सीएए के विरोधियो के खिलाफ सख्त हुई योगी सरकार, उठाया ये बड़ा कदम

नागरिकता संशोधन कानून के तहत राजधानी लखनऊ में 19 दिसंबर को विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा मामले में जिला प्रशासन ने सार्वजानिक संपत्तियों की...

Update: 2020-02-13 14:40 GMT

लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून के तहत राजधानी लखनऊ में 19 दिसंबर को विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा मामले में जिला प्रशासन ने सार्वजानिक संपत्तियों की नुकसान की भरपाई के लिए 20 लोगों को रिकवरी नोटिस जारी किया था।

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जिस पर एडीएम टीजी विश्व भूषण मिश्र की कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए 13 लोगों से 21 लाख 76 हज़ार रुपये वसूलने का आदेश जारी किया है। ज़िला प्रशासन ने 7 लोगों को पूरे मामले में बरी भी किया है।

कोर्ट ने कहा कि पुलिस 7 लोगों के खिलाफ कोई सबूत नहीं दिखा सकी

कोर्ट ने कहा कि पुलिस 7 लोगों के खिलाफ कोई सबूत नहीं दिखा सकी। 16 मार्च 2020 तक रिकवरी की धनराशि सभी को मिलकर या एक अकेले को जमा करनी होगी।

19 दिसंबर 2019 को क्या हुआ था

19 दिसंबर 2019 को लखनऊ के खदरा में सीएए के खिलाफ बुलाए गए प्रदर्शन में भीड़ अचानक उग्र और हिंसक हो गई थी। इस दौरान हिंसक भीड़ ने आम लोगों और सरकारी संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया था। हिंसा की ये खबरें मीडिया में सुर्खियां बनी थीं।

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लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने न्यूज18 से बातचीत में कहा कि '19 तारीख को हुए उग्र प्रदर्शन को लेकर एडीएम टीजी की कोर्ट का यह पहला फैसला है। अभी 4.5 करोड़ की रिकवरी और बाकी है। आने वाले दिनों में कोर्ट इस तरह के और फैसले सुनाएगी। जिन 13 लोगों पर रिकवरी तय हुई है।

उनको हर हाल में 16 मार्च 2020 तक पैसा जमा करना होगा वरना उनकी संपत्तियों को कुर्की किया जाएगा।' जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने आगे कहा कि '13 लोगों में से कोई भी व्यक्ति अगर चाहे तो सारा पैसा एक व्यक्ति अकेले भी जमा कर सकता है।' सीएए के विरोध को लेकर योगी सरकार ने सख्त रुख अपना रखा है। और बर्बाद हुई संपत्ती को लोगों से ही वसूलेगी जो इसमें संलिप्त हैं।

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