Pakistan Bus Blast: आतंकी हमले पर चीन सख्त, पाकिस्तान मुसीबत में

Pakistan Bus Blast : पाकिस्तान में चीनी इंजीनियरों की मौत को लेकर चीन सरकार के मुखपत्र 'ग्लोबल टाइम्स' के संपादक हू शिजिंग ने एक ट्वीट में सीधे तौर पर पाकिस्तान की क्षमताओं पर सवाल उठा दिए हैं।

Newstrack :  Network
Published By :  Shivani
Update:2021-07-17 14:33 IST

इमरान खान और जिनपिंग (Photo Social Media)

Pakistan Bus Blast: पाकिस्तान में एक शटल बस में विस्फोट में 9 चीनी (Chinese Engineers Dead) और चार पाकिस्तानी नागरिकों के मौत के बात चीन और पाकिस्तान (China Pakistan) के बीच मामला बहुत गर्म हो गया है। चीन के खिलाफ पाकिस्तान में बीते तीन साल में ये दूसरी बड़ी घटना है और चीन ने इसे बहुत गंभीरता से लिया है। इस घटना को लेकर चीन सरकार के मुखपत्र 'ग्लोबल टाइम्स' के संपादक हू शिजिंग ने एक ट्वीट में सीधे तौर पर पाकिस्तान की क्षमताओं पर सवाल उठा दिए हैं। शिजिंग ने लिखा - इस हमले के लिए जिम्मेदार कायर आतंकी (Pakistan Terror Attack) अब तक सामने नहीं आ पाए हैं। लेकिन वे निश्चित रूप से खोजे जाएंगे और उन्हें खत्म कर दिया जाना चाहिए। अगर पाकिस्तान की क्षमताएं पर्याप्त नहीं हैं तो चीन की मिसाइलों और स्पेशल फोर्सेस को काम पर लगाया जा सकता है।

सीपीईसी बैठक स्थगित (CPEC Meeting Postpones)

तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच चीन ने 16 जुलाई को होने वाली 'चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे' यानी सीपीईसी की बैठक रद कर दी है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के प्रमुख और पाकिस्तान सेना के पूर्व प्रवक्ता मेजर जनरल असीम बाजवा ने ट्वीट कर जानकारी दी कि सीपीईसी की यह बैठक अब ईद के बाद होगी। उन्होंने ट्वीट किया, सीपीईसी पर बैठक जो 16 जुलाई 2021 को होने वाली थी, उसे ईद के बाद बाद की तारीख के लिए स्थगित कर दिया गया है। जल्द ही एक नई तारीख को अंतिम रूप दिया जाएगा। हालांकि, इस बीच तैयारी जारी है।

चीनी जांच दल पहुंचा (China Sends Team To Investigate)

चीन के प्रधानमंत्री ली केकिंग ने इमरान खान को फोन करके कहा है कि बम विस्फोट कराने वालों को जल्द से जल्द पकड़े। बम विस्फोट की जांच करने के लिए चीन की एक टीम पाकिस्तान पहुँच गयी है और जांच का काम उसने अपने हाथ में ले लिए है।


बलूचिस्तान और तालिबान पर उठी ऊँगली

इशारा इस ओर किया जा रहा है कि इस बम विस्फोट के पीछे बलूच आतंकियों और पाकिस्तानी तालिबान का हाथ है। चीन की त्सिंघुआ यूनिवर्सिटी के नेशनल स्ट्रेटेजी इंस्टिट्यूट के निदेशक किओं फेंग ने कहा है कि पाकिस्तानी तालिबान धार्मिक वजहों से पाकिस्तान सरकार का विरोधी है और वह चीन के सहयोग से पाकिस्तान में चलाये जा रहे प्रोजेक्ट्स को निशाना बना रहा है। दूसरी ओर बलूचिस्तान नहीं चाहता है कि आर्थिक विकास के जरिये पाकिस्तान मजबूत हो जाये क्योंकि ऐसा होने पर बलूचिस्तान का अलगाववादी अजेंडा कमजोर पड़ जाएगा।

खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हुई वारदात

बम विस्फोट की घटना खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के अपर कोहिस्तान जिले के दसू इलाके में हुई, जहां चीनी इंजीनियर और निर्माण श्रमिक एक बांध बनाने में पाकिस्तान की मदद कर रहे हैं। यह बांध 60 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का हिस्सा है। बम विस्फोट को पाकिस्तान ने पहले गैस लीकेज बताया था जबकि चीन ने इसे आतंकी हमला कहा था। चीन के सख्त रुख को देखते हुए पाकिस्तान ने स्वीकार किया है कि ये आतंकी हमला था।


बलूचिस्तान का ग्वादर शहर चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) का केंद्र है। सीपीईसी चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) से जुड़ी अरबों डॉलर की परियोजना है। पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में विकास की कई परियोजनाएं शुरू की थीं। इनके बावजूद, यह देश का सबसे गरीब और सबसे कम आबादी वाला प्रांत है। पिछले कई दशकों से यहां अलगाववादी समूह सक्रिय हैं जो इस इलाके को पाकिस्तान से अलग करने की मांग कर रहे हैं। इनका आरोप है कि देश की सरकार उनके संसाधनों का गलत तरीके से इस्तेमाल कर रही है और उनके लोगों का शोषण किया जा रहा है।

चीन ने की 50 बिलियन डाॅलर से अधिक की आर्थिक परियोजना का एलान

पाकिस्तान की सरकार ने इन विद्रोहियों और अलगाववादियों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए 2005 में सैन्य अभियान शुरू किया था, फिर भी, इस इलाके के हालात पहले की तरह ही हैं। 2015 में चीन ने पाकिस्तान में 50 बिलियन डॉलर से अधिक की एक आर्थिक परियोजना की घोषणा की थी। बलूचिस्तान इस परियोजना का अभिन्न हिस्सा है। सीपीईसी के ज़रिए, चीन का लक्ष्य पाकिस्तान और एशिया के अन्य देशों में अपना दबदबा बढ़ाना और साथ ही, भारत और अमेरिका का मुकाबला करना है। सीपीईसी, पाकिस्तान के बलूचिस्तान में अरब सागर के किनारे स्थित ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ेगा। इसमें चीन और मध्य पूर्व के बीच संपर्क में सुधार के लिए सड़क, रेल और तेल पाइपलाइन लिंक बनाने की योजना भी शामिल है। हालांकि, बलूचिस्तान के अलगाववादी और कुछ स्थानीय नेता चीन के इस निवेश का विरोध कर रहे हैं।

चीन के खिलाफ गुस्सा

बलूचिस्तान में चीन के खिलाफ बहुत गुस्सा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि ग्वादर बंदरगाह और सीपीईसी से संबंधित अन्य परियोजनाएं उनके लिए फायदेमंद नहीं रही हैं। जानकारों का कहना है कि बलोच लोगों का मानना सही है कि इन समझौतों और चीनी परियोजनाओं से उन्हें कुछ नहीं मिला है। चीन ग्वादर बंदरगाह से होने वाली आमदनी का 91 प्रतिशत हिस्सा खुद लेता है और बाकी पाकिस्तान की केंद्रीय सरकार को जाता है। ग्वादर में स्थानीय लोगों के पास पीने का साफ पानी तक नहीं है। यहाँ सिर्फ चीनी लोगों के लिए आवासीय परिसर बनाए गए हैं। बलूचिस्तान विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों को भी इन परिसरों में जाने की अनुमति नहीं है।


सशस्त्र विद्रोहियों ने न केवल प्रांत में, बल्कि पूरे देश में चीनी परियोजनाओं और ठिकानों को नुकसान पहुंचाने की कसम खा रखी है। अगस्त 2018 में, एक आत्मघाती हमलावर ने बलूचिस्तान के दलबादीन में चीनी इंजीनियरों को ले जा रही एक बस को निशाना बनाया था। इस हमले में तीन चीनी नागरिकों सहित पांच लोग घायल हो गए थे।

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