कर्मचारियों के लिए खुशखबरी: परिवार को मिली राहत, उत्तराखंड सरकार लाई ये योजना

उत्तराखंड सरकार के कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों का गोल्डन कार्ड बनना है। वैसे तो इस व्यवस्था के लिए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने शिविरों के तहत गोल्डन कार्ड बनवाने की सुविधा दी लेकिन कर्मचारी इस बात पर तैयार नहीं कि उनके परिवार के लोग शिविरों में जाकर गोल्डन कार्ड बनवाये।

Update: 2020-12-13 16:12 GMT

देहरादून: उत्तराखंड की त्रिवेंद्र रावत सरकार राज्य कर्मचारियों के आश्रितों को बड़ी राहत देने पर पर विचार कर रही है। राज्य सरकार उत्तराखंड अटल आयुष्मान योजना के तहत कर्मचारियों के आश्रितों के घर जाकर गोल्डन कार्ड बनाने की तैयारी में हैं। बता दें कि सरकार ऐसा विचार इसलिए कर रही है क्योंकि कर्मचारियों के परिजनों को शिविरों में जाकर गोल्डन कार्ड बनवाने पर एतराज है। इसका कर्मचारी संगठन ने विरोध भी किया।

उत्तराखंड अटल आयुष्मान योजना

दरअसल, उत्तराखंड सरकार के कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों का गोल्डन कार्ड बनना है। वैसे तो इस व्यवस्था के लिए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने शिविरों के तहत गोल्डन कार्ड बनवाने की सुविधा दी लेकिन कर्मचारी इस बात पर तैयार नहीं कि उनके परिवार के लोग शिविरों में जाकर गोल्डन कार्ड बनवाये। कर्मचारियों के एतराज और विरोध को देखते हुए अब सरकार घरों में जाकर ही कार्ड बनवाने पर विचार कर रही है। वहीं स्वास्थ्य प्राधिकरण चाहता है कि फ़िलहाल कर्मचारी अपने गोल्डन कार्ड बनवा लें।

कर्मचारियों के आश्रितों के घर जाकर गोल्डन कार्ड बनाने पर विचार

बता दें कि उत्तराखंड स्वास्थ्य प्राधिकरण तीन लाख राजकीय कर्मचारियों- पेंशनरों और उनके आश्रितों के कैशलेस इलाज के लिए गोल्डन कार्ड बनवाने की जिम्मेदारी निभा रहा है। इस व्यवस्था के लिए पूरे राज्य में करीब 125 से ज्यादा अलग-अलग शिविर लगाए गए हैं। कर्मचारियों और पेंशनरों के आश्रितों को मिला लिया जाये तो प्राधिकरण को लगभग 10 लाख गोल्डन कार्ड बनाने हैं।

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हालाँकि प्राधिकरण को अब तक इसमें ज्यादा सफलता हाथ नहीं लगी। सूत्रों के मुताबिक, अब तक सिर्फ 10 प्रतिशत लोगों के कार्ड ही बन सकें हैं। कर्मचारियों के आश्रित शिविर में आ ही नहीं रहे, ऐसे में प्राधिकरण अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रहा।

कौन बनवा सकता है गोल्डन कार्ड :

कर्मचारियों के आश्रित : इसके तहत वो कर्मचारियों के परिवार के वो सदस्य हैं, जिनकी आय 9 हजार से कम हो। इससे ज्यादा आय वाले आश्रित को कैशलेस इलाज का लाभ नहीं मिलेगा। इस नियम को लेकर कर्मचारियों ने विरोध जताया है, हालंकि प्राधिकरण ने कहा कि आश्रितों के लिए यह मानक प्राधिकरण ने अलग से तय नही किया है, बल्कि यह पहले से शासकीय प्रक्रिया में है।

  • अस्पतालों पर प्राधिकरण-कर्मचारियों में विरोध

कर्मचारी चाहते हैं कि राज्य के मैक्स और कैलाश अस्पताल जैसे नामी अस्पतालों को इलाज के लिए सूची में शामिल किया जाए। वहीं सूत्रों के मुताबिक प्राधिकरण द्वारा मैक्स और कैलाश अस्पताल को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया निर्णायक मोड पर है। साथ ही केंद्र सरकार के तहत 30 हजार से अधिक अस्पतालों में कैशलेस इलाज राज्य के कर्मचारियों को भी मिले, इसके भी प्रयास शुरू हो गए हैं।

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