चीन बना सबसे बड़ा खतरा: अमेरिका ने लगाई लताड़, ड्रैगन चल रहा ये नई चाल

अमेरिका का कहना है कि चीन लगातार अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल कर रहा है। अगले हफ्ते चीन और अमेरिका के शीर्ष अधिकारियों के बीच बैठक होने वाली है। इस बीच अमेरिका का चीन पर ये बयान काफी मायने रखता है। 

Update:2021-03-12 12:31 IST

नई दिल्ली: चीन द्वारा उइगर मुस्लिमों पर किए जा रहे अत्‍याचारों को लेकर दुनिया के कई बड़े देश ड्रैगन को चेता चुके हैं। साथ ही अपने रवैये में सुधार करने को लेकर आगाह भी किया है, लेकिन बावजूद इसके चीन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। इस बीच अमेरिका ने इस मुद्दे पर कड़ा रूख अपनाते हुए उसे एक बार फिर से चेताया है।

उइगर मुसलमानों का नरसंहार बंद करे चीन

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने चीन को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि वो उइगर मुसलमानों का नरसंहार बंद कर दे। साथ ही अमेरिका ने यह भी कहा है कि वो इस मुद्दे के हल होने तक अपनी आवाज हर मंच से उठाता रहेगा। इसके साथ ही पेंटागन ने चीन को 21वीं सदी का सबसे बड़ा खतरा करार दिया है। पेंटागन का कहना है कि चीन दुनिया के लिए सामरिक खतरा पैदा कर सकता है।

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(फोटो- सोशल मीडिया)

दक्षिण चीन सागर में पांव फैलाना चाहता है चीन

पेंटागन की ओर से ये बायन अमेरिका हिंद प्रशांत क्षेत्र कमांड के प्रमुख एडमिरल फिल डेविडसन ने दिया है। उन्होंने ये भी कहा कि चीन अपना रक्षा बजट बढ़ाकर दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में अपने पांव पसारना चाहता है। साथ ही अपनी ताकत में और इजाफा करना चाहता है। उन्होंने कहा कि इस खतरे से निपटने के लिए अमेरिका को भी तैयार रहना होगा और हथियारों के लिए अपने रक्षा बजट को बढ़ाना होगा।

इस मुद्दे पर चीन को लताड़ लगाने वालों में न केवल अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन शामिल हैं, बल्कि प्रतिनिधि सभा की अध्‍यक्ष नेंसी पेलोसी भी इसमें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि चीन तिब्‍बत के गौरवाशाली इतिहास और उसकी संस्कृति को खत्म करने का लगातार प्रयास कर रहा है। अमेरिका ने इन दोनों ही मुद्दों पर अपना रूख स्पष्ट किया है।

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चीन अपनी ताकत का कर रहा गलत इस्तेमाल

अमेरिका का कहना है कि चीन लगातार अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल कर रहा है। वो अपने नेताओं, सरकार और सेना की सहायता से लोगों को अपने हक में करने में जुटा हुआ है, साथ ही इसके लिए उन्हें डरा और धमका भी रहा है। चीन का कारगुजारियां न केवल तिब्बत, बल्कि हांगकांग और ताइवान में भी देखने को मिलती हैं। इन देशों के प्रति ड्रैगन का रवैया किसी से छिपा नहीं है।

(फोटो- सोशल मीडिया)

ड्रैगन के खिलाफ इन देशों को उठानी होगी आवाज

वहीं, अमेरिका का कहना है कि इन मुद्दों पर केवल उसके आवाज उठाने से कुछ नहीं होने वाला, बल्कि इन सभी देशों को खुद एकजुट होकर चीन के खिलाफ आवाज उठानी होगी और उस पर दबाव बनाना होगा। ड्रैगन पर अंतरराष्‍ट्रीय दबाव के बाद ही उसके बर्ताव में बदलाव देखा जा सकता है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने इसके लिए उपाय भी सुझाए हैं।

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चीन पर दबाव बनाने के दिए उपाय

उन्होंने कहा कि चीन पर दबाव बनाने के लिए कई तरह के उपाय किए जा सकते हैं। उसे उइगर मुस्लमानों के नरसंहार और मानवाधिकार उल्लंघन का जिम्मेदार करार देते हुए उस पर कई तरह की पाबंदियां लगाई जा सकती हैं। वहीं, अगर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनने पर भी चीन इन आरोपों से खारिज करता है तो उसे संयुक्‍त राष्‍ट्र के नेतृत्‍व में जांच को अनुमति देनी चाहिए।

बता दें कि अगले हफ्ते चीन और अमेरिका के शीर्ष अधिकारियों के बीच बैठक होने वाली है। इस बीच अमेरिका का चीन पर ये बयान काफी मायने रखता है। बैठक से पहले ही अमेरिकी सांसदों ने चीन द्वारा मानवाधिकारों के उल्‍लंघन का मामला उठाकर माहौल काफी गरमा दिया है।

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