Attack on Hindu Temples: अब ब्रिस्बेन में हिंदू मंदिर पर हमला, खालिस्तान समर्थकों ने की तोड़-फोड़...लिखे नारे
Attack on Hindu Temple: ऑस्ट्रेलिया में हिन्दू मंदिरों पर लगातार हमले जारी हैं। खालिस्तान समर्थकों ने ब्रिस्बेन में मंदिर में तोड़-फोड़ कर भारत विरोधी नारे लिखे।
Attack on Hindu Temples: ऑस्ट्रेलिया (Hindu Temples in Australia) में हिन्दू मंदिरों पर हमलों का सिलसिला थम नहीं रहा। इसी कड़ी में ताजा मामला शनिवार (04 मार्च) को ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन से सामने आया। दरअसल, ब्रिस्बेन स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर (Shri Laxmi Narayan Temple, Brisbane) में खालिस्तान समर्थकों ने एक बार फिर तोड़फोड़ की। मंदिरों पर लगातार हमले से ऑस्ट्रेलिया में रह रहे हिन्दुओं में काफी गुस्सा है।
गौरतलब है कि, हालिया घटना से पहले जनवरी में मेलबर्न में 15 दिन के अंदर तीन हिंदू मंदिरों पर हमला (Attack on Hindu Temples in Melbourne) हुआ था। जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया में रह रहे भारतीय मूल के लोगों ने विरोध-प्रदर्शन कर अपने गुस्सा का इजहार किया था। पिछले हमले में भी तोड़फोड़ के साथ मंदिर की दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखे गए थे। ऐसी घटनाएं साफ-साफ इशारा करती हैं कि अराजक तत्व शांतिपूर्ण और बहुधर्मी ऑस्ट्रेलियाई समाज में नफरत और बंटवारा की कोशिशें कर रहे हैं।
दो महीने में चौथी घटना
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया की मानें तो ये घटना शनिवार तड़के की है। उस वक़्त श्रद्धालु सुबह की पूजा के लिए मंदिर गए थे। इसी दौरान ब्रिस्बेन स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में खालिस्तान समर्थकों द्वारा तोड़फोड़ की गई। इतना ही नहीं, मंदिर की दीवारों पर भारत विरोधी नारे भी लिखे। खालिस्तानी समर्थक इससे पहले भी ऑस्ट्रेलिया में ऐसी घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं। गौरतलब है कि, दो महीने के भीतर ऑस्ट्रेलिया में हिन्दू मंदिर से जुड़ी यह चौथी घटना है।
ऑस्ट्रेलिया में कितनी हिंदुओं की संख्या?
आपको बता दें, ऑस्ट्रेलिया में हिंदुओं की कुल आबादी 6.84 लाख है। यहां बड़ी संख्या में हिन्दू धर्म मानने वाले रहते हैं। हिंदू ऑस्ट्रेलिया में तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। ये ऑस्ट्रेलिया की कुल आबादी का 2.7 प्रतिशत है। ये आंकड़ें 2021 में हुए जनगणना के मुताबिक हैं। ऑस्ट्रेलिया में चीन के बाद विदेशी छात्रों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या भारतीय छात्रों की ही है। हाल के वर्षों में भारत और ऑस्ट्रेलिया के रिश्ते पहले से ज्यादा घनिष्ठ हुए हैं। ऐसे में खालिस्तानी समर्थक दोनों देशों के रिश्तों पर असर डालने की कोशिशों में जुटे हैं।