Yogi Adityanath Birthday: यूं ही नहीं गूंजा, 'गोरखपुर में रहना है तो योगी-योगी कहना है'

Yogi Adityanath Birthday: यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने तत्काल अवैध स्लाटर हाउस को बंद करने का फरमान सुनाया था। लेकिन इसका ट्रेलर गोरखपुर के लोग 20 साल पहले ही देख चुके थे।'

Reporter :  Purnima Srivastava
Published By :  Shivani
Update:2021-06-05 14:44 IST

Yogi Adityanath File Photo

Yogi Adityanath Birthday : गोरखपुर में गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी (Gorakhnath Math Uttaradhikari) रहते हुए योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) 1998 में पहली बार सांसद (Yogi Adityanath MP Kab Bne) बने थे। तब भी उनकी बुनियाद आम लोगों के लिए संघर्ष और मुद्दों की सियासत थी। और 2017 में जब विशेष विमान से बुलाकर दिल्ली में उन्हें यूपी की सत्ता संभालने का निर्देश मिला तो भी मुद्दों पर संघर्ष से मिली लोकप्रियता ही आधार थी। वैसे तो योगी के ढाई दशक के सियासी सफर में कई करीबी दूर हुए तो कई नये जुड़े भी। लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो योगी के उदय के साथ ही उनके साथ छाया की तरह हैं। ये चेहरे छोटे-छोटे मुद्दों पर संघर्ष के साक्षी हैं। चाहे बात गोरखपुर में स्लाटर हाउस बंद कराने की हो, या फिर आजमगढ़ में योगी पर हुए हमले (Yogi Adityanath Par Hamla) की। मुद्दों पर संघर्ष से योगी की लोकप्रियता बढ़ी और योगी के उभार के साथ गोरखपुर में लगने वाले नारे गोरखपुर में रहना है तो योगी-योगी कहना (Gorakhpur Me Rahna Hai To Yogi-Yogi kehna Hai) है का दायरा बढ़ने लगा। योगी जिस प्रकार गोरखपुर को लेकर फिक्रमंद दिखते है, उसे देख कर यह नारा आज भी अपरिहार्य नजर आता है।

पिछले 25 वर्षों से योगी आदित्यनाथ के संघर्षों में साथ खड़े दिखने वाले गोरक्षनाथ पूर्वांचल विकास मंच के संयोजक विष्णु शंकर श्रीवास्तव और नगर निगम में उपसभापति ऋषि मोहन वर्मा को जनप्रिय विहार में स्थापित स्लाटर हाउस को हटाने के लिए किये गए संघर्ष की कहानी जुबानी याद है। विष्णु शंकर बताते हैं कि 'यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने तत्काल अवैध स्लाटर हाउस को बंद करने का फरमान सुनाया था। लेकिन इसका ट्रेलर गोरखपुर के लोग 20 साल पहले ही देख चुके थे।'

सीएम बनते ही स्लाटर हाउस हटाने का आदेश

पशु वधशाला का मुद्दा जनप्रिय बिहार कालोनी एवं हुमायूंपुर के नागरिकों के लिए नारकीय जीवन से मुक्ति पाने का मुद्दा था। यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा भी था, क्योंकि वायुसेना केंद्र इस वधशाला को बंद करने का बार-बार अनुरोध कर रहा था। पर्यावरण विभाग से लेकर के स्थानीय नागरिक सभी चाहते थे कि पशु वधशाला स्थाई रूप से बंद हो जाए। क्षेत्र में अत्यंत दुर्गंध एवं मांसाहारी पक्षियों का जमावड़ा होता था।

विष्णु बताते हैं कि 'एक हफ्ते तक के चले इस आंदोलन में 5 जून 2001 को जाकर सफलता मिली। जब तत्कालीन जिलाधिकारी देवेश चतुर्वेदी ने मध्य रात्रि को धरना स्थल पर पहुंचकर इसे 6 जून से बंद करने की घोषणा की। लंबी लड़ाई लड़ने की एक बड़ी जीत हासिल हुई।'

