Uttarakhand Video: देवप्रयाग में अलकनंदा एवं भागीरथी का संगम, आप भी देखें ये मनोरम दृश्य

Video Viral: इस संगम को महासंगम भी कहा जाता है। बताया जाता है कि यहीं से गंगा मां ने जन्म लिया है। आपको वीडियो में दो नदी दिखाई दे रही होगी जिसमें एक है अलकनंदा और दूसरी हैं भागीरथी।

Written By :  Anjali Soni
Update: 2022-09-25 10:38 GMT

Alaknanda Bhagirathi Sangam: देवप्रयाग भूमि श्री राम की, जहां है भारत का सबसे पवित्र संगम। हिमालय से निकलने वाली अमृत की दो जल धारा जिसके मिलने से जन्म होता है, मां गंगा का। देवप्रयाग को देवतुल्य भूमि ऐसे ही नहीं कहा जाता है। क्योंकि ये भूमि है तपस्या की, ये भूमि है त्रिवेणी की, ये भूमि है पुरखो की, ये भूमि है श्री रघुनाथ की। ये भूमि भारत के सबसे पवित्र संगम में से एक है। इस संगम को महासंगम भी कहा जाता है। बताया जाता है कि यहीं से गंगा मां ने जन्म लिया है। आपको वीडियो में दो नदी दिखाई दे रही होगी जिसमें एक है अलकनंदा और दूसरी हैं भागीरथी। अलकनंदा अपना रंग चार बार बदलती है।

अगर आप भी जाना चाहते हैं देवप्रयाग:

देवप्रयाग में पहाड़ी इलाकों जैसा नजारा देखने को मिलता है। और कई सारे नजारे और बाजार देखने को मिलेंगे। नदियों की मधुर आवाज सुनकर आपका भी दिन बन जाएगा। देवप्रयाग भूमि की अनुभूति ऐसी लगती है जैसे आप एक स्वर्ग में हो। और आप चाहे किसी भी मौसम में देवप्रयाग भूमि जाए हमेशा वहा अच्छा ही लगेगा। ऐसा कहा जाता है दोनों नदियों के संगम से मिलकर गंगा बनती है। वैसे भागीरथी को भी गंगा कहा जाता है। इस देव संगम को त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है। यहा पर भागीरथी, अलकनंदा के साथ साथ गुप्त सरस्वती का भी संगम है। देवप्रायग के संगम घाट पर संकल्प, पिंड दान आदि पूजा कार्य करने का बड़ा महत्व है।स्वयं भगवान श्री राम ने इसी घाट पर अपने पिता राजा दसरत का भी पिंड दान किया था।

अलकनंदा बहुत शीतल है और एक इंच भी लहर देखने को नहीं मिलेगी। इसी के सामने हैं भागीरथी की लहरें आपको नजर आएगी। देवप्रयाग में एक रघुनाथ मंदिर भी है जो की सबसे पुराने मंदिर में से एक है। जब रावण का श्री राम ने अंत कर दिया था तो गंगा के संगम पर प्रभु राम ने तपस्या की थी क्योंकि उन पर ब्रहम हत्या का आरोप लगा था। देवप्रयाग भारत के उत्तराखण्ड राज्य के टिहरी गढ़वाल ज़िले में स्थित एक नगर है। यह पंच प्रयाग में से एक है और यहाँ अलकनन्दा नदी का भागीरथी नदी से संगम होता है। इस संगम के आगे यह संयुक्त नदी गंगा कहलाती है। धार्मिक दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थस्थान है।

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