रुसी वैक्सीनः सवालों को दरकिनार कर, अब किया ये एलान
रूस ने कोरोना की वैक्सीन बना ली है और दुनियाभर के देश इसकी प्री-बुकिंग भी करा रहे हैं। पूरी दुनिया के सामने जिस तरह से कोरोना का तांडव मचा है। वैसे में रूस की वैक्सीन संजीवनी के समान है। 11 अगस्त को रूस ने अपनी वैक्सीन दुनिया के सामने लाने की बात कर दी।
नई दिल्ली: रूस ने कोरोना की वैक्सीन बना ली है और दुनियाभर के देश इसकी प्री-बुकिंग भी करा रहे हैं। पूरी दुनिया के सामने जिस तरह से कोरोना का तांडव मचा है। वैसे में रूस की वैक्सीन संजीवनी के समान है। 11 अगस्त को रूस ने अपनी वैक्सीन दुनिया के सामने लाने की बात कर दी। इस वायरस के खिलाफ ये पहली वैक्सीन है, जिसे हरी झंडी मिली है, लेकिन इसके प्रभावशाली होने पर लगातार संदेह है ।
रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको ने बताया, 'रूस की वैक्सीन पर उठाए जा रहे सवाल केवल बाजारीकरण के कारण हो रहे हैं और लोग अपने विचार रखने की कोशिश कर रहे हैं जो कि पूरी तरह से निराधार हैं।
रूसी स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि लोगों को वैक्सीन जल्द उपलब्ध हो जाएगी। मुराशको ने कहा, 'अगले दो हफ्तों के अंदर मेडिकल वैक्सीन का पहला पैकेज मिल जाएगा, जो खासतौर से डॉक्टरों के लिए होगा। रूस के अधिकारियों की योजना अक्टूबर में बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाने की है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन की सूची में शामिल नहीं
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी रूस से इस वैक्सीन की समीक्षा करने को कहा है। रूस की ये वैक्सीन विश्व स्वास्थ्य संगठन के उन छह वैक्सीन सूची में नहीं शामिल है, जो अपने तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल में पहुंच चुकी हैं। रूस का कहना है कि वो अपनी वैक्सीन के उत्पादन के साथ ही इसके तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल भी जारी रखेगा।
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ये वैक्सीन लगाना खतरनाक- अमेरिका
अमेरिका और यूरोप की मीडिया और स्वास्थ्य अधिकारी लगातार इस वैक्सीन पर सवाल उठा रहे हैं। जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस वैक्सीन को सही तरीके से टेस्ट नहीं किया गया है। लाखों लोगों पर ये वैक्सीन लगाना खतरनाक हो सकता है। गलत वैक्सीन लगाने से लोगों की मौत भी हो सकती है। वहीं यूरोप के प्रसिद्ध शोधकर्ता इसाबेल इमबर्ट ने कहा कि जल्दबाजी में इस महामारी का इलाज लाना बहुत खतरनाक हो सकता है।
वहीं अमेरिका के प्रमुख संक्रामक रोग विशेषज्ञ एंथन फाउची ने भी रूस की इस वैक्सीन पर संदेह जताया है।इस बीच मॉस्को स्थित एसोसिएशन ऑफ क्लिनिकल ट्रायल ऑर्गेनाइजेशन (Acto) ने स्वास्थ्य मंत्रालय से इस वैक्सीन को तब तक मंजूरी ना देने का आग्रह किया है जब तक कि ये अपने तीसरे चरण का ट्रायल पूरी नहीं कर लेती। हालांकि रूस की इस वैक्सीन के पक्ष में भी कई देश हैं।
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वैक्सीन मानवता के लिए बहुत अच्छा
फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते ने कहा कि वो इस वैक्सीन का टेस्ट खुद पर ही कराएंगे। उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि रूस ने ये वैक्सीन बनाकर मानवता के लिए बहुत अच्छा काम किया है। सबसे पहला प्रयोग मैं करूंगा।' वहीं इजराइल ने कहा कि अगर ये वैक्सीन सही पाई जाती है तो वो इसे खरीदने की पेशकश करेगा।