Sonbhadra News: अनपरा डी परियोजना का उत्पादन शून्य, एनटीपीसी रिहंद की भी एक इकाई की गई ठप

सरकार की सस्ते दर पर बिजली उपलब्ध कराने के मंसूबे पर एक बार फिर पानी फिरता नजर आ रहा है।

Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-09-24 09:34 GMT

अनपरा डी परियोजना (फोटो-न्यूजट्रैक)

Sonbhadra News: सस्ती बिजली की उपलब्धता को लेकर संकट का सामना कर रहे सूबे के ऊर्जा जगत में एक बार फिर से हाय तौबा की स्थिति उत्पन्न हो गई है। 1000 मेगावॉट वाली अनपरा डी परियोजना (anpara d pariyojana) से जहां उत्पादन शुन्य हो गया है। वहीं एनटीपीसी रिहंद (NTPC Rihand) की 500 मेगावाट वाली तीसरी यूनिट से भी अनुरक्षण कार्य के लिए उत्पादन ठप कर दिया गया है। ओबरा परियोजना (obra pariyojana) की 200 मेगावाट वाली नवीं इकाई से भी उत्पादन बंद हो गया है। इससे जहां सस्ती बिजली की उपलब्धता में लगभग 1500 मेगावाट की कमी आ गई है। वहीं इसके चलते पीक आवर में हालात संभालने के लिए सिस्टम कंट्रोल को गुरुवार की रात केंद्रीय पूल से 7 रुपए से भी अधिक की दर पर बिजली खरीदनी पड़ी। शुक्रवार की सुबह भी 7 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी गई।

स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर और नार्दन लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के मुताबिक अनपरा डी की 500 मेगावाट वाली पहली इकाई सप्ताह भर पूर्व से बंद पड़ी हुई थी। दूसरी इकाई भी दो दिन से पूरी तरह से ठप हो गई है। दोनों इकाइयों से उत्पादन ठप होने के चलते परियोजना का विद्युत उत्पादन पूरी तरह से शून्य हो गया है।


पहली इकाई के बंदी का कारण ड्रम लेवल कम होना बताया जा रहा है। वहीं दूसरी इकाई की बंदी के पीछे फायर प्रोटेक्शन में दिक्कत आने की बात बताई जा रही है। परियोजना प्रबंधन का कहना है कि दोनों इकाइयों को उत्पादन पर लाने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास जारी है। तीन से चार दिन में दोनों इकाइयों को उत्पादन पर ले लिया जाएगा।


उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी बिजली परियोजना एनटीपीसी रिहंद की 500 मेगावाट वाली तीसरी इकाई बृहस्पतिवार से अनुरक्षण कार्य के लिए बंद कर दी गई है। स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के मुताबिक 15 दिन के लिए इकाई अनुरक्षण पर ली गई है। परियोजना प्रबंधन का कहना है कि अनुरक्षण कार्य पूरा होते ही इकाई को उत्पादन पर ले लिया जाएगा। वहीं उत्पादन पर चल रही ओबरा परियोजना की 200 मेगावाट वाली नवीं इकाई गुरुवार की रात इलेक्ट्रिक फाल्ट के कारण ट्रिप कर गई। इसके बाद 500 मेगावाट के इर्द-गिर्द चल रहा परियोजना का उत्पादन लुढ़क कर 300 मेगावाट के करीब पहुंच गया।


इस इकाई को शुक्रवार देर शाम तक उत्पादन पर ले आने की उम्मीद जताई जा रही है। उधर, 200 मेगावाट क्षमता की ओबरा परियोजना की तेरहवीं इकाई मार्च 2018 से बंद पड़ी है। इसको शीघ्र उत्पादन पर लाने के लिए कई दावे किए गए लेकिन अभी तक इस इकाई को उत्पादन पर ले पाना संभव नहीं हो सका है।


बताते चलेंं कि परियोजनाओं की बंद पड़ी इकाइयों से उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन को महज दो से तीन रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलती है। इस बिजली के ना मिलने से विद्युत आपूर्ति सुचारू बनाए रखने के लिए पावर कारपोरेशन को केंद्रीय पूल से महंगी बिजली खरीदनी पड़ती है या फिर निजी परियोजनाओं से महंगे करार की बिजली लेनी पड़ती है। करार के मुताबिक फिक्स चार्ज अदायगी भी एक मसला है सो अलग।

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