Sonbhadra: कैसे सुधरे पर्यावरण की स्थिति? सोनभद्र में तीन गुना तक बढ़ा प्रदूषण, हालात चिंताजनक
Sonbhadra Air Pollution: देश के तीसरे सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र का दर्जा रखने वाले सोनभद्र (सिंगरौली रीजन) से सामने आते आंकड़ें हालात और खराब होने की कहानी बयां कर रहे हैं।
Sonbhadra Air Pollution : बढ़ते वैश्विक तापमान के बीच सोनभद्र में प्रदूषण (Pollution In Sonbhadra) के हालात दिन-ब-दिन खराब होते जा रहे हैं। जनवरी 2019 से सोनभद्र के अनपरा परिक्षेत्र (Anpara Zone of Sonbhadra) के लिए वायु स्वच्छता कार्यक्रम लागू होने के बावजूद, चंद सालों के भीतर महज वायु प्रदूषण में तीन गुना से अधिक की बढ़ोत्तरी सामने आई है। वहीं, जल निगम की हालिया रिपोर्टों में भी जल प्रदूषण (Water Pollution) की स्थिति बेहद खराब मिली है। मृदा प्रदूषण (Soil Pollution) की भी स्थिति चिंताजनक बताई जा रही है। बावजूद, कागजी आंकड़े दौड़ाने में लगे अफसर, हालात नियंत्रित होने का दावा कर रहे हैं।
बढ़ते वैश्विक तापमान और जलवायु परिवर्तन की स्थिति को देखते हुए जहां केंद्र और राज्य सरकारें पौधरोपण सहित मानकों की कड़ाई से पालन को लेकर प्रयासरत हैं। वहीं, इसके उलट देश के तीसरे सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र का दर्जा रखने वाले सोनभद्र (सिंगरौली रीजन) से सामने आते आंकड़ें हालात और खराब होने की कहानी बयां कर रहे हैं।
वायु प्रदूषण के हालात काफी गंभीर
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) के आंकड़े बताते हैं, कि 4 जून 2018 को सोनभद्र-सिंगरौली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) 146, 3 जून 2019 को 157 दर्ज किया गया था। 2020 में कोराना काल आने के कारण कार्बन उत्सर्जन में कमी आई तो यह 96 पर आ गया। मगर, 2021 में मानव गतिविधि बढ़ते ही 118 पर पहुंच गया। वहीं, 2022 में जैसे ही स्थिति सामान्य हुई 3 जून को यह आंकड़ा उछलकर 293 पर जा पहुंचा। सिर्फ 3 जून ही नहीं, तपिश के दौर की शुरुआत से ही वायु प्रदूषण के हालात काफी गंभीर बने हुए हैं।
मई के पहले पखवाड़े तक जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 को पार कर गया था। वहीं, बीच में हल्की बारिश के बाद इसमें थोड़ी कमी देखने को मिली। बावजूद यह आंकड़ा बारिश के दिनों को छोड़कर लगातार 200 के ऊपर बना हुआ है। पिछले एक सप्ताह की स्थिति पर नजर डालें तो गत 26 मई को जिले का वायु गुणवत्ता सूचकांक 258, 27 मई को 262, 28 मई को 201, 31 मई को 234, पहली जून को 268, दो जून को 278 और तीन जून को यह बढ़कर 293 पर पहुंच गया। यह स्थिति तब है, जब धूप पूरी तरह खिली हुई है। कोहरे या धुंध के समय सोनभद्र में प्रदूषण के हालात कैसे रहते होंगे? समझा जा सकता है। बता दें कि सिंगरौली रिजन मध्यप्रदेश का सिंगरौली जिला और सोनभद्र का ओबरा-डाला से लेकर रेणुकूट-बीजपुर-अनपरा-शक्तिनगर तक का इलाका शामिल है।
क्रशर बेल्ट में दमघोंटू हालात, जीवन नारकीय
एक तरफ, जहां सरकार की तरफ से प्रदूषण नियंत्रण को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं, कागजी आंकड़े दर्ज करने वाले अफसर भी स्थिति नियंत्रण में होने का दावा करते नजर आते हैं। जो हालात है, वह डराने वाले हैं। यूपी और एमपी सीमा पर विंध्यनगर में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से जो प्रदूषण मापक यंत्र लगाया गया है, वह सिर्फ जिले के अनपरा और शक्ति नगर क्षेत्र की ही हालात बयां कर पाने में सक्षम है। क्रशर हब, डाला फील्ड की स्थिति जांचने के लिए यहां कोई मापन यंत्र नहीं है। परिणामस्वरुप यहां खिली धूप के बावजूद 24 घंटे उड़ने वाले पत्थर की धूल के चलते कोहरे जैसा धुंध नियति बन गई है।
घरों में भी धूल, बावजूद खामोशी
इन क्षेत्रों की छतों, घरों के अंदर फर्श और आस-पास में धूल ही धूल ने लोगों का जीवन कष्टमय बना रखा है। प्रदूषण विभाग के जिम्मेदार अफसरों को भी हालात पता हैं। बावजूद यहां उच्च स्तरीय टीमों के दौरे के दिन क्रशर फील्ड में खामोशी और उनके जाने के बाद कुछ प्लांट पर कार्रवाई तक ही प्रदूषण नियंत्रण की कवायद सिमटी हुई है। चाहे रेणुका नदी से होकर सोन नदी में जाने वाला अपशिष्टों का मामला हो या फिर रिहंद डैम में अवशिष्टों का पटाव क्रम रुकने का नाम नहीं ले रहा। इस बारे में क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी टीएन सिंह से जब फोन पर संपर्क का प्रयास किया गया तो वो उपलब्ध नहीं थे।
नियमों का हो कड़ाई से पालन
पर्यावरण विशेषज्ञ सीमा जावेद कहती हैं, कि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए नियमों का कड़ाई से पालन जरूरी है। ऐसे समय में जब पूरा विश्व वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी से परेशान है। दुनिया जलवायु परिवर्तन से जूझ रही है। ऐसे समय में सोनभद्र को लेकर जो आंकड़े आ रहे हैं, वह वाकई चिंताजनक हैं।