Afghanistan News: चीन और पाकिस्तान की मदद से तालिबान खड़ी कर रहा नियमित सेना
तालिबान अब चुपचाप अफगानिस्तान की एक रेगुलर सेना खड़ी करने के काम में लगा हुआ है। तालिबानी नेताओं ने रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याक़ूब और सेना प्रमुख कारी फसीहुद्दीन को नई सेना बनाने का काम सौंपा है। इस पर पाकिस्तान और चीन ने ही इस बारे में रुचि दिखाई है।
Afghanistan News: ढेरों समस्याओं की चुनौती के बीच तालिबान (Taliban) चुपचाप अफगानिस्तान (Afghanistan) की एक रेगुलर सेना खड़ी करने के काम में लगा हुआ है। तालिबानी नेताओं (Taliban Leader) ने रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याक़ूब (Defense Minister Mullah Mohamed Yacoub) और सेना प्रमुख कारी फसीहुद्दीन (Army Chief Qari Fasihuddin) को नई सेना बनाने का काम सौंपा है।
अफगानिस्तान को एक छोटी लेकिन मजबूत रेगुलर आर्मी की जरूरत: तालिबानी नेता
एक तालिबानी नेता का कहना है कि अफगानिस्तान (Afghanistan) को एक छोटी लेकिन मजबूत रेगुलर आर्मी की जरूरत है जो न सिर्फ सीमाओं की रक्षा करें बल्कि आंतरिक सुरक्षा खतरों से भी निपटे।
दरअसल, तालिबान (Taliban) अब अपने आप को एक विद्रोही संगठन की बजाए एक नियमित सरकार के रूप में प्रस्तुत करना चाहता है। सेना गठित करने के पीछे यही उसका इरादा है। वो दुनिया को दिखाना चाहता है कि वह अब लड़ाकू संगठन नहीं बल्कि एक राज्य है। लेकिन सेना बनाने के लिए उसे इंटरनेशनल मदद, तकनीकी सहायता और उपकरणों की जरूरत है। इस बाबत वह पाकिस्तान (Pakistan) और चीन(China) के संपर्क में है। दोनों ने ही इस बारे में रुचि दिखाई है।
अफगानिस्तान की सभी आठ मिलिट्री कोर को दिए नए ऐतिहासिक इस्लामी नाम
पिछले महीने तालिबान (Taliban) ने अफगानिस्तान (Afghanistan) की सभी आठ मिलिट्री कोर (eight military corps) को नए ऐतिहासिक इस्लामी नाम दिए थे। इसके अलावा तालिबान (Taliban) के सीनियर लड़ाकों को प्रमुख पदों पर तैनात किया था। अब तालिबानी लड़ाके अफगानी पारंपरिक ड्रेस की जगह मिलिट्री यूनिफॉर्म पहनने लगे हैं।
अफगान नेशनल डिफेंस सिक्योरिटी फोर्सेज की जरूरत नहीं: मुत्तकी
पिछले महीने इस्लामाबाद (Islamabad) में आयोजित एक इवेंट में तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी (Taliban Foreign Minister Amir Khan Muttaqi) ने कहा था कि उनके देश को अफगान नेशनल डिफेंस सिक्योरिटी फोर्सेज (Afghan National Defense Security Forces) की जरूरत नहीं है। मुत्तक़ी के अनुसार ये फोर्स विदेशी ताकतों ने बनाई थीं। मुत्तकी ने कहा कि अफगानिस्तान (Afghanistan) को एक छोटी सेना चाहिए जो देशभक्त और श्रद्धालुओं से बनी हो। पुरानी फोर्स के सभी लोग नई सेना में नहीं रखे जाएंगे।
अमेरिका (America) के कंट्रोल के दौरान तीन लाख से ज्यादा सैनिकों वाली नेशनल डिफेंस फोर्सेज (National Defense Forces) जनवरी 2015 से अफगानिस्तान (Afghanistan) में पूर्ण सुरक्षा जिम्मेदारी संभाल रही थी। 15 अगस्त 2021 को अमेरिकी और नाटो सेनाओं की वापसी के साथ नेशनल डिफेंस फोर्सेज (National Defense Forces) का पतन हो गया। तालिबान (Taliban) ने कंट्रोल संभालने के साथ तीन महीनों में 100 से ज्यादा नेशनल डिफेंस फोर्सेज (National Defense Forces) कर्मियों को मौत के घाट उतार दिया है।
आईएसआईएस की चुनौती
तालिबान (Taliban) को सबसे बड़ी चुनौती आईएसआईएस (Isis) से है। इराक में आईएसआईएस (Isis) ने सद्दाम हुसैन के वफादार हजारों सैनिकों को अपने संगठन में शामिल कर लिया था अब वहीं रणनीति अफगानिस्तान (Afghanistan) में अपना कर आईएसआईस-खुरासान ने नेशनल डिफेंस फोर्सेज (National Defense Forces) के सैनिकों को अपने संगठन में आकर्षित कर लिया है। तालिबान (Taliban) की योजना है कि उसकी सेना आईएसआईएस - के की बढ़ती हरकतों से भी निपटेगी। अगस्त से अब तक आईएस तालिबानी नेताओं को निशाना बना कर कम से कम 100 हमले कर चुका है।
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