Varanasi News: जगत के गुरु भगवान भोलेनाथ की नगरी में गुरुजनों का हो रहा है पूजा पाठ

Varanasi News: वाराणसी के भेलुपुर स्थित क्रीं कुंड आश्रम में देर रात से ही अपने गुरु के दर्शन पूजन के लिए भक्त लाइनों में लगकर श्रद्धापूर्वक दर्शन पूजन कर रहे हैं। बिहार, झारखंड, दिल्ली समेत देश के कोने कोने से श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए आए हुए हैं।

Update:2023-07-03 10:54 IST

Varanasi News: गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुरेव महेश्वर: गुरुरेव साक्षात परं ब्रह्मं तस्मै श्री गुरुवे नम:। देशभर में आज गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। ऐसे में तीनों लोकों के गुरु भगवान भोलेनाथ की नगरी में गुरुजनों का पूजा पाठ बड़े ही धूम धाम से शिष्य कर रहे हैं। वाराणसी के भेलुपुर स्थित क्रीं कुंड आश्रम में देर रात से ही अपने गुरु के दर्शन पूजन के लिए भक्त लाइनों में लगकर श्रद्धापूर्वक दर्शन पूजन कर रहे हैं। बिहार, झारखंड, दिल्ली समेत देश के कोने कोने से श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए आए हुए हैं। क्रीं कुंड आश्रम में सुबह की आरती के बाद से आम श्रद्धालुओं के लिए बाबा कीनाराम का समाधि स्थल खोल दिया गया है। पूरे साल में एकबार ही बाबा कीनाराम का समाधिस्थल आम श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। क्रीं कुंड आश्रम में आज पूरे दिन गुरु चरणों में लोग शीश झुकाएंगे।

अघोर साधना का केंद्र है क्रीं कुंड

काशी नगरी अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं इन रहस्यों को जानने और समझने के लिए अध्यात्म रुपी सागर में डूबना पड़ता है। अध्यात्म के मार्ग पर चलने के लिए एक गुरु का वरण करना जरुरी होता है। गुरु ही शिष्य को जगत के भव बंधन से पार उतारता है। अब हम सीधे मुद्दे पर आते हैं क्रीं कुंड अधोर साधना का केंद्र है। 'अ' का मतलब नहीं 'घोर' का मतलब होता है जो समस्त बंधन से ऊपर हो।अघोर परंपरा की शुरुआत अघोरेश्वर भगवान कीनाराम ने किया था ।बाबा कीनाराम के विषय में कहा जाता है कि भगवान शिव के अंश अवतार थे बाबा कीनाराम।बाबा कीनाराम ने क्रीं कुंड आश्रम की स्थापना किया था।तभी से अघोर परंपरा की शुरुआत हुई।अघोर परंपरा के अनुयाई देशभर में फैले हुए हैं।

क्रीं कुंड में बाबा कीनाराम ने किया था शक्तिपात

क्रीं कुंड आश्रम में स्थित कुंड में बाबा कीनाराम ने अपनी शक्तियों को एकत्रित करके शक्तिपात किया था। तभी से जो श्रद्धालु मंगलवार और रविवार के दिन कुंड में स्नान करके सच्चे मन से मन्नत मांगते हैं। वह अवश्य पूरा होता है। मन्नत पूरी होने के बाद कुंड में अंतिम स्नान के समय अपने तन का सारा कपड़ा वहीं समर्पित कर दिया जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु कुंड में स्नान करने के बाद बाबा कीनाराम की समाधि पर मत्था टेक रहें हैं ।

गुरु पूर्णिमा का महत्व जानिए शिष्यों की जुबानी

दिल्ली से गुरु पूर्णिमा पर दर्शन पूजन करने आईं डॉ जयति ओझा ने बताया कि यह काशी है और काशी के बारे में कहते हैं कि यहां मृत्यु भी जश्न है। आप जब गुरु को मां के रुप में जब पूजते हैं तो महत्व और भी बढ़ जाता है। आज गुरु पूर्णिमा पर हम मां के सानिध्य में हैं सबसे खास बात है। हम यहां पर 12 से 15 साल से आ रहे हैं।और गुरु पूर्णिमा पर पर सिर्फ इतना ही कहना चाहती हूं कि जब जीवन में स्थायित्व आता है तभी गुरु का सान्निध्य मिलता है। अगर आपके अंदर श्रद्धा हैं तो गुरु के बताए मार्ग पर चलना पड़ेगा।

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