विष्णु बताते हैं कि 'मध्य रात्रि का वह दृश्य आंखों के सामने तैर जाता है, जब महाराज जी ने धरना स्थल पर पहुंचकर जिलाधिकारी के निर्णय की घोषणा कर धरने को समाप्त कराया।' वह बताते हैं कि 2006 में भेड़ियागढ़ निवासी सुनील साहनी की पुलिस हिरासत में मौत हुई थी। 5 फरवरी 2006 शाहपुर की पुलिस की बर्बरता के बाद शहर में आक्रोश था। पुलिस चौकी फूंकी जा चुकी थी। योगी ने परिजनों से मुलाकात की और दोषी पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई।

आजमगढ़ में कातिलाने हमले में बाद आक्रोशित था शहर

आजमगढ़ में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में योगी आदित्यनाथ प्रशासन के रोकने के बाद भी पहुंच गए। उनपर उत्पातियों ने कातिलाना हमला किया। आजमगढ़ में अपने काफिले के ऊपर हुए कातिलाना हमले के पश्चात योगी मंदिर पहुंचे तो हजारों की भीड़ नौसढ़ से लेकर गोरखनाथ मंदिर पर जमा थी। तब योगी ने धैर्य रखने की बात कही नहीं तो शहर को आग में झुलसने से कोई नहीं बचा सकता था।

आस्था व धर्म के मामलों खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं
योगी के करीबी उपसभापति ऋषि मोहन वर्मा बताते हैं कि जनप्रिय विहार में लक्ष्मी पूजा का आयोजन होता था। लेकिन कुछ शोहदों से महिलाएं परेशान रहती थी। इसकी सूचना योगी जी के पास पहुंचाई गई तो उन्होंने तत्काल थाने की पुलिस से बात की। उन्होंने कहा कि पुलिस ने कार्रवाई की या नहीं यह जरूर बताएं। चाहे देर रात हो जाए। मामले में कार्रवाई हुई और तबसे पूजा शान्तिपूर्वक मनाई जा रही है।
ऋषि बताते हैं कि 'कार्यकर्ताओं के सम्मान को लेकर वह हमेशा मुखर रहते हैं। 15 साल पहले एक पुलिस वाले ने कार्यकर्ता की गाड़ी का चालान करते हुए अभद्रता भी की। प्रकरण का संज्ञान लेते हुए योगी ने धरना की चेतावनी दी। जिसके बाद पुलिस के जिम्मेदार को निलंबित किया गया।'

भ्रष्टाचार किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं
ऋषि मोहन यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह के कार्यकाल के समय का एक वाकया बताते हुए योगी की इमानदारी का बखान करते हैं। उनके मुताबिक, 'राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे। युवा कार्यकर्ताओं ने रक्तदान का कार्यक्रम रखा। यह तय हुआ की राजनाथ सिंह को खून के पैकेट से ही तौला जाएगा। 80 पैकेट खून से तत्कालीन मुख्यमंत्री को तौला गया और खून के पैकेट को जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में रखवा दिया गया। निर्देश दिया गया कि खून गरीब और जरूरतमंद को नि:शुल्क दिया जाएगा। चंद दिनों बाद सूचना मिली कि जिला अस्पताल के एक कर्मचारी ने 200 रुपये देकर ब्लड एक व्यक्ति को दे दिया। इसकी सूचना योगी को हुई तो वह धरना देने की तैयारी करने लगे। अधिकारियों को भनक लगी तो संबंधित कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई हुई, जिसके बाद मामला शांत हुआ।'

गोरखपुर के विकास को लेकर फिक्रमंद

बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के विकास को फिक्रमंद रहे। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी में केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रमेश वैश्य की मौजूदगी में राप्तीनगर में दूरदर्शन केन्द्र का लोकार्पण हुआ। तो वहीं तत्कालीन केंद्रीय कपड़ा मंत्री शाहनवाज हुसैन ने गोरखपुर को टेक्सटाइल पार्क का तोहफा दिया। अब जब योगी मुख्यमंत्री हैं तो गोरखपुर के विकास को देखकर लोग मिनी राजधानी कहने लगे हैं। योगी को पिछले दो दशक से करीब से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार धर्मेन्द्र सिंह कहते हैं कि योगी ईमानदार हैं। गरीबों और वंचितों की आवाज हैं। इसीलिए उनका हठ दिखता है। संवेदशीलता ही है कि उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद इंसेफेलाइटिस के खात्मे के लिए युद्धस्तर पर प्रयास किया। योगी देश का भविष्य हैं, इसमें कोई संशय नहीं होना चाहिए।
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