पाक गिरफ्तार भारतीय पायलट के साथ नहीं कर सकता दुर्व्यवहार, जानिए क्या है कारण?

Update: 2019-02-28 00:30 GMT

जयपुर:पाकिस्तान ने एक भारतीय एयरक्राफ्ट पायलट अभिनंदन को पकड़ लिया है। पाकिस्तान ने कहा है कि उसके साथ मानवीय व्यवहार किया जाएगा। भारत ने इसे लेकर कहा है कि पाकिस्तान जल्द से जल्द पायलट को वापस लौटा दे। और जब तक वह वहा पर है उसके साथ जेनेवा संधि के तहत व्यवहार किया जाना चाहिए। आइए जानते हैं क्या है जेनेवा संधि ।युद्धबंदियों के अधिकारों को बरकरार रखने की खातिर जेनेवा समझौता किया गया था। जेनेवा समझौते में चार संधियां और तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल शामिल हैं। जिसका मकसद युद्ध के वक्त मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए कानून तैयार करना।

मानवता को बरकरार रखने के लिए पहली संधि 1864 में हुई थी। इसके बाद दूसरी संधि 1906 और 1929 में हुई। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1949 में 194 देशों ने मिलकर चौथी संधि पर हस्ताक्षर किए थे। युद्धबंदियों के अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए जेनेवा संधि में कई नियम हैं।इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रॉस में जेनेवा संधिके तहत युद्ध में घायल और हिरासत में लिए गए बंदियों के साथ कैसा व्यवहार करना है इसके नियम बताए गए हैं। जेनेवा संधि के साथ ही युद्ध क्षेत्र में घायल और आम लोगों की सुरक्षा की बात कही गई है।जेनेवा समझौते में दिए गए अनुच्छेद 3 के तहत युद्ध के दौरान घायल बंदियों के साथ अच्छे तरीके से उपचार होगा। युद्धबंदियों (POW) के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार नहीं होना चाहिए। उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा।

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साथ ही सैनिकों को कानूनी सुविधा भी मुहैया कराई जाएगी। जेनेवा संधि के तहत युद्ध बंदियों को डराया धमकाया नहीं जा सकता है। इसके अलावा उन्हें अपमानित नहीं किया जा सकता है। जेनेवा संधि के मुताबिक युद्धबंदियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है। इसके अलावा युद्ध शांत होने के बाद युद्ध बंदियों को उनके देश वापस भी लौटाया जाएगा। कोई भी देश युद्धबंदियों को लेकर जनता में उत्सुकता पैदा नहीं कर सकता। युद्धबंदियों से सिर्फ उनके नाम, सैन्य पद, नंबर और यूनिट के बारे में पूछा जा सकता है।

इस संधि की खास बातें

जेनेवा संधि के तहत घायल सैनिक की उचित देखरेख की जाएगी।संधि के तहत उन्हें खाना-पीना और युद्ध की सभी जरूरी चीजें दी जाएगी। जेनेवा संधि के मुताबिक किसी भी युद्धबंदी को प्रताड़ित नहीं किया जा सकता।किसी देश का सैनिक जैसे ही पकड़ा जाता है वह इस संधि के तहत आ जाता है। जेनेवा संधि के मुताबिक उसे डराया-धमकाया नहीं जा सकता।जेनेवा संधि के मुताबिक युद्धबंदी से उसकी जाति, धर्म, जन्म आदि के बारे में नहीं पूछा जा सकता।

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