अभी-अभी बड़ी खबर: मिला कोरोना का इलाज, चमगादड़ों से बनेगी दवा
कोरोना वायरस महामारी को 5 महीने पूरे हो चुके हैं लेकिन अभी तक वैज्ञानिक इस खतरनाक वायरस के बारे में सटीक दवा और खास जानकारी नहीं जुटा पाए हैं। हालांकि दवा और टीके के प्रयास जारी है।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी को 5 महीने पूरे हो चुके हैं लेकिन अभी तक वैज्ञानिक इस खतरनाक वायरस के बारे में सटीक दवा और खास जानकारी नहीं जुटा पाए हैं। हालांकि दवा और टीके के प्रयास जारी है। वहीं चमगादड़ों पर शोध कर रहे एक अमेरिकी वैज्ञानिक पीटर डेसजैक का कहना है कि जिससे वायरस मिला, उससे इलाज भी हो सकता है। चलिए जानते है कि कौन है पीटर डेसजैक और क्या कहता है इनका शोध।
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पीटर डेसजैक
पीटर डेसजैक एक वायरस शोधकर्ता हैं जो जगह-जगह जाकर चमगादड़ों में मिलने वाले वायरस पर काम कर रहे हैं। एक संस्था इकोहेल्थ अलायंस के जरिए 10 साल से इसपर काम करे रहे पीटर अबतक 20 देशों में सैंपल इकट्ठा करने जा चुके हैं।
वैज्ञानिक पीटर बताते हैं कि उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर कोरोना वायरस फैमिली के 15 हजार से ज्यादा नमूने जमा किए, जिनमें से 500 सैंपल न्यू कोरोना वायरस से जुड़े पाए गए।
ऐसा भी माना जा रहा है कि साल 2013 में वुहान की एक गुफा से मिला सैंपल कोविड-19 से ठीक पहले का वायरस रहा होगा। ये गुफा चीन के युन्नान प्रांत में है जहां चमगादड़ रहते हैं।
वायरस पर काम करने वाले पीटर अकेले इंसान नहीं हैं, बल्कि उन्हें कई संस्थाओं का सहयोग है, जो ये पूर्वानुमान लगाने की कोशिश करती हैं कि भविष्य में कौन सा वायरस इंसानों पर हमला बोल सकता है।
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60 लैब काम कर रहे
इस शोध में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया, स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन, वाइल्डलाइफ सोसायटी जैसी संस्थाएं शामिल हैं। केवल चमगादड़ों से फैलने वाले वायरस पर शोध के लिए एशिया और अफ्रीका में इनके 60 लैब काम कर रहे हैं।
इंसानों के लिए घातक होने वाले चमगादड़ों में वायरस की खोज करने के लिए पीटर ने चीन के युनान प्रांत पर नजर डाली है। ये इलाका चूने पत्थर वाली पहाड़ियों से घिरा होने की वजह से यहां बड़ी संख्या में चमगादड़ पाए जाते हैं।
शोध करने के लिए वैज्ञानिक यहां से चमगादड़ों के जालों, थूक और खून समेत कई तरह के नमूने इकठ्ठा करते हैं। पीटर बताते हैं कि चीन से सार्स बीमारी फैलने के बाद वैज्ञानिकों का इस जगह पर ध्यान गया लेकिन अब दिख रहा है कि चमगादड़ों में सैकड़ों ऐसे वायरस होते हैं जो खतरनाक हो सकते हैं।
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पहले ही वायरस से एक्सपोज हो चुके
इस पर चीन के युनान के एक शहर जिनिंग में काम के दौरान वहां के लोगों का ब्लड सैंपल लिया गया। तभी इस जांच के नतीजे चौंकाने वाले रहे। जांच में पीटर की टीम ने देखा कि वहां रहने वाले लोगों में 3 प्रतिशत के शरीर में वे सारी एंटीबॉडीज थीं, जो सिर्फ चमगादड़ों में होती हैं। मतलब वे पहले ही वायरस से एक्सपोज हो चुके हैं और उनका शरीर इससे होने वाली बीमारियों के लिए इम्यून हो चुका है।
ऐसे में पीटर और उनकी टीम सबसे पहले सैंपल लेते हैं, उसे लिक्विड नाइट्रोजन में पैक करते हैं और फिर उनकी जांच के लिए लैब में भेज देते हैं। लेकिन काम यहीं तक नहीं होता।
इन सबके बाद आता है सैंपल के नतीजों को एक जगह इकठ्ठा करने का काम, जिससे दवा या टीका तैयार करने वाले वैज्ञानिकों को प्री-क्लिनिकल रिसर्च में मदद मिल सके।
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कितने दिनों में वो इंसानों पर हमला कर सकता
इसमें अगर वायरस नया है तो ये जांचने की कोशिश की जाती है कि कितने दिनों में वो इंसानों पर हमला कर सकता है। अब तक न्यूमोनिया पैदा करने वाले आधे से भी कम वायरसों की पहचान हो सकी है इसलिए वायरस खोजकर्ता का काम और भी जरुरी हो जाता है।
साथ ही कोरोना के शुरुआती मामले आने के बाद Wuhan Institute of Virology ने जब यहां लाइब्रेरी का डाटाबेस खंगाला तो पता चला कि युनान में 2013 में ही ये वायरस देखा जा चुका है।
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चमगादड़ों से कोरोना वायरस का इलाज
ऐसे में दोनों वायरसों में 96.2% समानताएं दिखीं। वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने पर टीके की खोज आसान हो जाती है। अब पीटर का दावा है कि चमगादड़ों के शरीर में पाए जाने वाली एंटीबॉडी से कोरोना वायरस का इलाज हो सकेगा।
पीटर के इस दावे से Duke-NUS में वायरोलॉजिस्ट वैंग लिंफा भी सहमत हैं। उनके मुताबिक, चमगादड़ों से जो खून के नमूने लिए गए, उनमें काफी मात्रा में एंटीबॉडी दिखी। ये जाहिर तौर पर कोरोना वायरस से एक्सपोज होने पर बनी होंगी। इसके आधार पर कोविड-19 के लिए टीका तैयार हो सकता है।
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भविष्य के लिए मुहीम
वहीं वैज्ञानिक चमगादड़ों के जरिए ये जानने की भी कोशिश कर रहे हैं कि क्या निकट भविष्य में कोरोना जैसी कोई महामारी दोबारा हमला कर सकती है! इससे बचाव के लिए भी कई तरह की मुहिम चलाई जा रही है.
मुहीम ये चलाई जा रही हैं, जैसे जिन इलाकों में चमगादड़ ज्यादा होते हैं, आबादी को वहां से दूर करने की कोशिश की जाए। केन्या में लोगों को अपने घरों में वेंटिलेशन के लिए बने छोटे-छोटे झरोखों को बंद करने या उसपर जाली जैसा कुछ लगाने की सलाह दी जा रही है ताकि चमगादड़ भीतर न आ सकें।
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