Sonbhadra News: सोनभद्र में सिर्फ 0.08 फीसदी लोग करते हैं स्वैच्छिक रक्तदान, एक वर्ष में 1088 ने किया ब्लड डोनेट

Sonbhadra News: 21 लाख की आबादी वाले सोनभद्र में एक वर्ष में लगभग 0.08 फ़ीसद लोगों ने स्वैच्छिक रक्तदान किया है।

Published By :  Chitra Singh
Update: 2021-10-01 05:59 GMT

रक्तदान (फोटो- न्यूज ट्रैक)

Sonbhadra News: रक्तदान महादान है। इसकी एक बूंद किसी की जिंदगी बचा सकती है। लेकिन 21 लाख की आबादी वाले सोनभद्र में यह फलसफा अभी भी बैनरों-पोस्टरों के स्लोगन तक सिमटा हुआ है। पिछड़े वर्ष महज 1088 लोगों ने ही स्वैच्छिक रक्तदान किया। यह आंकड़ा तब सामने आया। जब रक्तदान को लेकर अग्रणी संस्थाओं ने लोगों को लिए प्रेरित किया। इसमें भी कई नाम ऐसे हैं, जो प्रत्येक छह माह पर, आयोजित होने वाले रक्तदान शिविरों में स्वेच्छा से पहुंचकर ब्लड डोनेट करते रहे हैं।

आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्ष जिला ब्लड बैंक में कुल 6728 यूनिट रक्त का संग्रह हुआ। लगभग इतनी ही आपूर्ति भी हुई । लेकिन इसमें से महज 1088 यूनिट रक्त ही स्वैच्छिक रक्तदान से प्राप्त हुआ। शेष 5640 यूनिट रक्त की पूर्ति मरीजों के तीमारदारों से हुई।

गंभीर मरीजों के लिए वरदान साबित हुआ स्वैच्छिक रक्तदान

ब्लड बैंक काउंसलर रविंद्र प्रसाद ने बताया कि 1088 यूनिट रक्त स्वैच्छिक रक्तदान शिविर से प्राप्त हुआ। उसमें से 878 यूनिट ब्लड डोनर कार्ड तथा शेष ब्लड बगैर किसी शुल्क के जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों को उपलब्ध कराया गया। थैलेसीमिया, कैंसर, एड्स, हिमोफिलिया, प्रसव के लिए आई महिलाएं मरीज, गंभीर बीमारी से ग्रसित कैदियों को इसका लाभ मिला। 'प्रत्येक माह 750 यूनिट रक्त की पड़ रही जरूरत'

मुताबिक प्रत्येक माह जिला ब्लड बैंक पर 550 से 600 यूनिट ब्लड की मांग पहुंचती है। इसकी जरूरत वाले 34 मरीज थैलेसीमिया पीड़ित हैं, जिन्हें प्रत्येक माह एक से दो यूनिट खून की जरूरत पड़ती है। इसी तरह दुद्धी स्थित ब्लड बैंक, राबर्ट्सगंज में एक निजी अस्पताल में स्थित ब्लड बैंक और हिण्डाल्को रेणुकूट ब्लड बैंक मैं भी प्रतिमाह 150 से 200 मरीजों के तीमारदार रक्त के लिए पहुंचते हैं। यहां ब्लड तीमारदारों के डोनेट करने पर ही उपलब्ध होता है।

रक्तदान करता युवक (फोटो- न्यूज ट्रैक)

सोनभद्र की 65 फ़ीसद आबादी रक्तदान के लिए सक्षम

स्वैच्छिक रक्तदान कराने को लेकर अग्रणी रहने वाली संस्था प्रयास के सचिव दिलीप दुबे बताते हैं कि 21 लाख की जनसंख्या वाले सोनभद्र में 65 फ़ीसद लोग रक्तदान योग्य हैं। यानी तेरह लाख पैसठ हज़ार लोग प्रतिवर्ष दो बार रक्तदान की क्षमता रखते हैं। इसमें से अगर दो प्रतिशत लोग भी साल में एक बार स्वैच्छिक रक्तदान कर दें तो तेरह हज़ार छह सौ पचास यूनिट रक्त संग्रह हो जाएगा, जो जिला ब्लड बैंक के मौजूदा सालाना खपत के दोगुना के लगभग है।

