हाथरस गैंगरेप पीड़िता की दिल्ली में हुई दुखद मौत ने उत्तर प्रदेश की एनकाउंटर पुलिस और योगी सरकार के बेटी बचाओ नारे को बीच चौराहे पर फांसी चढ़ा दिया है। दुष्कर्म, अमानवीय बर्बरता की शिकार बनी गुडिया ने राजनीतिक दलों के बयानबाज वीरों की कायरता भी सभी के सामने ला दी। दलित युवाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली अकेली भीम आर्मी ही ऐसी है जिसने सड़क पर उतरकर सरकार को नींद से जगाने की कोशिश की लेकिन भाजपा के प्रवक्ताओं ने अल्पसंख्यकों के अत्याचार का शिकार बनी युवतियों का हवाला देकर इंसाफ की उम्मीद ही खत्म कर दी।