Sonbhadra: कनहर को लेकर गरमाई सियासत, बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश शुरू हुई, चुनाव के बाद 11 गांव बनेंगे अतीत

Sonbhadra: 2022 विधानसभा चुनाव के बाद कनहर परियोजना के डूब क्षेत्र में आने वाले 11 गांवों को जहां पूरी तरह से अतीत बनने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़नी शुरू हो जाएगी।

Newstrack :  Vidushi Mishra
Update: 2022-01-18 11:27 GMT

 कनहर

Sonbhadra: विधानसभा चुनाव की तिथियां नजदीक आने के साथ ही कनहर परियोजना के डूब क्षेत्र को लेकर सियासत शुरू हो गई है। 2022 विधानसभा चुनाव के बाद कनहर परियोजना के डूब क्षेत्र में आने वाले 11 गांवों को जहां पूरी तरह से अतीत बनने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़नी शुरू हो जाएगी। वहीं चिन्हित किए गए विस्थापितों को मुआवजा राशि देने की प्रक्रिया भी लगभग अंतिम चरण में पहुंच चुकी है।

ऐसे समय में विस्थापन राशि दोगुनी करने, लड़कियों को भी वारिस मानते हुए विस्थापन पैकेज का लाभ देने और प्रत्येक विस्थापित को नौकरी देने की की मांग ने एक बार फिर से कनहर परियोजना को सियासत का केंद्र बनाना शुरू कर दिया है।

बताते चलें कि गत छह अक्टूबर 1976 को तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी से जुड़ी महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना 'कनहर' की आधारशिला सूबे के तत्कालीन सीएम नारायन दत्त तिवारी की तरफ से रखी गई थी। इसके बाद 1978 से 1982 तक इस परियोजना के डूब क्षेत्र में आने वाली एरिया के अधिग्रहण की कार्रवाई चलती रही।

1984 में अचानक से परियोजना का कार्य ठप पड़ गया। लंबे समय तक ठप पड़े रहे परियोजना के कार्य में वर्ष 2012 में सपा की सरकार बनने के बाद फिर से तेजी और और परियोजना निर्माण का कार्य आगे बढ़ाने के साथ ही लोगों के विस्थापन और उनको विस्थापन लाभ देने की प्रक्रिया भी तेज कर दी गई।

वर्षों तक काम ठप रहने के बाद अचानक आई तेजी ने विस्थापन के दायरे में आने वाले लोगों को बेचैन कर दिया और विस्थापन बचाओ, कनहर परियोजना बनाओ.. के नारे के साथ अलग-अलग बैनर तले आंदोलन शुरू हो गए।

सियासत का केंद्र रही कनहर परियोजना 

सरकारी तंत्र अपनी गति से आगे बढ़ता रहा और वर्ष 2014 में भारत सरकार की तरफ से लागू भूमि-अधिग्रहण कानून-2013 के तहत विस्थापित परिवारों को तीन पीढ़ियों तक विस्थापन लाभ देने का आदेश जारी कर परियोजना का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया।

इसके तहत तीन पीढ़ियों के शादीशुदा लोगों को पात्र मानते हुए प्रत्येक को 7.11 लाख का विस्थापन पैकेज देने के निर्देश निर्गत कर दिए गए। 2017 में भाजपा की सरकार आने के बाद भी कनहर परियोजना के निर्माण को लेकर तेजी बनी रही और विस्थापन पैकेज वितरण करने के साथ ही परियोजना के निर्माण कार्य में तेजी लाने को लेकर कवायद चलती रही।

प्रशासन की तरफ से तैयार की गई विस्थापन सूची के परिप्रेक्ष्य में अधिकांश लोगों को मुआवजे की राशि दी जा चुकी है और विस्थापित हो रहे लोगों के निवास के लिए पुनर्वास कालोनियों के निर्माण का काम भी तेजी पर है। ..लेकिन 2012 से अब तक सियासत का केंद्र रही कनहर परियोजना को लेकर एक बार फिर से सियासत गरमाने लगी है।

लड़कियों को भी वारिस का दर्जा देते हुए दिया जाए विस्थापन पैकेज का लाभः

कनहर (Kanhar project) में लड़ी जा रही विस्थापितों की लड़ाई के केंद्र में रहे गंभीरा प्रसाद ने एक बार फिर से आंदोलन की चेतावनी देकर सियासी गर्माहट बढ़ा दी है। आंदोलन की तैयारी और इसके मुद्दों को लेकर डूब क्षेत्र में आने वाले कोरची प्राथमिक विद्यालय परिसर से ग्रामीणों के साथ अपना एक वीडियो भी वायरल किया।

गंभीरा का कहना है कि विस्थापितों के तीन पूरी की तैयार की गई सूची में लड़कों को तो जगह दी गई लेकिन लड़कियों को वारिश नहीं माना गया। जबकि तीन पीढ़ी के दरम्यान हजारों परिवार ऐसे हैं, जो घर जमाई बनने के बाद डूब क्षेत्र में आने वाले 11 गांवों में बसे हैं।

मांग की गई है कि विस्थापन पैकेज दोगुना किया जाए, लड़कियों को भी वारिस मानते हुए घर जमाई के रूप में रहने वाले परिवारों को विस्थापन लाभ दिया जाए। प्रत्येक विस्थापित को नौकरी दी जाए और विस्थापन को लेकर किए गए आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमे वापस लिए जाएं। इन मुद्दों को राजनीतिक मुद्दा बनाने को लेकर भी कवायदें शुरू हो गई हैं।

-वह गांव, जिनको लेकर शुरू हुई सियासी गर्माहटः

कोरची, सुंदरी, भिसुर, लांबी, सुगवामान, कुदरी, अमवार, गोहड़ा, रनदहटोला, बरखोहर और बघाडू़। बांध के निर्माण कार्य पूरा होते ही उपरोक्त गांव पानी में डूब जाएंगे। बांध के मूल निर्माण में, जहां बड़े हिस्से का काम पूरा हो चुका है। वहीं फाटक लगाए जाने का काम जारी है। बांध की पूरी दीवार दुरुस्त होने और फाटक लगने के साथ ही कनहर नदी के पानी का फैलाव बांध एरिया में होना शुरू हो जाएगा।

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