Coronavirus : चीन जीरो कोरोना नीति पर कायम, बंद की सीमायें
Coronavirus : चीन में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच देश की सीमायें बंद कर दी गयी हैं।;
चीन में कोरोना के बढ़ते मामले (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)
Coronavirus : चीन में कोरोना (Corona) के बढ़ते मामलों के बीच देश की सीमायें बंद कर दी गयी हैं जिससे पता चलता है कि चीन (China) अब भी अपनी 'जीरो कोरोना' रणनीति पर कायम है। कोरोना महामारी (Corona Pandemic) फैलने के बाद से चीन की रणनीति रही है कि किसी भी कीमत पर संक्रमण को फैलने न दिया जाए इसीलिए एक भी केस मिलने पर बड़े इलाकों में लॉकडाउन (Lockdown) कर दिया जाता है और बड़ी आबादी की सघन टेस्टिंग होती है।
हाल में चीन में कोरोना का डेल्टा वेरियंट (Delta Variant) फैलने पर वही उपाय दोहरी सख्ती के साथ अपनाए जा रहे हैं। जहां - जहां संक्रमण मिल रहा है वहां के अधिकारियों को कम्युनिस्ट पार्ट द्वारा नोटिस भेजी जा रही है कि आखिर ऐसी लापरवाही क्यों बरती गयी।
चीन के नानजिंग महानगर के बाद अब वुहान भी संक्रमण की चपेट में आ गया है। वुहान से ही महामारी की शुरुआत हुई थी और बेहद सख्त उपायों के बाद स्थिति कंट्रोल में आ पाई थी लेकिन साल भर बाद वुहान फिर वायरस की चपेट में है। वुहान के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि 1.1 करोड़ की आबादी वाले वुहान शहर में सभी लोगों की न्यूक्लिक एसिड परीक्षण तेजी से किया जा रहा है।
कोरोना के बढ़ते मामले (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)
डब्लूएचओ की टीम जायेगी
चीन की स्थिति को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने एक टीम चीन भेजने का फासिला किया है और चीन से इसकी अनुमति मांगी है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक तेद्रोस अधानम घेब्रेयेसस ने कहा कि उन्हें एक अंतरराष्ट्रीय मिशन चीन भेजने के बारे में बीजिंग से जवाब प्राप्त हो गया है। बताया जाता है कि अंतरराष्ट्रीय टीम में यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के सदस्य भी होंगे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)
पूरा खात्मा करने का लक्ष्य
चीन का नजरिया है कि संक्रमण का पूरी तरह खात्मा कर दिया जाए इसीलिए एक–एक केस को बहुत गंभीरता से लिया जाता है। हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि संक्रमण का पूर्ण खात्मा असंभव नहीं तो बेहद मुश्किल जरूर है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, अगर चीन इसी रणनीति पर कायम रहता है तो हाल फिलहाल चीन का बाहरी दुनिया से संपर्क कटा ही रहेगा। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर चीन कब तक लोगों का चीन में आना-जाना रोके रहेगा। जब भी आवागमन खोला जाएगा तब संक्रमण बाहर से आने की पूरी पूरी आशंका बनी रहेगी। चीन ने पूरी तरह वैक्सीन पा चुके लोगों के भी चीन में आने या बाहर जाने पर पाबंदी लगा रखी है।
चीन के हुबेई प्रान्त में जब कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी तभी से प्रेसिडेंट शी जिनपिंग ने संक्रमण के पूर्ण खात्मे का आह्वान किया हुआ है। इसी का असर था कि महीनों तक टोटल लॉकडाउन लगाये गए और व्यापक टेस्टिंग की गयी। कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन का सार्वजानिक स्वास्थ्य सिस्टम बहुत मजबूत नहीं है सो मजबूरी में सरकार को व्यापक पाबंदियां लगानी पड़ती हैं। बताया जाता है कि चीन में प्रति एक लाख की आबादी पर 3.43 आईसीयू बेड उपलब्ध हैं। तुलनात्मक रूप से अमेरिका में प्रति एक लाख लोगों पर आईसीयू के सौ बेड हैं।
नई आफत
कोरोना महामारी के बीच चीन के हेबई प्रांत के चेंगदू शहर में एंथ्रेक्स निमोनिया से पीड़ित एक मरीज मिला है। यह व्यक्ति पूर्व में मवेशियों, भेड़ों और दूषित उत्पादों के संपर्क में आया था। बीजिंग के सेंटर फॉर डिजीज कण्ट्रोल ने बताया है कि मरीज में लक्षण दिखने के बाद उसे चार दिन पहले एंबुलेंस से बीजिंग लाया गया और क्वारंटाइन में रखकर उसका इलाज किया जा रहा है। बीजिंग सीडीसी के मुताबिक, मवेशियों और भेड़ों में एंथ्रेक्स की मौजूदगी होती है और बीमार जानवरों या दूषित उत्पादों के संपर्क में आने से इंसान भी संक्रमित हो जाते हैं। इससे फफोले बनते हैं और त्वचा संबंधी समस्या पैदा हो जाती है।