चीन पर तगड़ा आक्रमण: तुरंत तैनात खतरनाक मिसाइलें, होगा अब महायुद्ध
चीन को अब इन दिनों ताइवान द्वारा आक्रमण का डर सता रहा है। ऐसे में चीन की सत्ताधारी पार्टी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करने के लिए अपने मिसाइल बेस को अपग्रेड करने में लगी हुई गई है।
नई दिल्ली। चीन अब जोरो-शोरों से अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करने में लगा हुआ है। ऐसे में चीन को ये डर सता रहा है कि ताइवान उस पर कभी भी घावा बोल सकता है। ताइवान द्वारा आक्रमण की जानकारी सैन्य पर्यवेक्षकों और सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी। बता दें, चीन और ताइवान के बीच विवाद इन दिनों बढ़ता ही जा रहा है। जिसके चलते इन दोनों देशों में आक्रमण की स्थितियां उत्पन्न हो रही हैं।
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हाइपरसोनिक मिसाइल डीएफ-17 तैनात
चीन की सत्ताधारी पार्टी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करने के लिए अपने मिसाइल बेस को अपग्रेड करने में लगी हुई गई है। ऐसे में बीजिंग में रहने वाले एक सैन्य सूत्र ने बताया कि चीन ने दक्षिण पूर्व तट पर अपने सबसे अत्याधुनिक हाइपरसोनिक मिसाइल डीएफ-17 को तैनात किया है।
इसके साथ ही सूत्रों से मिली जानकारी में बताया कि डीएफ-17 हाइपरसोनिक मिसाइल धीरे-धीरे दक्षिण पूर्व क्षेत्र में दशकों से तैनात डीएफ-11 और डीएफ-15 मिसाइलों को बदल देगी। उन्होंने बताया कि इस नई मिसाइल की रेंज अधिक है और यह अधिक सटीक रूप से लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है।
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बीजिंग और ताइपे के बीच संबंध खराब
बता दें, डीए-17 हाइपरसोनिक मिसाइल की रेंज 2500 किमी है। इन घातक मिसाइल को बीते साल 1 अक्तूबर को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चीन की स्थापना के 70 साल पूरे होने पर नेशनल डे परेड के दौरान दुनिया के सामने लाया गया।
इसके साथ ही बीजिंग ताइवान को अपने अलग प्रांत के रूप में मानता है, जिसे उसने आवश्यकता पड़ने पर वापस लेने की कसम खाई है। ऐसे में बीजिंग और ताइपे के बीच संबंध तो उस समय से खराब हो गए हैं, जब 2016 में त्सई इंग-वेन डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की अध्यक्ष चुनी गईं और एक-चीन सिद्धांत को स्वीकार करने से मना कर दिया था।
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रिश्तें खराब होने की वजह अमेरिका
वहीं इससे पहले त्सई के पूर्वाधिकारी चेन शुई-बेन के राष्ट्रपति रहने के दौरान भी बीजिंग और ताइपे के संबंधों में भयंकर तनाव पैदा हो गया था। जिसकी वजह से उस दौरान चीन ने फुजियान और झेजियांग प्रांतों के तटों पर मिसाइलों की तैनाती की गई थी।
लेकिन इस साल की बात करें तो चीन और ताइवान के बीच रिश्तों के खराब होने की वजह महाशक्तिशाली देश अमेरिका भी है। इस बीच ताइपे वाशिंगटन के करीब गया है और उसने हथियारों के लिए कई सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं।
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