Sonbhadra News: यहां 'कोडवर्ड' से पार होती हैं ओवरलोड ट्रकें, वाहन पास कराने वाले बनते हैं माध्यम

ओवरलोड ट्रकों का पार कराने में बड़ी खेल, कोडवर्ड से होती है इंट्री

Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update:2021-10-29 11:26 IST

Sonbhadra: परमिट-ओवरलोड ट्रकों को पास कराने के गिरोह का खुलासा (फोटो-न्यूजट्रैक)

Sonbhadra News: रात के अंधेरे में ओवरलोड ट्रकें (overload truck) पार कराकर योगी सरकार (Yogi Sarkar) के खजाने को प्रतिमाह लाखों का चूना लगाया जा रहा है। महज एक कोडवर्ड के जरिए हर रात 300 से 400 ओवरलोड ट्रकें (overload truck) जिले की सीमा से निकाली जा रही हैं। इसके लिए वाहन पास (vahan pass) कराने वालों को माध्यम बनाया गया है, इसके एवज में मारकुंडी एरिया के एक प्राइवेट व्यक्ति के जरिए अच्छी खासी इंट्री (सुविधा शुल्क) (overload truck ki Entry shulk) भी वसूले जाने की चर्चा आम है। रात के अंधेरे में चलने वाले इस खेल की भनक सामान्य व्यक्ति को न लगने पाए, इसके लिए प्रतिमाह एक नए कोडवर्ड का इस्तेमाल किया जाता है और इसी कोड वर्ड (codeword) के जरिए बिना किसी रोक-टोक के ओवरलोड वाहन आसानी से जिले की सीमा से निकल जाते हैं।

इस तरह चढ़ती है इंट्री और इस तरह कोडवर्ड की करते हैं पुष्टि

नाम न छापने की शर्त पर कई वाहन संचालक बताते हैं कि बिना किसी रोक-टोक के ओवरलोड एवं बगैर परमिट वाले वाहनों के संचालन के लिए पहले वाहन पास (vahan pass) करने वालों से संबंध बनाना पड़ता है। वहां से प्राइवेट व्यक्ति का नंबर मिलता है। इसके बाद उससे संपर्क कर गाड़ी का नंबर नोट कराने के साथ एक निश्चित रकम अदा करनी पड़ती है। रकम अदा करने के बाद वाहन चालक को या उसके स्वामी को एक कोडवर्ड दिया जाता है। आगे बढ़ने पर जिले की सीमा में जहां पर गाड़ी रोकी जाती है, वहां उस कोड वर्ड (codeword) को बता देना होता है। गाड़ी रोकने वाला व्यक्ति अपने मोबाइल से उस कोडवर्ड (codeword) के जरिए वाहन संख्या का मिलान करता है। इसके बाद बिना कुछ पूछे वाहन आगे बढ़ाने का इशारा दे दिया जाता है। कहीं कोई रिकॉर्ड न रहने पाए, इसके लिए इस खेल से जुड़े लोग सामान्य तरीके से एक दूसरे को फोन काल करने की बजाए, वाट्सएप काल का सहारा लेते हैं।


रात 11 बजे से भोर के चार बजे तक वाहन कराए जाते हैं पास

चर्चाओं पर ऐतबार करें तो रात 11 से भोर के चार बजे तक इंट्री वाले वाहनों को पास कराने का खेल चलता है। रास्ते में कहीं कोई दिक्कत न आने पाए, इसके लिए वाहन पास करने वाले के माध्यम से अधिकारियों का लोकेशन लिया जाता है। इसके बाद वाहन आगे बढ़ाने की हरी झंडी दे दी जाती है। दिन में बालू-गिट्टी लदे ओवरलोड वाहन चोपन से पटवध के बीच खड़े कर दिए जाते हैं। रात गहराते ही वह धीरे-धीरे मारकुंडी की तरफ बढ़ने लगते हैं। मारकुंडी में मौजूद इंट्री टीम की तरफ से इशारा मिलते ही वाहन मारकुंडी पहाड़ी चढ़ते हुए आगे के लिए निकल लेते हैं।

मानक से ज्यादा गिट्टी लोड करने की छूट, परिवहन पर सख्ती

गिट्टी परिवहन में लगे कई ट्रक संचालकों का आरोप है कि ओवरलोड परिवहन पर जिस तरह से सख्ती दिखाई जाती है अगर उसी तरह की सख्ती मानक से अधिक गिट्टी लोडिंग करने वाले पर ही दिखा दी जाए तो यह नौबत ही ना आए। सोनांचल ट्रक ऑपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल किशोर सिंह बताते हैं कि सितंबर माह में ओवरलोड में 297 गाड़ियां का चालान किया गया। वाहनों को रिलीज करते वक्त खान विभाग ने वाहन संचालकों से किस क्रशर प्लांट से गिट्टी लोड की गई, इसका शपथ पत्र भी लिया।

एसोसिएशन से पूर्व में हुए समझौते में यह बात तय हुई थी कि ओवरलोड (overload truck) या बगैर परमिट में जो भी वाहन पकड़े जाएंगे उन पर गिट्टी लोड करने वाले क्रशर प्लांटों पर भी कार्रवाई की जाएगी लेकिन महज चार वाहनों के मामले में कार्रवाई की गई। शेष की फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी गई। बता दें कि परमिट भी उतने की ही जारी होती है जितना लोड नियमानुसार पास रहता है। उससे ज्यादा की गिट्टी बिना किसी रॉयल्टी की अदायगी के ले जाई जाती है। जैसे किसी ट्रक पर नियमानुसार 18 घनफीट तक गिट्टी-बालू लोड की जाती है तो सरकार के खाते में रॉयल्टी उतने की ही जमा होगी। उससे ज्यादा लोड की गई गिट्टी-बालू का परिवहन बगैर किसी परमिट या रॉयल्टी के ही किया जाएगा। इसका सीधा मतलब है मानक से अधिक जितना भी गिट्टी-बालू का परिवहन होगा, उतना सरकार को राजस्व का चूना लगता जाएगा।

आप सिस्टम में हैं तो सब कुछ ओके

लोगों की मानें तो अगर आप इंट्री के सिस्टम में हैं तो आपके वाहन के लिए सब कुछ ओके है। अगर आप इसमें नहीं है तो अंडर लोड वाहन भी चालान के शिकार हो जा रहे हैं। सोनांचल ट्रक ऑपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल किशोर सिंह कहते हैं कि इंट्री का सिस्टम तो बना ही है, अन्य तरीके से भी वाहन संचालकों को परेशान किया जा रहा है। इसको लेकर वह खान अधिकारी और डीएम से मुलाकात भी कर चुके हैं। बावजूद अभी तक वाहन चालकों को गलत कार्रवाई से निजात नहीं मिल पा रही। इस बारे में विभागीय पक्ष जानने के लिए एआरटीओ प्रवर्तन पीके राय से संपर्क का प्रयास किया गया तो उनका सीयूजी नंबर देर तक कवरेज एरिया से बाहर मिला। उनके व्यक्तिगत नंबर पर संपर्क किया गया तो इस मामले की चर्चा करते ही उन्होंने चुप्पी साध ली। दोबारा फोन करने पर उनका फोन व्यस्त बताने लगा। वहीं खान अधिकारी जेपी दुबे का फोन व्यस्त बताता रहा।

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