Bharat Biotech Covaxin : कोवैक्सीन को फिर नहीं मिली मंजूरी, WHO अभी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं

Bharat Biotech Covaxin : भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को डब्लूएचओ को फिर मंजूरी नहीं मिल सकी है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-10-27 15:45 IST

कोवैक्सिन-WHO (फोटो साभार- सोशल मीडिया)  

Bharat Biotech Covaxin : भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन - कोवैक्सीन को डब्लूएचओ की मंजूरी फिर लटक गयी है। डब्लूएचओ वैक्सीन की सुरक्षा और असरदारिता के प्रति पूरी तरह संतुष्ट और आश्वस्त होना चाहता है और इसी क्रम में भारत बायोटेक से बार बार उसकी वैक्सीन संबंधी डेटा मांगे जाते हैं लेकिन हमेशा कुछ न कुछ जानकारी रह जाती है जिसकी वजह से मंजूरी का मामला लटक जाता है।

अब विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लूएचओ के तकनीकी सलाहकार समूह ने कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग की सूची में शामिल करने के लिए भारत बायोटेक से अतिरिक्त स्पष्टीकरण मांगा है। तकनीकी सलाहकार समूह अब अंतिम मूल्यांकन के लिए तीन नवंबर को बैठक करेगा।

भारत के स्वदेशी टीके
Bharat Ke Swadesi Teeke
 

कोवैक्सीन को विकसित करने वाली हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी ने टीके को आपातकालीन उपयोग सूची (ईयूएल) में शामिल करने के लिए 19 अप्रैल को डब्ल्यूएचओ को एक्सप्रेशन ऑफ़ इंटरेस्ट प्रस्तुत किया था।

तकनीकी सलाहकार समूह ने 26 अक्टूबर को भारत के स्वदेशी टीके को आपातकालीन उपयोग सूची में शामिल करने के लिए कोवैक्सीन के आंकड़ों की समीक्षा करने के लिए बैठक की और सब जानकारियां देखने के बाद फैसला किया कि टीके के वैश्विक उपयोग के मद्देनजर अंतिम लाभ-जोखिम मूल्यांकन के वास्ते निर्माता से अतिरिक्त स्पष्टीकरण मांगे जाने की जरूरत है।

तकनीकी समूह को निर्माता से यह स्पष्टीकरण इस सप्ताह के अंत तक मिलने की संभावना है जिस पर तीन नवंबर को बैठक करने का लक्ष्य है। इससे पहले डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता उम्मीद जताई थी कि यदि समूह आंकड़ों से संतुष्ट होता है तो 24 घंटे के भीतर अपनी सिफारिशें दे देगा।

फोटो- सोशल मीडिया

कोवैक्सीन को कोरोना के खिलाफ 77.8 प्रतिशत और डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ 65.2 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है। जून में कंपनी ने कहा था कि उसने तीसरे चरण के नतीजों के अंतिम आंकलन का काम पूरा कर लिया है। कोवैक्सीन को ईयूएल में शामिल करने पर विचार करने के लिए 26 अक्टूबर को तकनीकी समूह की बैठक हुई थी।

इसके पहले डब्लूएचओ ने साफ़ कह दिया था कि वह वैक्सीन को मंजूरी देने के लिए शार्टकट नहीं अपना सकता है। डब्लूएचओ ने कहा है कि उसने भारत बायोटेक से वैक्सीन के बारे में और जानकारियां मांगी हैं। संगठन ने कहा है कि वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी है कि नहीं, इसका गहन मूल्यांकन करेगा। उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।

डब्लूएचओ ने कहा है - हम जानते हैं कि लोग कोवैक्सिन के आपात इस्तेमाल के लिए डब्लूएचओ के अनुमोदन का इन्तजार कर रहे हैं लेकिन हम शार्टकट नहीं अपना सकते। किसी प्रोडक्ट के आपात इस्तेमाल की सिफारिश से पहले हमें सघन मूल्यांकन के जरिये ये सुनिश्चित करना होगा कि वह प्रोडक्ट सुरक्षित और प्रभावी है।

डब्लूएचओ ने ये भी कहा है कि भारत बायोटेक डेटा जमा करता रहा जिसकी समीक्षा संगठन के एक्सपर्ट करते आये हैं। अब डब्लूएचओ कंपनी से एक अतिरिक्त जानकारी की अपेक्षा कर रहा है। जब उस जानकारी से हमारे सभी सवालों के जवाब मिल जायेंगे तब डब्लूएचओ और टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप मूल्यांकन का काम पूरा करेंगे और फिर एक फाइनल सिफारिश करेंगे कि वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी जाये कि नहीं।

डब्लूएचओ का कहना है कि आपात इस्तेमाल की मंजूरी देने की समय सीमा इस पर निर्भर करती है कि कोई कंपनी माँगी गयी जानकारी कितनी जल्दी उपलब्ध कराती है।

बच्चों की वैक्सीन
Bachcho ki Vaccine

बच्चों की वैक्सीन (फोटो- सोशल मीडिया)

हाल ही में ड्रग कंट्रोलर की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने बच्चों को कोवैक्सिन लगाने की सिफारिश की थी। लेकिन ये मामला भी लंबित हो गया है कि क्योंकि अब ड्रग कंट्रोलर ने कहा है कि वह इस बारे में कुछ और टेक्निकल सलाह ले रहा है क्योंकि बच्चों में कोरोना संक्रमण के मामले अब भी काफी कम हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो अब ये सोचा जा रहा कि जब बच्चों में संक्रमण कम है तो वैक्सीन क्यों लगाई जाये?

भारत में अधिकांश राज्यों में स्कूल खुल चुके हैं। त्योहारी सीजन भी शुरू हो चुका है सो ऐसे में सवाल उठता है कि बच्चों में वैक्सीन का रोलआउट कितनी तेजी से किया जाना चाहिए। अन्य देशों में संकेत मिलते हैं हैं कि कोरोना का अदेलता वेरियंट बच्चों को संक्रमित कर रहा है। अमेरिका में कोरोना के जितने नए केस आ रहे हैं उनमें से 22 फीसदी बच्चों में हैं।

यूनाइटेड किंगडम में स्कूली बच्चों में संक्रमण देखा जा रहा है और ब्राजील में तो बच्चों और किशोरों में कोरोना की वजह से काफी मौतें हुईं हैं। अब तो विश्व में 25 से ज्यादा देश 12 साल से ऊपर के बच्चों को वैक्सीन लगा रहे हैं। क्यूबा और चीन में तो 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन लगाई जा रही है।

भारत में 525 बच्चों पर हुए ट्रायल के बाद ड्रग कंट्रोलर की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने 2 से 18 वर्ष के बच्चों को कोवैक्सिन लगाने की सिफारिश की थी। आम तौर पर एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिश के एक दो दिन बाद ड्रग कंट्रोलर अंतिम मुहर लगा देता है लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ है। अब कुछ और टेक्निकल सलाह ली जा रही है। इसके बाद की कोई फैसला लिया जाएगा।

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