कश्मीर और सीएए के मुद्दे पर बिडेन का भारत विरोधी रुख, ट्रंप को मिल सकता है फायदा

अमेरिका में कोरोना संकट के बीच इस साल के अंत में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की गतिविधियां भी तेज हो गई हैं।

Update: 2020-06-30 05:15 GMT

नई दिल्ली: अमेरिका में कोरोना संकट के बीच इस साल के अंत में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की गतिविधियां भी तेज हो गई हैं। शुरुआती सर्वे के मुताबिक डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन रिपब्लिक पार्टी के उम्मीदवार और मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भारी पड़ते दिख रहा है मगर बिडेन की ओर से हाल ही में जारी किए गए पॉलसी पेपर का फायदा ट्रंप को मिल सकता है। बिडेन के इस पॉलिसी पेपर में मोदी सरकार के कश्मीर और नागरिकता संशोधन कानून संबंधी फैसलों की आलोचना की गई है। इससे माना जा रहा है की ट्रंप को एनआरआई मतदाताओं का समर्थन हासिल हो सकता है।

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आखिर क्या होता है पॉलिसी पेपर

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान दोनों दलों के उम्मीदवार अपना-अपना पॉलिसी पेपर जारी करते हैं। इसमें यह साफ किया जाता है कि विभिन्न मुद्दों पर उनकी क्या नीति होगी? इसके साथ ही विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय भी जनता के बीच रखी जाती है ताकि लोगों को उम्मीदवार के जीतने की स्थिति में उसकी भावी नीति के बारे में जानकारी मिल सके। अमेरिका को दुनिया की सबसे बड़ी ताकत माना जाता है और इसलिए पूरी दुनिया की नजर अमेरिकी राष्ट्रपति पद के दावेदार की भावी नीति पर होती है। हर कोई यह जानना चाहता है कि वैश्विक राजनीति और कूटनीति को लेकर उम्मीदवार का क्या रवैया होगा।

पॉलसी पेपर में मोदी सरकार की आलोचना

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन मोदी सरकार की कश्मीर और सीएए से जुड़े फैसलों के आलोचक हैं। उनका कहना है कि कश्मीर में स्थानीय लोगों के अधिकारों को फिर से स्थापित किया जाना चाहिए। इसके लिए भारत सरकार को हर संभव प्रयास करना चाहिए। घाटी में अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने के बाद विरोध की आवाज को दबाना और इंटरनेट बंद करना अलोकतांत्रिक कदम है और ऐसे कदम नहीं उठाए जाने चाहिए। बिडेन के पॉलिसी पेपर में एनआरसी और सीएए के मामले में मोदी सरकार के रवैये को निराशाजनक बताया गया है। बिडेन का कहना है कि भारत की परंपरा में सांप्रदायिकता का कोई स्थान नहीं है। ऐसे में मोदी सरकार का नागरिकता संशोधन कानून पूरी तरह विरोधाभासी लगता है।

अमेरिका में रहने वाले हिंदुओं में नाराजगी

अमेरिकी राष्ट्रपति पद के दावेदार जो बिडेन के इस पॉलिसी पेपर के बाद अमेरिका में रहने वाले हिंदू समुदाय में गुस्सा देखने को मिला है। अमेरिकी मीडिया की खबरों के मुताबिक हिंदुओं के बड़े समूह ने बिडेन की प्रचार टीम के साथ बैठक में इस मुद्दे पर नाराजगी जताई है। उन्होंने हिंदू अमेरिकन कम्युनिटी के लिए बिडेन की टीम से अलग पॉलिसी पेपर लाने की मांग की है। हालांकि बिडेन की टीम की ओर से अभी तक इस बाबत कोई वादा नहीं किया गया है।

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बिडेन के रुख पर सभी को आश्चर्य

वैसे बिडेन के इस रुख को लेकर अमेरिका में आश्चर्य भी जताया जा रहा है। बराक ओबामा के अमेरिका के राष्ट्रपति रहने के दौरान बिडेन आठ साल तक उपराष्ट्रपति रहे हैं। इस दौरान उनका रुख भारत के प्रति मित्रता का रहा है। सीनेटर के रूप में भी उन्होंने भारत से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर समर्थन का रुख दिखाया है। उपराष्ट्रपति रहने के दौरान वए दीपावली का त्योहार भी मनाते रहे हैं। ऐसे में कश्मीर और सीएए के मुद्दे पर उनकी राय को अचरज भरा माना जा रहा है।

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