Sonbhadra News: लखटकिया बांड का खेल, बगैर टेंडर 19 माह में हो गए 36 लाख के काम, चहेतों पर बरसी रहमत

Sonbhadra News: सूचना अधिकार में मिले आंकड़े बताते हैं कि लखटकिया बांड के जरिए मेसर्स श्रीनिवास वर्मा को 11 सितंबर 18 से तीन अक्टूबर 19 के बीच ₹7,00,581 की लागत वाले 11 कार्य सौंपे गए।

Published By :  Divyanshu Rao
Update: 2021-12-29 15:34 GMT

Scam की प्रतिकात्मक तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

Sonbhadra News: जिले की एकमात्र नगर पालिका में बगैर टेंडर कराए जाने वाले कार्यो (लखटकिया बांड यानी कार्य लागत एक लाख से कम निर्धारित करना) का बड़ा खेल सामने आया है। महज 19 माह में बगैर टेंडर करीब 36 लाख के काम करा डाले गए। दो तिहाई से अधिक कार्य महज चार से पांच फर्मों तक ही सिमटे रहे।

सूचना अधिकार में मिले आंकड़े बताते हैं कि लखटकिया बांड के जरिए मेसर्स श्रीनिवास वर्मा को 11 सितंबर 18 से तीन अक्टूबर 19 के बीच ₹7,00,581 की लागत वाले 11 कार्य सौंपे गए। उसमें दो काम ऐसे हैं, जिनके लिए कोटेशन प्रक्रिया अपनाने की जरूरत नहीं समझी गई। 18 मई 2018 से 21 दिसंबर 2019 के बीच मेसर्स साईं बाबा इंटरप्राइजेज को ₹6,90,545 लागत वाले 10 काम सौंपे गए।

11 सितंबर 2018 को वार्ड 10, वार्ड 15 और वार्ड 16 में मिट्टी- जीएसबी भराई के सौंपे गए कार्य के चार अलग-अलग बांड बनाए गए। 18 जुलाई 18 को आंशिक खुली नालियों को ढंकने के काम की लागत एक लाख से ₹1000 कम यानी ₹99000 निर्धारित कर काम सौंपा गया। मेसर्स सीपी कंस्ट्रक्शन को 11 सितंबर 2018 से 7 जुलाई 2020 के बीच बगैर टेंडर 5,80,852 रुपए का काम सौंपा गया। इसके लिए कोटेशन प्रक्रिया आधारित सात अलग-अलग बांड बनवाए गए।

21 जनवरी 2020 को सौंपे गए 278,189 रुपये के मिट्टी भराई और जीएसबी के काम को तीन अलग-अलग भागों में बांटा गया। मेसर्स शैलेंद्र दुबे को 11 सितंबर 18 से 8 अगस्त 19 के बीच ₹4,60,326 का काम सौंपा गए। उनसे छह अलग-अलग बांड भरवाए गए। दो कार्यों (सामुदायिक शौचालय के बाहर इंटरलॉकिंग तथा वीरेश्वर महादेव मंदिर के आगे नाला मरम्मत-कवर्ड कार्य) की लागत 99 हजार निर्धारित की गई।

सोनभद्र नगर पालिका की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

मेसर्स राजेश कुमार मेहता को एक ही दिन चार अलग-अलग बांडों के जरिए 2,76,000 के काम दिए गए। मेसर्स हरिश्चंद्र सोनकर को 11 सितंबर 2018 को 78,000 का काम दिया गया। 9 अक्टूबर 2019 को ₹704 प्रति नग की दर से नाली-नालों का आरसीसी स्लैब ढंकने का काम सौंप कर 94,321 का भुगतान किया गया। मेसर्स सूर्यकांत चौबे को 11 सितंबर 2018 को 53,000, मेसर्स जगतानंद बिल्डर्स को 18 जुलाई 2018 को 48,000, मेसर्स जितेंद्र बाल्मीकि को 18 जुलाई 2018 को 94,000 के काम थमाए गए।

मेसर्स जयप्रकाश यादव को छह दिसंबर 2018 को दो बांडों के जरिए 1,94,000 तथा मेसर्स शारदा मैहर कंस्ट्रक्शन को एक ही दिन जीएसबी गिराने का 210720 का काम तीन अलग-अलग भागों में बांटकर सौंपा गया।

सभी कामों के लिए दिखाए गए तीन कोटेशन और 2% तक अधिक दर

नगर पालिका से उत्तर मुहाल निवासी संतोष सिंह चंदेल को मिली जानकारी के मुताबिक 16 मई 2018 से सात जुलाई 2020 के बीच जो 52 काम सौंपे गए। उसमें 49 कार्यों का आवंटन कोटेशन प्रक्रिया के आधार पर किया गया। उसमें 47 कामों का आवंटन जुलाई 2018 से जनवरी 2020 के बीच हुआ । सभी में तीन ही कोटेशन लिए गए। एक की दर विभागीय दर, एक का कोटेशन 1% तो एक का 2% अधिक। दो कामों को सीधे वर्कआर्डर के जरिए संबंधित अवधि में सबसे ज्यादा काम पाने वाली फर्म को सौंपा गया।

संबंधितों का दावा सब कुछ ओके

सेलफोन पर हुई वार्ता में अधिशासी अधिकारी प्रदीप गिरी का कहना था कि जेई कार्य की लागत निर्धारित करते हैं और अध्यक्ष उसे स्वीकृति देते हैं। उनका काम सिर्फ उस प्रक्रिया को पूरा कराना है। उनकी जानकारी में प्रक्रिया नियमों के तहत ही पूरी हुई है। अगर कहीं कोई गड़बड़ी है तो वह इसकी जानकारी फाइल से कर आवश्यक कदम उठाएंगे।

सेलफोन पर जेई मनीष कुमार का कहना था कि मौके की जो स्थिति दिखती है उसी अनुरूप लागत निर्धारित होती है। एक लाख से महज एक हजार कम यानी 99000 के इस्टीमेट का क्या फार्मूला है? पर उनका जवाब था कि उन्हें मौके की परिस्थिति देखकर जो सही लागत लगी, उसे उन्होंने निर्धारित किया।

वहीं अध्यक्ष वीरेंद्र जायसवाल ने सेलफोन पर हुई वार्ता में पहले तो लखटकिया बांड के जरिए मई 2018 से जुलाई 2021 के बीच 36 लाख 61 हजार 236 रुपये का काम दिए जाने की बात से ही इंकार कर दिया। सूचना अधिकार से जानकारी मिलने और हर कार्य आवंटन में तीन ही कोटेशन लिए जाने के सवाल पर कहा कि कम से कम दो कोटेशन का नियम है। शेष मसले पर वह फाइल देखने के बाद ही बात कर सकते हैं।

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