चीन ने उड़ाई अमेरिका की नींद, अब 75 साल के लिए लीज पर लिया ये द्वीप

वैश्विक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की नई रणनीति के तहत चीन विदेशी सरकारों को पैसे का लालच देने के साथ स्थानीय मूलभूत ढांचे में निवेश करने का वादा करता है और उसके बाद विकासशील देश कर्ज के जाल में बुरी तरह से फंस जाते हैं।

Update: 2023-08-23 11:42 GMT

बीजिंग: सोलोमन के एक विशालकाय द्वीप को 75 सालों के लिए चीन ने लीज पर लिया है। बता दें, सोलोमन ने चीन के साथ कुछ दिन पहले ही अपने कूटनीतिक रिश्ते शुरू किए हैं। चीन से संबंध बढ़ाने से पहले ताइवान के प्रमुख सहयोगियों में से सोलोमन एक था। मगर अब उसने चीन के साथ दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाया है।

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हालांकि, जिस विशालकाय द्वीप को 75 सालों के लिए चीन ने लीज पर लिया है, उसको लेकर चीन ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। मगर सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ब्रिटेन और जापान के दक्षिण प्रशांत का हेडक्वॉर्टर तुलागी नाम का यह द्वीप रह चुका है। अब इसे चीन ने लीज पर लिया है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इसके गहरे पानी ने इसे मजबूत सैन्य हथियार बना दिया था। ऐसे में अब यह बेहद अहम रणनीतिक क्षेत्र चीन के कब्जे में होगा।

काफी सदमे में है अमेरिका

वहीं, इस खबर के सामने आती ही अमेरिका काफी शॉक में आ गया है। इसकी वजह से अब अमेरिकी मीडिया में इसी पर चर्चा हो रही है कि चीन और सोलोमन द्वीप की प्रांतीय सरकार के बीच पिछले महीने एक गोपनीय समझौता हुआ। अब इस समझौते के तहत पूरे तुलागी द्वीप और इसके आसपास के इलाकों में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ी एक कंपनी ने विकास कार्यों के लिए अधिकार खरीद लिए हैं। इस मुद्दे की वजह से अमेरिका की नींद उड़ गयी है।

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सूत्रों का कहना है कि तुलागी के निवासी भी इस डील से काफी हैरान हैं। अमेरिकी अधिकारियों को उन्होंने सतर्क रहने की सलाह दी है। दरअसल अमेरिकी लोगों के लिए ये द्वीप कई मायनों में खास है। इस द्वीप को दक्षिण प्रशांत में अमेरिकी चीन को रोकने और महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों की सुरक्षा के लिए अहम मानते हैं। वहीं, चीन की बात करें तो ये द्वीप अब यह दर्शाता है कि वह कितना संपन्न देश है।

भौगोलिक स्थिति काफी अच्छी

जानकारी के अनुसार, वैश्विक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की नई रणनीति के तहत चीन विदेशी सरकारों को पैसे का लालच देने के साथ स्थानीय मूलभूत ढांचे में निवेश करने का वादा करता है और उसके बाद विकासशील देश कर्ज के जाल में बुरी तरह से फंस जाते हैं। वहीं, इस मामले पर न्यूजीलैंड की कैंटरबरी यूनिवर्सिटी के चीनी शोधकर्ता एन मोरी ब्रैडी का कहना है कि द्वीप की भौगोलिक स्थिति देखने से पता चलता है कि यह कितनी अच्छी जगह है।

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