शैक्षिक स्तर में कमी बनी हुई है बड़ी बाधा

रक्तदान को लेकर बड़ी पहचान बनाने वाले दिलीप दुबे दावा करते हैं कि जिले में लगभग 48 फ़ीसद आबादी आदिवासियों की है। इसमें 42 फ़ीसद अशिक्षित हैं। वह रक्तदान की बात सुनते ही मरीज को हॉस्पिटल में छोड़कर भाग जाते हैं।

बेफिक्र होकर करें रक्तदान, नहीं होगी कोई परेशानी

रक्तदान करने से कोई परेशानी नहीं होती। यदि आपकी उम्र 18 वर्ष और आपका वजन 45 किलो से अधिक है। रक्तदान करते समय हीमोग्लोबिन की मात्रा 12.5 है। पिछले छह माह में कोई बड़ा ऑपरेशन नहीं हुआ है तो पुरुष वर्ष में चार बार और महिला वर्ष में तीन बार रक्तदान कर सकती है। इसके बहाने रक्तदान करने वाले का फ्री हेल्थ चेकअप हो जाता है और किसी की जान बचाने का पुनीत कार्य भी हो जाता।

महिलाएं निभा सकती हैं अहम भूमिका

ब्लड बैंक प्रभारी डॉ एसके मंजुल कहते हैं कि रक्तदान को लेकर औरतों को अपना नजरिया बदलने की जरूरत है। भारत में सबसे अधिक ब्लड की आवश्यकता महिलाओं को पड़ती है। जैसे- डिलीवरी ऑपरेशन,एनीमिया सहित कई ऑपरेशन होते हैं, जिसमें ब्लड की जरूरत पड़ती है। महिलाएं अपने बच्चों, घर के पुरुषों को रक्तदान के लिए जागरूक कर किसी जरूरतमंद की जिंदगी बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं।

रक्तदान करती महिलाएं (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

सोनभद्र से पूरे भारत में पहुंचाई जाती है मदद, कई राज्यों से जुड़ा नेटवर्क 

जिले में सर्वाधिक स्वैच्छिक रक्तदान कराने वाली पांच संस्थाएं हैं। प्रयास फाउंडेशन का संचालन सचिव दिलीप कुमार दुबे, उत्सव ट्रस्ट का का संचालन सचिव आशीष पाठक, लहू संस्था का संचालन सचिव बलकार सिंह, ऊर्जांचल खाना बैंक का संचालन सचिव विजय सिंह, मारवाड़ी युवा मंच का संचालन सचिव पंकज कनोडिया और उनकी टीम करती है। महज प्रयास संस्था के प्रयास से छह सालों में लगभग 1700 मरीजों को रेणुकूट, वाराणसी सहित देश के अन्य शहरों में आन डिमांड रक्त उपलब्ध कराकर जान बचाई जा चुकी है। इसके लिए सोनभद्र में सक्रिय संस्थाओं और देश के अन्य शहरों-जनपदों में सक्रिय संस्थाओं ने आपस में समन्वय बनाना शुरू कर दिया है।

केआरके-वाराणसी, पुलिस मित्र-प्रयागराज, ब्लड कमांडो फाउंडेशन-लखनऊ,गिविंग इज लीविंग-दिल्ली,माँ वैष्णोदेवी-पटना, त्यागा-ओड़िसा,लूसी-कोलकाता,ह्यूमन सोशल फाउंडेशन-राजस्थान, ॐ साई रक्तदाता सेवार्थ समिति- छत्तीसगढ़, संकल्प फाउंडेशन-बैंगलोर, थिंक फाउंडेशन-मुम्बई, ब्लड क्रॉस सोसाइटी-हैदराबाद, ह्यूमन फाउंडेशन- चेन्नई,फ्रेंड्स टू सपोर्ट -तेलंगाना, वक्त दे रक्त दे- हरियाणा, पंजाब, झारखंड, गुजरात, मध्यप्रदेश आदि संस्थाएं एक दूसरे से जुड़ कर गंभीर मरीजों को रक्तदान के जरिए जीवन दान देने लगी हैं।

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