Jharkhand के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने हेमंत सोरेन से पूछा- 'बालू को सोना किसने बनाया?' गरमा गई UP की सियासत

सोनभद्र और जिले से सटे झारखंड राज्य में बालू के कई खदानों के संचालन की अनुमति जारी होने के बावजूद उच्च स्तर पर बालू की कीमत को लेकर आम लोगों में नाराजगी बनी हुई है।

Written By :  Kaushlendra Pandey
Update:2022-06-15 20:47 IST

Jharkhand Former Health Minister Bhanu Pratap Shahi (File Photo)

Sonbhadra News : सोनभद्र और जिले से सटे झारखंड राज्य में बालू के कई खदानों के संचालन की अनुमति जारी होने के बावजूद उच्च स्तर पर बालू की कीमत को लेकर आम लोगों में नाराजगी बनी हुई है। इस धंधे में लगातार बढ़ती माफिया की पैठ भी लोगों के लिए चिंता का सबब बनती जा रही है। वहीं, बुधवार शाम झारखंड के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और भवनाथपुर से तीसरी बार के बीजेपी विधायक भानुप्रताप शाही (Bhanupratap Shahi) की तरफ से बुधवार की शाम बालू को लेकर किए गए ट्वीट को लेकर सियासत गरमा गई है।

बीजेपी विधायक ने ट्वीट के जरिए जहां बालू की उपलब्धता को लेकर बनी संकट की स्थिति पर सवाल उठाए। वहीं, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेने (Chief Minister Hemant Sorene) से जवाब मांगा है। इस ट्वीट की आड़ में यूपी, खासकर सोनभद्र में बालू को लेकर बनी स्थिति पर सवाल दागे जाने लगे हैं। भानुप्रताप 2022 के विधानसभा चुनाव में सोनभद्र में चुनाव प्रवासी की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इसलिए जिले की स्थितियों के लिहाज से भी उनके इस ट्वीट के मायने निकाले जाने लगे हैं।

'सीएम सोरेन आपको जवाब देना ही होगा'

गौरतलब है कि, बुधवार (15 जून) की शाम 4 बजे के करीब भानु प्रताप के ट्विटर हैंडल (Twitter handle of Bhanu Pratap) से झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को एक ट्वीट किया गया। उसमें लिखा कि, 'प्रिय मुख्यमंत्री जी, ...पिछले तीन महीने से बालू को लेकर सारे कार्य बंद हैं। सरकारी भी और व्यक्तिगत भी। आखिर बालू को सोना किसने बनाया? बालू को पेर कर तेल किसने निकाला? माफिया की नजर बालू पर इतना क्यों है? सवालों का जवाब जनता जानना चाहती है, आपको देना ही होगा..।

बहस बढ़ी, सवाल-जवाब का दौर शुरू 

जैसे ही यह ट्वीट सामने आया, एक-दूसरे पर सवाल दागे जाने का क्रम शुरू हो गया। इसके जवाब में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की जामतारा इकाई की तरफ से ट्वीट दागा गया कि एनजीटी (NGT) का आदेश नहीं पढ़ पाते ! सिर्फ ईडी वाला 130 करोड़ का दवा घोटाला का आदेश पढ़ पाते हो शाहीप्रताप जी! इसके बाद से एक-दूसरे पर सवाल दागने का दौर चल पड़ा। एक पक्ष जहां एनजीटी की तरफ से 10 जून से 15 अक्टूबर तक बालू उठान पर रोक लगाए जाने के आदेश का हवाला दे रहा है। वहीं जवाब मांग रहे पक्ष का कहना है कि 10 जून से पहले बालू आसानी से क्यों उपलब्ध नहीं था? पांच माह तक विकास कार्य कैसे ठप रह सकते हैं? बालू स्टाक पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया? वहीं इस ट्वीट की आड़ में सोनभद्र से भी सवाल दगने शुरू हो गए हैं।

कम से कम अवैध वसूली से तो बख्श दें

रिट्वीट करते हुए कहा, कि 'विधायक जी यूपी के दुद्धी में कनहर नदी और चोपन के सोन नदी से बालू का कार्य तेजी से हो रहा है। लेकिन, 100 फीट बालू के एवज में 4 हजार की अदायगी करने के बाद भी रास्ते में वन विभाग, एआरटीओ, खनन विभाग, बालू लाने वाले से रुपए नोंच ले रहे हैं। एक नजर इधर भी पड़नी चाहिए। कम से कम ट्रैक्टर वालों को अवैध वसूली से बख्श दिया जाना चाहिए।' बताते चलें कि खाद्य पदार्थों की बढ़ती बेतहाशा महंगाई जहां अलग बड़ा मसला बनी हुई है। वहीं, बालू-गिट्टी की बढ़ी कीमतों ने पक्के मकान की चाहत रखने वाले मध्यम वर्ग का दिवाला निकाला हुआ है।

बीजेपी सरकार में सिंडीकेट पर लगाम 

हालत यह है कि जिले में बालू की आधा दर्जन खदानों के संचालन की अनुज्ञा जारी हो चुकी है, लेकिन अभी भी बाजारू कीमत प्रति सौ घन फीट पांच हजार के इर्द-गिर्द बनी हुई है। जबकि 2017 में भाजपा की सरकार आने से पहले यह कीमत 18 सौ से दो हजार के आस-पास थी। इस समय जहां अवैध खनन के साथ ही, वसूली का एक बड़ा सिंडीकेट चलने की बात चर्चा में रहती थी। वहीं, सूबे में भाजपा सरकार आने के बाद वसूली के कथित सिंडीकेट पर तो लगाम लग गई, लेकिन दोगुने-तिगुनी कीमत पर परमिट की बिक्री, जगह-जगह इसके ढुलाई-खनन के नाम पर होने वाली कथित वसूली का मसला अब भी बड़ी चुनौती बना हुआ है।

बड़ा सिंडीकेट का गोरखपुर कनेक्शन 

दिलचस्प मसला यह है, कि फर्जी परमिट को लेकर भी एक बड़ा सिंडीकेट काम कर रहा है। इसका जुड़ाव सीएम योगी की नगरी गोरखपुर तक से होने की बात सामने आ चुकी है। वहीं, ओवरलोड, बगैर परमिट के वाहनों के संचालन को लेकर सीएम तक को कैमरे के सामने आने आकर अधिकारियों को सख्ती की हिदायत देनी पड़ी है। बावजूद गिट्टी-बालू के दाम में कमी आने की बजाय, उसमें जब-तब उछाल और कीमत का ऊंचा स्तर बना हुआ है।

वहीं, दो दिन पूर्व ही जुगैल क्षेत्र में बिजौरा से लेकर सेमिया घोरिया के बीच बालू का बड़े स्तर पर अवैध खनन की बात सामने आई है। मामले के डैमेज कंट्रोल के लिए दो सिपाहियों पर गाज भी गिराई भी जा चुकी है, लेकिन सवाल उठता है कि जहां कई बार अवैध खनन को लेकर वीडियो सामने आ चुकी है। खुद अधिकारियों की स्तर से इसको लेकर निर्देश जारी हो चुके हैं, बावजूद सिर्फ दो सिपाहियों को ही जिम्मेदार माना जाना, लोगों की समझ में नहीं आ रहा है। वह भी तब, जब दो दिन पहले ही एक प्रशासनिक अधिकारी के कथित ड्राइवर द्वारा अपने खेत से मिट्टी से खुदाई करने वाले किसान से भी रूपये मांगने का वीडियो वायरल हो चुका है। वनकर्मियों की संलिप्तता को लेकर सवाल उठाए जाते रहे हैं सो अलग।

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