कोरोना के खिलाफ जंग को लगा तगड़ा झटका, यहां डॉक्टर कर रहे जांच में लापरवाही

डॉ मोहनीश द्वारा कोरोना की जाँच के नाम पर केवल खाना पूर्ति कर सरकार को भ्र्म में रखा जा रहा है। क्या ऐसे ही कार्यप्रणाली के आधार पर स्वास्थ्य महकमा सब कुछ सही होने का दम्भ भरता फिर रहा है।

Update:2020-05-09 14:50 IST

अंबेडकरनगर: वैश्विक महामारी बन चुके कोरोना वायरस से जंग में जहां पूरा विश्व लगा हुआ है, वहीं जिले के स्वास्थ्य महकमे द्वारा इस महत्वपूर्ण कार्य में हद दर्जे की लापरवाही सामने आई है। लापरवाही इस स्तर की है कि जिससे स्वास्थ विभाग द्वारा की जा रही थर्मल स्क्रीनिंग पर ही सवाल उठने लगे हैं। वैसे तो स्वास्थ्य महकमे द्वारा बरती जा रही लापरवाही के मामले समय-समय पर सामने आते रहे हैं लेकिन इस गंभीर समस्या पर इस प्रकार की लापरवाही होगी, इसकी कल्पना भी नही की जा सकती।

कोरोना के विरुद्ध लड़ी जा रही जंग को तगड़ा झटका

एक तरफ जहां कोरोना वारियर्स के रूप में चिकित्सकों पर फूल बरसाए जा रहे हैं। तो वहीं दूसरी तरफ इस जिले के ऐसे चिकित्सक जो मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पंच रत्नों में शुमार माने जाते हैं, इनके द्वारा बरती जा रही लापरवाही जिले को कोरोना की संक्रमण के खतरे में डाल सकती है। मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कटेहरी से संबंधित है यहां पर तैनात डॉ मोहनीश रावत की कारस्तानी से कोरोना के विरुद्ध लड़ी जा रही जंग को तगड़ा झटका लगा है। सूत्रों की माने तो यह चिकित्सक शायद ही कभी सीएचसी पर ड्यूटी करता हो।

सीएचसी कटेहरी के चिकित्सक डॉ मोहनीश रावत का कारनामा

अक्सर सीएमओ कार्यालय की गणेश परिक्रमा करने वाले डॉ रावत ने ऐसा कारनामा कर डाला है जिसकी कम से कम जैसी बीमारी में तो परिकल्पना नही की जा सकती है। डॉ साहब ने ऐसे पर्चो पर कोरोना की पूरी डायग्नोशिस तैयार कर रखी है जिस पर न तो किसी मरीज का नाम है और न ही उसका मोबाइल नम्बर ही अंकित है। पूरी डायग्नोशिस लिखने के बाद डाक्टर साहब ने दवा भी लिख डाली है।

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आवश्यकता पड़ने पर अपनी उपस्थिति दिखा सकें

आवश्यकता है किसी का भी नाम भरने की। इसके अलावा ऐसे भी पर्चे मिले है जो पूरी तरह से सादे हैं लेकिन उस पर नीचे डॉक्टर के हस्ताक्षर हैं। इसके पीछे उनका क्या उद्देश्य होता होगा,यह तो वही जानें लेकिन जानकारों की माने तो यह सब एडवांस में उनके द्वारा इसलिए किया जाता है ताकि आवश्यकता पड़ने पर अपनी उपस्थिति दिखा सकें। प्रश्न यह उठता है कि जब मरीज ही नही तो आखिर डायग्नोशिस किसकी की गयी। आखिर किसके स्वास्थ्य का परीक्षण किया गया जिसका विवरण पर्चे पर दर्ज किया गया है।

केवल खाना पूर्ति कर सरकार को भ्र्म में रखा जा रहा है

जाहिर है कि डॉ मोहनीश द्वारा कोरोना की जाँच के नाम पर केवल खाना पूर्ति कर सरकार को भ्र्म में रखा जा रहा है। क्या ऐसे ही कार्यप्रणाली के आधार पर स्वास्थ्य महकमा सब कुछ सही होने का दम्भ भरता फिर रहा है। फिलहाल सीएमओ के खास माने जाने वाले इस चिकित्सक की उन पर खासी कृपा के चर्चे भी जन चर्चा में हैं। देखना यह है कि उसका कोरोना कब बाहर आता है। इस सम्बन्ध में सीएमओ डॉ अशोक कुमार का कहना है कि मामला गम्भीर है ।वह इसकी जांच कर कार्यवाई करेंगे।

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