Sunita Williams News: अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की बिगड़ रही हालत, जारी नई तस्वीर से डॉक्टर ने उनके स्वास्थ्य के बारे में जताई चिंता
Sunita Williams News: नासा से हाल ही में एक अंतरिक्ष यात्री की गंभीर हालत में तस्वीर भेजी गई है। इसमें 59 वर्षीय सुनीता विलियम्स सामान्य से काफी ज्यादा कमजोर नजर आ रहीं हैं, जिससे डॉक्टर ने उनके स्वास्थ्य के बारे में चिंता जताई है।
Sunita Williams News: अंतरिक्ष यात्रा पर निकली सुनीता विलियम्स का स्वास्थ दिन पर दिन गिरता ही जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में फंसे नासा के अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता बढ़ाने वाली खबर सामने आई है। नासा से हाल ही में एक अंतरिक्ष यात्री की गंभीर हालत में तस्वीर भेजी गई है। इसमें 59 वर्षीय सुनीता विलियम्स सामान्य से काफी ज्यादा कमजोर नजर आ रहीं हैं, जिससे डॉक्टर ने उनके स्वास्थ्य के बारे में चिंता जताई है। बता दें, बोइंग स्टारलाइनर में खराबी के चलते विलियम्स और बैरी विल्मोर 6 जून से स्पेस में अटके हुए हैं।
सुनीता विलियम्स अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के माध्यम से अंतरिक्ष जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला है। यह भारत के गुजरात के अहमदाबाद से ताल्लुक रखती है। इन्होंने एक महिला अंतरिक्ष यात्री के रूप में 127 दिनों तक चांद पर रहने का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है। अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स तय समय से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी अंतरिक्ष में हैं। अब उनकी वापसी फरवरी 2025 में होगी। इस दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में लगभग 250 दिन बिताए होंगे। लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने की वजह से उनके शरीर, आंख में कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे।नौसेना पायलट जो शुरू में गोताखोर बनना चाहती थीं, विलियम्स 1998 में नासा में शामिल हुईं। सुनीता विलियम्स तीन बार अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन जा चुकी हैं - 2006-07 में, 2012 में और अब 2024 में।
तस्वीरों के जरिए लगाया जा रहा अनुमान
नासा द्वारा हाल ही में जारी तस्वीर में दोनों अंतरिक्ष यात्री साथ में रात्रिभोज करते नजर आ रहे हैं, जिसमें सुनीता विलियम्स लेटी हुई हैं। उनके गाल मिशन पर जाते समय की तुलना में अब काफी धंस चुके हैं।
उनके स्वास्थ्य को लेकर चिकित्सकों ने बताया कि मानव शरीर कम तापमान और सख्त परिस्थितियों के कारण पृथ्वी की तुलना में अंतरिक्ष में अधिक कैलोरी खर्च होती है। विलियम्स के धंसे हुए गाल संभवतः कैलोरी की कमी का परिणाम हैं।"
मसल एट्रोफी की हो रहीं शिकार
सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर को 8 दिनों के लिए स्पेस में रहना था, लेकिन वे 153 दिनों से फंसे हुए हैं।अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने वाले किसी भी व्यक्ति में मसल एट्रोफी जैसी समस्या पैदा हो जाती है। यह चौंकाने वाला विश्लेषण स्पेस-एक्स के ड्रैगन कैप्सूल से पृथ्वी पर लौटे नासा के 4 अंतरिक्ष यात्रियों के दल को अस्पताल ले जाने के बाद संबंधित डॉक्टर द्वारा सामने लाया गया है।
क्या होती है मसल एट्रोफी की समस्या
मसल एट्रोफी की समस्या में मांसपेशियों में कमज़ोरी और क्षय होना आरंभ हो जाता है। इसमें शरीर को नियंत्रित करने वाली रीढ़ की हड्डी में मौजूद मोटर न्यूरॉन्स (तंत्रिका कोशिकाएं) खास तौर से प्रभावित होती हैं। इन कोशिकाओं के जरिए ही स्वैच्छिक मांसपेशियों को कार्य करने के लिए संकेत मिलते हैं, जिनके कारण मांसपेशियां काम करती हैं। SMA में मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं और सिकुड़ने लग जाती हैं। इससे रेंगने, चलने, निगलने, सांस लेने, और अन्य कार्यों में दिक्कत आने लगती है।