कोरोना कब्रगाह: हो गया तैयार, दफनाई जा रही लाशें ही लाशें

कोरोना वायरस से दुनियाभर में कहर मची हुई है। महामारी से होने वाली मौतों का आकड़ा दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है। लाशों को रखने की जगह नहीं मिल रही, मरीज को भर्ती करने के लिए अस्पतालों में बेड नहीं खाली है।

Update:2020-04-11 13:05 IST
कोरोना कब्रगाह: हो गया तैयार, दफनाई जा रही लाशें ही लाशें

नई दिल्ली : कोरोना वायरस से दुनियाभर में कहर मची हुई है। महामारी से होने वाली मौतों का आकड़ा दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है। लाशों को रखने की जगह नहीं मिल रही, मरीज को भर्ती करने के लिए अस्पतालों में बेड नहीं खाली है। ऐसे में न्यूयॉर्क का एक हार्ट आइलैंड द्वीप है। इस द्वीप में 19वीं सदी से लाशें दफनाई जा रही हैं। इनमें ज्यादातर वे लाशें होती है जिनके आगे-पीछे कोई नहीं होता है या फिर उनके परिवार वालों के पास खर्च उठाने भर के भी पैसे नहीं होते हैं। इसके साथ ही संक्रामक मानी जाने वाली बीमारी जैसे H.I.V./aids और सिफलिस जैसे यौनरोग से हुई मौत में शवों को यहां दफनाया जाता रहा है।लेकिन अब कोरोना वायरस से हो रही मौतों के बढ़ने के साथ-साथ इस द्वीप पर शवों को दफनाने का काम जोरों से चल रहा है।

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18,500 से ज्यादा लोगों की मौत

कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते संक्रमण से अमेरिका इस वायरस का एपिसेंटर बन चुका है। यहां अभी तक 502,876 लोग कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं, वहीं 18,500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

सिर्फ न्यूयॉर्क में 5100 से ज्यादा मौतें हुई हैं। यहां तक कि शहर में कब्रगाह या मुर्दाघर भी इन लाशों को रखने के लिए कम पड़ रहे हैं। यही कारण है कि शहर में लाशों को दफनाने के लिए अस्थायी मुर्दाघरों की तलाश जोरों पर है।

लेकिन कोरोनावायरस के हुई मौत में शव को मुर्दाघर में 6 दिन और रेफ्रिजरेटेड ट्रक में 14 दिनों से ज्यादा वक्त तक नहीं रखा जा सकता हैष इससे ज्यादा समय होने पर लाशों के खराब होने का डर भी रहता है।

हो रही मौतों के लिए मुर्दाघर बनाने के लिए नई जमीन की तलाश के बीच ये खबर आई थी कि शहर के ही पार्कों में लाशें दफनाई जा सकती हैं। ऐसे में मैनहट्टन के काउंसिल मैन मार्क लेविन ने इस बारे में ट्वीट भी कर दिया था। लेकिन फिर बाद में ये ट्वीट हटा लिया गया।

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मृत शरीर को लीक-पूफ्र बॉडी बैग में रखा जाता

न्यूयॉर्क में 2008 में तैयार हुए Pandemic Influenza Surge Plan के मुताबिक, अगर शहर में कोल्ड स्टोरज यूनिट लाशें रखने के लिए कम पड़ जाएं तो Hart Island में लाशें रखी जा सकती हैं।

यहां लाशें दफनाई जा रही हैं लेकिन इस तरीके से कि कोरोना का कहर शांत होने के बाद परिवार अगर अपने परिजन का शव देखना और उसका अंतिम संस्कार करना चाहें तो लाशें निकाली जा सकें।

कोरोना वायरस से मौत के बाद मरने वालों को आइसोलेशन वार्ड या मुर्दाघर से इस द्वीप तक ले जाने तक एक खास प्रक्रिया अपनाई जा रही है। इसमें मृत शरीर को लीक-पूफ्र बॉडी बैग में रखकर लकड़ी के कॉफिन में रखा जा रहा है।

हर कॉफिन के ऊपर मृतक का नाम बड़े-बड़े अक्षरों में खुदा होता है ताकि अगर कभी किसी वजह से लाश निकालनी पड़े तो आसानी हो। चूंकि शहर के पूर्व में बसे इस द्वीप पर नाव के जरिए ही पहुंचा जा सकता है इसलिए सैकड़ों, हजारों की संख्या में लाशों को अस्थायी तौर पर भी दफनाया जाए तो किसी तरह की महामारी फैलने का डर कम से कम रहेगा।

मिली जानकारी के अनुसार, Department of Correction के प्रतिनिधि Jason Kersten बताते हैं कि कोरोना के मृतकों की संख्या बढ़ने के बाद से यहां रोज रेफ्रिजरेटेड ट्रक में लगभग भरकर 2 दर्जन लाशें दफनाने के लिए लाई जा रही हैं। मतलब 1 सप्ताह में 70 से भी ज्यादा लाशें दफनाई जा रही हैं।

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पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट पहनकर काम

बता दें, पहले जेलों में रह रहे कैदी यहां कब्रें खोदने और लाशें दफनाने का काम करते आए थे लेकिन कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच इस बंदोबस्त में बदलाव किया गया है।

Federal Bureau of Prisons ने बीते हफ्ते ही जेल में 14 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा कर दी, ताकि कैदियों में संक्रमण न फैले। इसके बाद से हार्ट आइलैंड पर कब्रगाह बनाने के लिए कॉन्ट्रैक्ट दिया जा रहा है।

न्यूयॉर्क शहर के अधिकारी लगातार ठेका मजदूरों को इस काम के लिए नियुक्त कर रहे हैं। लाशों को चूंकि अस्थायी तौर पर दफनाया जा रहा है इसलिए मशीनों से पहले ही लंबी लंबी-लंबी संकरी खाइयां खोदी जा रही हैं और उनमें ये कॉफिन रखे जा रहे हैं।

ये मजदूर पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट पहनकर काम कर रहे हैं ताकि किसी भी तरह से उन्हें संक्रमण न फैले। रिसर्चरों का मानना है कि हालातों को देखते हुए अमेरिका में और मौतें होने की संभावनाएं हैं।

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