लव जिहाद पर मचा है शोर, यहां सरकार खुद दूसरे धर्म में शादी करने पर देगी 50 हजार

सामाजिक कल्याण अधिकारी दीपांकर घिडियाल ने बताया कि दूसरी जातियों और दूसरे धर्म में शादी करने वालों को दी जाने वाली राशि राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में काफी मददगार साबित हो सकती है।

Update: 2020-11-22 08:57 GMT
नई नियम के मुताबिक यदि मैरिज हाउस की क्षमता 100 की है, तो वहां आयोजित होने वाले कार्यक्रम में सिर्फ 50 लोग ही शामिल होंगे। नियमों का उल्लंघन करने मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

उत्तराखंड: उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे बीजेपी शासित राज्य जहां एक तरफ लव जिहाद के खिलाफ कड़ा कानून बनाने में जुटे हैं। वहीं उत्तराखंड में भाजपा की सरकार दूसरे धर्म और जाति में शादी करने वाले जोड़ों को प्रोत्साहन स्वरूप 50,000 रुपये दे रही है।

ये रकम उन सभी जोड़ों को दी जा रही है जिनकी शादियां वैध रूप से पंजीकृत हैं। राज्य समाज कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने ये जानकारी दी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये राशि केवल उन्हें ही मिलेगी जो इसकी शर्तों को पूरा करेंगे। इंटर कास्ट मैरिज के तहत 50 हजार की प्रोत्साहन राशि पाने के लिए जिस शर्त को पूरा करना है वो ये है कि इसके तहत पति-पत्नी में से किसी एक का अनुच्छेद 341 में वर्णित अनुसूचित जातियों में से होना चाहिए।

लव जिहाद पर मचा है शोर, यहां सरकार खुद दूसरे धर्म में शादी करने पर देगी 50 हजार (फोटो:सोशल मीडिया)

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स्कीम का लाभ उठाने के लिए शादी के एक साल के अंदर आवेदन करना जरूरी

इस पूरे मामले में बात करते हुए यहां के सामाजिक कल्याण अधिकारी दीपांकर घिडियाल ने बताया कि दूसरी जातियों और दूसरे धर्म में शादी करने वालों को दी जाने वाली राशि राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में काफी मददगार साबित हो सकती है। इस योजना के तहत लाभान्वित होने के लिए शादी के एक साल के अंदर आवेदन करना जरूरी है।

शादी की फोटो(सोशल मीडिया)

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पहले विजातीय और दूसरे धर्म में विवाह करने वाले लोगों को मिलते थे 10 हजार रुपये

यहां पर ये भी बता दें कि पहले इस योजना के अंतर्गत विजातीय और दूसरे धर्म में विवाह करने वाले लोगों को 10 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती थी।

लेकिन राज्य सरकार ने 2014 में उत्तर प्रदेश अंतरजातीय अंतरधार्मिक विवाह प्रोत्साहन नियमावली 1976 में संशोधन करके 10 हजार की रकम को बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया।

साल 2000 में जब अलग उत्तराखंड का निर्माण हुआ था तो उत्तराखंड राज्य ने इस कानून को यूपी से लिया था। जिसके बाद से अब केवल उत्तराखंड के लोग ही इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। इस योजना का फायदा केवल उन्हें ही मिलेगा।

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