Black Fungus: कई देशों में मिल रहे ब्लैक फंगस के मरीज, जानें किन लोगों को है खतरा
Black Fungus : कोरोना संक्रमितों में खतरनाक फंगल इन्फेक्शन के मामले अब भारत के अलावा कई अन्य देशों में भी सामने आए हैं।
Black Fungus: कोरोना संक्रमितों में खतरनाक फंगल इन्फेक्शन के मामले अब भारत के अलावा कई अन्य देशों में भी सामने आए हैं। इससे वैज्ञानिकों को आशंका है कि शायद कोरोना वायरस का डेल्टा यानी भारतीय वेरियंट ही लोगों में फंगल इन्फेक्शन होने के हालात पैदा कर रहा है।
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारत में कोरोना संक्रमित लोगों में से बहुतों में खतरनाक फंगल इन्फेक्शन हुआ है और सैकड़ों मौतें हो चुकी हैं। कोरोना संक्रमितों के अलावा ठीक हो चुके लोगों में फंगल इन्फेक्शन हो रहा है। यह इन्फेक्शन भी इतना खतरनाक है कि इंसान के अंगों को भीतर से बर्बाद कर देता है। पहले यह माना जा रहा था कि फंगल इन्फेक्शन भारत में हो रहा है, लेकिन अब नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका से लेकर चिली, पेरू और उरुग्वे तक में इसके मरीज मिल रहे हैं। इन देशों में सौ के करीब मामले सामने आ चुके हैं।
रहस्य है कायम
अभी तक इस बात का कारण पता नहीं चल सका है कि अचानक ब्लैक फंगस समेत कई अन्य तरह के फंगल इन्फेक्शन क्यों हो रहे हैं जबकि यह बहुत ही रेयर बीमारी है और बिरले ही किसी को होती है। पेरू और चिली में हालांकि दो-तीन केस ही सामने आए हैं, लेकिन इनसे एक चिंता बनी है। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि ये फंगल इन्फेक्शन मुमकिन है वायरस की वजह से बढ़ रहा हो। अभी तक ऑक्सीजन, आईसीयू, स्टेरॉयड, ब्लड शुगर जैसे कारणों पर अटकल लगाई जा रही है।
क्या कहता है सीडीसी
कोरोना काल में अमेरिका का सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल यानी सीडीसी जानकारी का सबसे भरोसेमंद स्रोत साबित हुआ है। सीडीसी के अनुसार, फंगस या फफूंदी हमारे चारों ओर मौजूद रहती है। मिट्टी, पेड़ पौधे, मिट्टी, कंपोस्ट खाद, सड़ते कूड़े, गोबर वगैरह हर जगह फंगस के कण होते हैं। फंगस या तो कोई नुकसान नहीं करती या फिर बेहद गम्भीर बीमारी पैदा कर देती है। फंगस भी कई तरह की होती है और उनमें से एक है म्यूकोरमाईसीट्स जिसे ब्लैक फंगस कहा जा रहा है। इससे होने वाली अवस्था को म्यूकोरमाईकोसिस बीमारी कहते हैं। सीडीसी का कहना है कि ये एक गंभीर लेकिन रेयर फंगल इंफेक्शन है जो म्यूकोरमाईसीट्स नामक फफूंदी के एक ग्रुप की वजह से होता है। इस ग्रुप में कई तरह की फफूंदी होती है जो हमारे चारों ओर वातावरण में अति सूक्ष्म कणों के रूप में मौजूद रहती है। इनसे बच कर रहना लगभग असंभव होता है। म्यूकोरमाईकोसिस बीमारी मुख्यतः उन्हीं लोगों को होती है जिनके कोई बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या है जो ऐसी दवा लेते हैं जिनसे शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है।
कहां पनपता है फंगस
फंगस घर के भीतर और बाहर, दोनों जगह रहता है। ये घरों, अस्पतालों में उन जगह पनपता है जहां काफी नमी होती है। जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर है वे फंगस के संपर्क में आने से बीमार पड़ सकते हैं। म्यूकोरमाईकोसिस में उसका फंगस आमतौर पर साइनस या फेफड़ों को प्रभावित करता है। ये फंगस सांस के जरिये श्वास तंत्र और फेफड़ों में पहुंचता है। लेकिन त्वचा के कट जाने, जल जाने या किसी अन्य चोट के जरिये भी ये फंगस अंदर पहुंच सकता है।
सीडीसी का कहना है कि अस्पताल में फंगस के प्रति एक्सपोज़ होने से मरीज इससे प्रभावित हो जाते हैं। नमी वाले वातावरण में इस फंगस से मरीजों में संक्रमण की आशंका ज्यादा होती है। इसलिए अस्पताल में उन मरीजों को हवादार जगह रखना चाहिए जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है, एयर फिल्टर का प्रयोग करना चाहिए, कमजोर इम्यूनिटी वाले मरीजों को पहले से ही एन्टी फंगल दवा देनी चाहिए। अगर एक ही अस्पताल में भर्ती कई मरीजों में फंगल इंफेक्शन होता है तो पूरे अस्पताल की जांच और सुधार होने चाहिए।
किन लोगों को होने की आशंका
सीडीसी का कहना है कि म्यूकोरमाईकोसिस एक रेयर बीमारी है, लेकिन ये उनमें होने की ज्यादा संभावना है जिनको स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है, जो ऐसी दवाइयां लेते हैं जिनसे शरीर की कीटाणुओं और बीमारियों से लड़ने की क्षमता कमजोर हो जाती है।
-जिनको डाइबिटीज है या जिनमें लम्बे समय तक शुगर लेवल बहुत ज्यादा रहा हो।
-कैंसर से पीड़ित मरीज।
-जिनका अंग प्रत्यारोपण हुआ है।
-जिनका स्टेम सेल प्रत्यारोपण हुआ है।
-जिनमें व्हाइट ब्लड सेल कम हैं। इसे न्यूट्रोपेनिया कहा जाता है।
-जिनको लम्बे समय तक कॉर्टिको स्टेरॉयड दी गई है।
-शरीर में आयरन की अत्यधिक मात्रा है।
-सर्जरी, जल जाने या घाव की वजह से स्किन इंजरी है।
-म्यूकोरमाईकोसिस संक्रामक रोग नहीं है। ये एक मरीज से दूसरे में नहीं फैलता है।