Congo: कांगो में भारतीयों पर हमले, लूट ली गईं दुकानें, जानिए क्या है वजह

Congo: साउथ अफ्रीका के बाद अब डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में भारतीय मूल के लोग निशाने पर हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Dharmendra Singh
Update: 2021-08-14 11:13 GMT

कांगो में जुटी भीड़ (प्रतीकात्म तस्वीर )

Congo: साउथ अफ्रीका के बाद अब डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में भारतीय मूल के लोग निशाने पर हैं। कांगो में भारतीय मूल के लोगों के व्यापारिक प्रतिष्ठानों और संपत्तियों पर हमले किये जा रहे हैं। कई भारतीयों की दुकानें लूट ली गई हैं।

पुलिस ने कहा है कि भारत के बेंगलुरु में कांगो के रहने वाले एक छात्र की मौत के बाद कांगो की राजधानी किंशासा में हिंसा भड़क उठी है। बीते एक हफ्ते में दो बार भारतीयों को निशाना बनाया गया है। एक दर्जन से ज्यादा भारतीय दुकानों और गोदामों को लूटा गया, तीन कारों को आग लगा दी गई और वाहनों पर पत्थर फेंके गए।
यह घटनाएं किंशासा के लिमेटे इलाके में तब हुई जब ऐसी अफवाह फैल गई कि भारत में कांगो के एक और युवक की मौत हो गई है। कांगो में भारतीय मूल के दस हजार से ज्यादा लोग रहते हैं जिनमें गुजरातियों और मलयाली सर्वाधिक हैं।

युवक की मौत के बाद बेंगलुरू में अफ्रीकी मूल के लोग प्रदर्शन करते (फोटो: सोशल मीडिया)

क्या है मामला
कांगो के 27 वर्षीय जोएल मालू की मौत बेंगलुरु में पुलिस हिरासत में हुई थी। उन्हें 1 अप्रैल को पुलिस ने नशीली दवाएं रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था। पुलिस के मुताबिक, मालू ने सीने में दर्द की शिकायत की, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई। इस घटना के बाद बेंगलुरू में रहने वाले अफ्रीकी मूल के कुछ लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था। पुलिस ने उन लोगों पर लाठी चार्ज भी किया था जिसमें 6 छात्र जख्मी हो गए थे। बाद में पुलिस ने पांच प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। बाद में डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो के दिल्ली स्थित दूतावास से कुछ अधिकारी बेंगलुरु पुहंचे थे और पुलिस से घटना की जानकारी ली थी। इसके बाद राज्य सरकार ने मालू की मौत के मामले की जांच सीआईडी की सौंप दी थी।
अफ्रीका में कई बार कूटनीतिज्ञ इस बात की शिकायत कर चुके हैं कि भारत में रहने वाले अफ्रीकी मूल के लोगों के खिलाफ नस्लभेद होता है। 2016 में भी कांगो मूल के एक युवक की दिल्ली में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। ऐसी ही घटना 2014 में भी हुई थी जब गैबोन और बुरकीना फासो के रहने वाले तीन छात्रों को दिल्ली में एक मेट्रो स्टेशन पर घेर लिया गया था। अफ्रीकन स्टूडेंट्स इन इंडिया के मुताबिक भारत में अफ्रीकी मूल के लगभग 25 हजार छात्र हैं जो देश के 500 सरकारी व निजी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा छात्र सूडान और नाईजीरिया से आते हैं। इसके बाद केन्या, तंजानिया, युगांडा, रवांडा, जांबिया और इथियोपिया जैसे देश हैं जहां से बड़ी संख्या में छात्र भारत पढ़ने जाते हैं।


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