उत्तराखंड में जल प्रलय: केदारनाथ त्रासदी की यादें हुईं ताजा, मची थी हर तरफ तबाही

साल 2013 में केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री और हेमकुंड साहिब जैसे स्थानों में तबाही मची थी। इस हादसे में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। हजारों लोग बह गए और कई लोगों का तो अभी तक पता नहीं चल पाया।

Update:2021-02-07 19:31 IST
उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद आए पानी के सैलाब ने भारी तबाही मचाई है। इस हादसे से हजारों लोगों के प्रभावित होने अनुमान है।

देहरादून: उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद आए पानी के सैलाब ने भारी तबाही मचाई है। इस हादसे से हजारों लोगों के प्रभावित होने अनुमान है। तबाही के वीडियो लगातार सामने आ रहे हैं। यह वीडियो केदारनाथ त्रासदी की याद दिला रहे हैं। साल 2013 केदारनाथ धाम में मंदाकिनी नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया था और भारी तबाही मचाई थी। इस हादसे में 6 हजार से ज्यादा लोग लापता हो गए थे। इसकी वजह मरने वालों का आंकड़ा साफ नहीं है।

साल 2013 में 13 जून से लेकर 17 जून के बीच उत्तराखंड में बहुच बारिश हुई थी। इसी दौरान चौराबाड़ी ग्लेशियर पिघल गया था। इसके बाद मंदाकिनी नदी में बाढ़ आ गई। मंदाकिनी के पानी केदारनाथ समेत उत्तराखंड में भारी तबाही मचाई थी।

साल 2013 में केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री और हेमकुंड साहिब जैसे स्थानों में तबाही मची थी। इस हादसे में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। हजारों लोग बह गए और कई लोगों का तो अभी तक पता नहीं चल पाया। करीब 110000 लोगों को सेना ने बचाया था। लाखों का घर-बार सब तबाह हो गया था।

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हालांकि इस तबाही में आठवीं सदी में बने केदारनाथ मंदिर को भी आंशिक नुकसान हुआ था। केंदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल हैं। इस मंदिर में करोड़ों लोगों की आस्था है। कई शोध संस्थानों ने जानने की कोशिश की कि आखिर इतनी भयानक आपदा में मंदिर कैसे सुरक्षित बच गया। कई लोगों ने इसे चमत्कार बताया, तो कुछ लोगों ने कहा भौगोलिक स्थिति की मंदिर को नुकसान नहीं हुआ।

केदारनाथ आपदा में कई गांव तबाह हो गए थे। मंदाकिनी नदी की बिकराल लहरों ने रामबाड़ा का अस्तित्व ही खत्म कर दिया। इसके बाद सालों निर्माण कार्य चला और साल 2018 में यह दोबारा तैयार हुआ।

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150 लोग लापता

2013 की त्रासदी के करीब सात चमोली में तबाही ने केदारनाथ में आई तबाही की तस्वीरें ताजा कर दी हैं। उस दौरान लोगों ने प्राकृतिक आपदा का विकराल रूप देखा था। चमोली के कई गांवों को बाढ़ के कारण नुकसान होने की जानकारी सामन आ रही है। तो वहीं ऋषिगंगा प्रॉजेक्ट को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। एसडीआरएफ की सीईओ रिद्धिमा अग्रवाल के मुताबिक, पानी के तेज बहाव में ऋषिगंगा और धौलीगंगा प्रोजेक्ट के करीब 150 लोगों के लापता होने की खबर है।

अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक, 10 लोगों के शव बरामद किए गए हैं, तो वहीं तपोवन टनल में फंसे लोगों में से 16 लोगों को बाहर निकाला गया है। एनडीआरएफ के आईजी का कहना है कि रेसक्यू ऑपरेशन 24 से 48 घंटे तक जारी रह सकता है। उन्होंने कहा कि आपदा 2013 जितनी बड़ी नहीं है।

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